अब रेल सफर बनेगा सुहाना, ट्रेन में ले सकेंगे फिल्म और गानों का मजा
अगले महीने से आपका रेल सफर और सुहाना हो जाएगा । यानि अब आपको रेल में सफर करने के दौरान बोर नहीं होना पड़ेगा। अगले महीने से रेल यात्रा के दौरान आप टीवी, सीरियल, फिल्में, छोटे वीडियो बच्चों के शो, आध्यात्मिक शो, क्षेत्रीय गीत, फिल्मी गीत, इलेक्ट्रॉनिक न्यूजपेपर, गेम और शैक्षिक सामग्री आदि की फरमाइश कर पाएंगे। दरअसल, गैर किराया मद से आमदनी बढ़ाने की जुगत में लगे रेल मंत्रालय सफर के दौरान या रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की मांग पर मनोरंजक सामग्री मुहैया कराने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
मंत्रालय ने कॉन्टेक्ट ऑन डिमांड और रेल रेडियो सर्विसेस मुहैया कराने के लिए टेंडर मंगवाए हैं और उम्मीद है कि अप्रैल से ये सेवा शुरू की जाएगी। बोस्टन कंसलटिंग ग्रुप की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार ट्रेनों और स्टेशनों पर सीओडी के जरिए रेलवे का कुल इंफोटेनमेंट मार्केट अगले तीन साल में 2255 करोड़ रूपए पहुंच सकता है। इसमें रेडियो, ऑडियो, डिजिटल म्यूजिक और डिजिटल गेमिंग शामिल है। रिपोर्ट कहती है कि इसमें कटेंट का मालिकाना हक रखने वाली कंपनियां एरोस, बालाजी प्रोडक्षन और शैमारू इंटरटेनमेंट व कंटेट एग्रीेगेटर रेडियो मिर्ची, फीवर एफएम, हंगामा, और बिंदास जैसी पार्टियां इसमें दिलचस्पी ले सकती हैं। साथ ही प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों और ऑफलाइन स्ट्रीमिंग बाजार की कंपनियों जेसे वोडाफोन, आइडिया, एयरटेल मूविंग टॉकीज, टूरिंग टॉकिज, माइफ्री टीवी, जोक के भी इसमें आने की उम्मीद है। यात्रियों के लिए एप आधारित कैब सेवाओं के लिए भी मई में टेंडर मंगवाए गए हैं।
रेलवे को किराए के इतर गतिविधियों से अगले 10 साल में 16 हजार से 20 हजार करोड़ रूपए की कमाई होने की उम्मीद है। उसकी योजना पहले साल 30 प्रतिशत ट्रेनों में सीओडी और रेल रेडियो सेवा देने की है। दूसरे साल में इसे 60 प्रतिशत ट्रेनों में मुहैया कराया जाएगा। बीसीजी रिपोर्ट के मुताबिक ऑफलाइन कंटेंट मुहैया कराने पर प्रति कोच करीब 38000 रूपए का खर्च आएगा। दूसरी तरफ इंटरनेट के जरिए कंटेंट मुहैया कराने के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने पर प्रति कोच 25 लाख रूपए की लागत आएगी। इस परियोजना पर नजर रखने के लिए रेलवे गैर-किराया मूल्यांकन समिति का भी गठन करेगी।
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