इन फनी स्टेटमेंट्स से मीडिया की सुर्खियों में छाए पूर्व जस्टिस काटजू
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पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू हर बार अपने स्टेटमेंट को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। मीडिया में हमेशा उनके स्टेटमेंट को सुर्खियों में शुमार किया जाता है। उनके स्टेटमेंट होते ही कुछ ऐसे हैं। इस बार भी उन्होंने मंहगाई को लेकर एक फनी स्टेटमेंट दिया है। उनका कहना है कि दाल, दवाइयां और प्याज महंगी हो गई हैं तो लोगों को गौमूत्र पीना और गोबर खाना शुरू कर देना चाहिए। इससे पहले भी काटजू अपने फनी स्टेटमेंट्स की वहज से मीडिया की सुर्खियां बटोर चुके हैं। तो आइए जानते हैं कब-कब काटजू ने दिए ऐसे फनी स्टेटमेंट्स…
काटजू ने महंगाई के मुद्दे को उठाते हुए ट्वीट किया ’’प्रणाम। आज से गौमूत्र पीजिए और गोबर खाइए। दवाइयां, दाल और प्याज बहुत महंगी हो गई है। उन्होंने दूसरे ट्वीट पर लिखा- ’’गो मांस खाने पर बैन है, गाय का गोबर खाने पर नहीं। इसलिए मैं आशा करता हूं कि अगर मैं गोबर खाना शुरू कर दूं तो कोई पीट-पीटकर मेरी हत्या नहीं करेगा।’’
इससे पहले काटजू ने जय प्रकाश नारायण की 113वीं जयंती के मौके पर अपने फेसबुक वाल पर पोस्ट किया था कि “जय प्रकाश नारायण भी महात्मा गांधी और अन्ना हजारे की तरह ही मूर्ख थे। काटजू ने स्टेटस की शुरूआत करते हुए लिखा, मैं जानता हूं कि लोग मेरे इस बयान के लिए मेरी आलोचना करेंगे, लेकिन जय प्रकाश नारायण के बुद्धि के बारे में मेरी बड़ी ही खराब राय है। समस्या के समाधान के लिए उनके पास कोई वैज्ञानिक विचार नहीं थे। उस पर जेपी एक और मूर्ख विनोवा भावे के शिष्य बन गए।’’
गौमांस के मुद्दे पर अपने विचार रखते हुए काटजू ने कहा था कि “चूहा, सांप, बंदर, कौआ और भैंस की हत्या पर भी रोक लगाई जाए।’’ इसके पीछे उनका तर्क था कि ये सभी जानवर किसी न किसी हिंदू देवी-देवता का वाहन है। सरकार को हिंदू मान्यताओं और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इन सभी को मारने पर रोक लगा देना चाहिए।
भगत सिंह की 108वीं जयंती पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पहुंचे काटजू ने बयान दिया था कि ’’भारत के राष्ट्रपिता की उपाधि महात्मा गांधी को नहीं बल्कि मुगल बादशाह अकबर को दी जानी चाहिए। क्योंकि मुगल बादशाह अकबर ने भारत में जिस शासकीय ढांचे की संरचना की थी, उसमें सभी धर्मों को सम्मान दिया गया था, लेकिन महात्मा गांधी ने केवल हिंदुत्व पर जोर दिया।’’
काटजू का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बर्थडे की बधाई देने का अंदाज भी मीडिया की सुर्खियों में रहा था। काटजू ने ट्वीट करके अरविंद को बधाई दी थी जिसमें उन्होंने लिखा था, ’’मैं धूर्त, शातिर और धोखेबाज केजरीवाल को बर्थडे की बधाई देता हूं, जिन्होंने दिल्ली के लोगों को सपने बेचे हैं।’’ काटजू ने केजरीवाल को चापलूसों से घिरा हुआ तानाशाह बताया था। उन्होंने ’आप’ प्रवक्ता आशुतोष को केजरीवाल का सबसे बड़ा चमचा बताया था।
तिलक को वे एक ब्रिटिश एजेंट मानते हैं। उनका कहना है कि ’मुझे पता है कि लोग मुझसे सहमत नहीं होंगे और इसके लिए मुझे गालियां भी देंगे लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता। मेरी नजर में तिलक रुढ़िवादी, अतिवादी हिंदुत्व प्रचारक और महात्मा गांधी की तरह एक ब्रिटिश एजेंट थे। उनकी विचारधारा, बयान और कार्य ब्रिटेन की फूट डालो और राज करो वाली नीति से प्रेरित लगते हैं।
जस्टिस काटजू ने हाल ही में महात्मा गांधी को ब्रिटिश एजेंट और सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट बताया था। इस बयान को लेकर संसद में भी हंगामा हुआ था।
उन्होंने सलमान रुश्दी को ’मामूली’ और ’औसत दर्जे का लेखक’ कहा था। उनका कहना था कि रुश्दी का ’मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ मुश्किल से महान साहित्य की श्रेणी में आता है।
क्रोएशिया में सुंदर महिला को राष्ट्रपति बनाए जाने पर काटजू ने कैटरीना को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा, ’’क्रोएशिया में एक सुंदर महिला राष्ट्रपति बनी हैं। आर्थिक रूप से बीमार क्रोएशिया जब मिस ग्रैबर किटरोविक को अपना राष्ट्रपति बना सकता है तो हम क्यों नहीं? मेरी सलाह है कि हम कैटरीना को अगला राष्ट्रपति चुनें। लेकिन एक शर्त पर कि वह शपथ ग्रहण समारोह में अपना फेमस गाना ’शीला की जवानी’ गाएंगी।’’
आम आदमी पार्टी में सीएम कैंडिडेट चुने जाने के दौरान ’आप’ की शाज़िया इल्मी को उन्होंने किरण बेदी से सुंदर बताया था। उन्होंने कहा था, “मेरे जैसा आदमी भी जो आम तौर पर वोट नहीं देता (क्योंकि मैं सभी भारतीय राजनेताओं को लफंगा और धूर्त समझता हूँ), शाजिया को वोट देता!“
जस्टिस काटजू ने एक सेमिनार में कहा था कि ‘90 प्रतिशत भारतीय बेवकूफ’ होते हैं जो धर्म के नाम पर आसानी से बहकावे में आ जाते हैं।
काटजू ने यह भी कहा था कि क्रिकेटरों और फ़िल्मी सितारों को भारत रत्न देना इस सम्मान का मज़ाक उड़ाना होगा क्योंकि इन लोगों का कोई ’सामाजिक सरोकार’ नहीं होता।
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