कमी नहीं है एनिमेशन में एम्प्लाॅयमेंट की
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माई फ्रेंड गणेश, हम तुम, राजू चाचा, हनूमान, महाभारत, छोटा भीम, रोबोट, रा-वन, टार्जन द वनडरकार, लव स्टोरी 2050, जजंतरम-ममंतरम, हैरी पॉटर, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स…. के बारे में गौर करें, तो पता चलता है कि इन सभी फिल्मों की खासियत एनीमेशन का प्रयोग रही है। पिछले कुछ सालों से इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया में आए बूम के कारण थ्री-डी और टू-डी एनीमेशन के बाजार में भी वृद्धि हुई है। एनिमेशन में युवाओं का उज्ज्वल भविष्य है साथ ही यह एक आकर्षक व बेहद अच्छी फील्ड भी है। लेकिन आज हम उनके लिए दो ऐसे क्षेत्रों के बारे में खास जानकारी दे रहे हैं, जो लीक से हटकर तो हैं ही, साथ ही उनमें बेहतर रोजगार की संभावनाएं भी कम नहीं हैं।
एनीमेशन
आंकड़ों की जुबानी विशेषज्ञ मानते हैं कि ‘आगामी दस सालों में भारत में एनीमेशन का काम करीब 200 गुना बढ़ेगा और आउटसोर्सिंग और होम प्रोडक्शन इस इंडस्ट्री को और बढ़ावा देगी। नासकाॅम की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय एनिमेशन बाजार का 2015 में 9,603 करोड़ रुपए का कारोबार हो जाएगा।’
कुछ अलग करने की चाह
अगर आप हमेशा कुछ रचनात्मक और नया करना चाहते हैं, तो एनीमेशन इस लक्ष्य के लिए एकदम सही प्लेटफॉर्म है। इस क्षेत्र में प्रतिदिन नई चुनौतियां मिलती हैं और इसलिए आपको लगातार नवीन सोच रखनी होती है। हालांकि, पहले इस क्षेत्र का दायरा काफी सीमित था, लेकिन अब रोज ही नए संस्थान खुल रहे हैं और लोगों के पास कई विकल्प हैं। उनके अनुसार इस क्षेत्र में प्रशिक्षित कर्मियों की तादाद कम है और यह कमी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र में रचनात्मकता और धैर्य ही सफलता की पहली शर्त है।
कहां है मौके प्रोफेशनल योग्यता वाले एनीमेटर को टीवी चैनलों और एनीमेशन प्रोडक्शन हाउस में मौके मिलते हैं। इसके अतिरिक्त वह फ्रीलांस एनीमेटर के तौर पर काम कर सकता है या अपनी एनीमेशन फिल्म भी बना सकता है। एड एजेंसियां, टीवी चैनल और इंडीपेंडेंट फिल्मकार ही उसके प्रमुख क्लाइंट होते हैं। आप इस क्षेत्र में टू-डी और थ्री-डी मॉडलर, स्पेशल एफएक्स क्रिएटर, एनिमेटर, कैरेक्टर डिजइनर, गेम्स डिजइनर और इंटर एक्शन डिजइनर के तौर पर अपना करियर संवार सकते हैं।
जरूरी है बदलाव पर ध्यान देना
एनीमेशन की दुनिया में सफलता के लिए बदलाव पर नजर रखनी चाहिए, धैर्य के साथ फिल्म और एनीमेशन के बुनियादी उसूलों को समझने की दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए, काम में बेहतरी के लिए कई बार काम को करने की इच्छा, कंप्यूटर के सामने दिनभर बैठने को तैयार होना होगा, काम और बाहर डेस्क रिसर्च काबलियत, जनजीवन के बारे में छोटी-बड़ी इमेजिनेशन और ओरिजिनल इमेजिनेश पावर होनी चाहिए।
सिर्फ डिग्री नहीं, रुचि भी जरूरी
इस इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय की डिग्री की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आमतौर पर 12वीं क्लास या उसके समांतर योग्यता काफी होती है। किसी भी सब्जेक्ट के ग्रेजुएशन हो सकते हैं, लेकिन कला, फोटोग्राफी, फिल्म निर्माण, डायरेक्शन, ड्रॉइंग, स्केचिंग, वास्तु, कुम्हारी कला या कठपुतली की पृष्ठभूमि वालों को भी कुछ स्टूडियो वाले खोजते हैं। इंदिरा गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी और माया एकेडमी ऑफ एडवांस सिनेमेटिक्स ने साथ मिलकर थ्री-डी एनिमेशन और विजुअल इफेक्ट में फुल टाइम का कोर्स है।
