अक्सर आज भी जब आप फोटोग्राफर के सामने फोटो खिंचाते हो तो वो एक शब्द कहता है स्माइल प्लीज। ये शब्द फोटोग्राफर आपके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए कहता है। ताकि आपकी फोटो हंसते हुए आए। पर क्या आपने कभी सोचा है कि फोटोग्राफर ऐसा कहता क्यों है। और वैसे भी फोटो खिंचवाते वक्त तो हमारे मर्जी होनी चाहिए कि हमें हंसते हुए फोटो खिंचवाना है या नहीं। फोटोग्राफर इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं। आखिर कहां से आया ये शब्द। किसने सबसे पहले स्माइल प्लीज कहा। तो हम आपको बताते हैं स्माइल प्लीज के पीछे का राज।
अगर हम बात करें स्माइल प्लीज शब्द की उत्तपत्ति की तो बता दें कि कैमरे में हंसते हुए चेहरे की तस्वीर खींचने की शुरुआत ज्यादा पुरानी नहीं है। पुराने समय में ज्यादातर बड़े बड़े कलाकार हंसते खिलखिलाते चेहरे की तस्वीर नहीं लेते थे।
आपने अगर गौर किया होगा तो पहले की जितनी भी पेंटिंग्स या मूर्ती बनाई जाती थी उनमें किसी के भी चेहरे पर हंसता हुआ भाव नहीं होता है। 18वीं सदी तक हंसते या मुस्कुराते चेहरे नहीं बनाए जाते थे। लेकिन बदलते वक्त के साथ ग्रीस में कुछ संगतराशों ने बनावटी मुस्कुराहट की तस्वीर बनाई। ये तस्वीर देखने में बेहद खूबसूरत थी।लेकिन उस मुस्कुराहट का मक़सद भी सिर्फ़ अपनी कला का जौहर दिखाना था।
आम इंसान की कला तक पहुंच बहुत कम थी। जितनी भी तस्वीरें बनाई जाती थीं, वो ज़्यादार अमीरों के घर के सदस्यों की बनाई जाती थी। और अमीरों के यहां खिलखिलाकर हंसना बुराई समझा जाता था। माना जाता था कि दांत दिखाकर वही लोग हंसते हैं जिन्हें सलीका नहीं होता या जिनकी अच्छी तालीम नहीं होती। रईस तो सिर्फ़ मुस्कुराते हैं। द विंची का मास्टरपीस कहा जाने वाला मोनालिसा का चित्र भी एक रहस्यमयी मुस्कुराहट लिए हुए हैं।
ऑली गिब्स नाम के एक शख़्स ने इस ऐप के जरिए बहुत सी ऐतिहासिक कलाकृतियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। फेसऐप से गिब्स ने पुरानी पेंटिंग्स को नया रूप-रंग दे दिया। फिर उन्होंने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर डाल दिया। लोग ऐतिहासिक कलाकृतियों के साथ ऐसी छेड़छाड़ से आश्चर्य में पड़ गए। इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर खूब साझा किया गया। इसके लिए गिब्स को खूब वाह वाही भी मिली।