प्रशिक्षण
व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल, गोरेगांव (पूर्व), www.whistlingwoods.net
माया एकेडमी ऑफ एडवांस्ड सिनेमेटिक्स, www.maacindia.com
ग्राफिटी स्कूल ऑफ एनीमेशन, माहिम,
नेशनल इंस्टीटच्यूट ऑफ डिजइन,
रहेगा ताउम्र साथ
यदि आप में कौशल है, तो आपको दुनिया में कहीं भी नौकरी मिल सकती है। भारतीय एनीमेटर्स को हॉलीवुड के एनीमेशन स्टूडियो, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में हाथों-हाथ लिया गया है। उदाहरण के तौर पर, हॉलीवुड के पिक्सार स्टूडियो के तकनीकी निदेशक एक भारतीय थे। रोजगार के अवसर नेटवर्किंग के जरिए, एनीमेशन समारोहों और वेबसाइट्स पर खोजे जा सकते हैं। आप कुछ ही सालों में हर महिने एक लाख रुपए से अधिक कमा सकते हैं। इसके अतिरिक्त यह एक ऐसा करियर है, जिसे आप ताउम्र थामे रह सकते हैं। लोगों को उनकी क्रिएटिविटी साइड को दिखाने का पूरा मौका इस फील्ड में है।
क्लीनिकल रिसर्च में भी हैं मौके
क्लीनिकल रिसर्च में किसी मेडिकल उत्पाद के फायदे, नुकसान, जोखिम, किस सीमा तक प्रभावशीलता का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। मोटे तौर पर कहा जाए, तो किसी दवाई को बाजार में लांच करने से पहले उसका वैज्ञानिक अध्ययन क्लीनिकल रिसर्च के अंतर्गत ही आता है। क्लीनिकल रिसर्चर रोग के कारण और रोग के बढ़ने की प्रक्रिया, रोगी का बेहतर इलाज कैसे हो सकता है, इसका आकलन करना के बारे में भी जानकारी दी जाती है। सामान्यतः क्लनिकल रिसर्च की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी होती है।
कई कंपनियां हैं बाजर में: शिपला, रैनबेक्सी, फाइजर, जोनसन एंड जोनसन, असेंचर, एक्सेल लाइफ इंश्योरेंस, पैनेसिया बायोटेक, जुबलिएंट, परसिस्टेंट जैसी बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में मौजूद हैं। एमबीए फॉर्मा उद्योग विशेष आधारित कोर्स है। इसमें फार्मास्यूटिकल मैनेजमेंट प्रोफेशनल शामिल हैं।
कोर्स इस इंडस्ट्री में प्रवेश के लिए आपके पास बीएससी डिग्री होनी चाहिए। मुख्यतः कोर्स में दाखिले के लिए स्नातक स्तर पर आपके पास फॉर्मेसी, मेडिसन, लाइफ साइंस और बायोसाइंस विषय होने चाहिए। क्लीनिकल रिसर्च से जुड़े कई डिप्लोमा कोर्स विभिन्न संस्थानों द्वारा कराए जाते हैं। इनमें पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन क्लीनिकल रिसर्च, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन क्लीनिकल डाटा मैनेजमेंट, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फार्मेकोविजिलेंस कर सकते हैं। सामान्यतः इन कोर्सों की अवधि एक वर्ष की होती है। कोर्स को करने के बाद आपकी क्लीनिकल रिसर्च एसोसिएट, ड्रग डेवलपमेंट एसोसिएट, क्वालिटी एश्योरेंस, क्लनिकल डाटा मैनेजर जैसे पदों पर नियुक्ति होती है।
संस्थान
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च, नई दिल्ली
क्लीनिकल रिसर्च एंड क्लीनिकल डाटा मैनेजमेंट, पूणे
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च इंडिया, देहरादून
मनिपाल विश्वविद्यालय, बैंगलुरू
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