किसी भी तरह की पथरी निकालने का सटीक इलाजए ये हैं 8 हर्बल उपाय
लाइफस्टाइल डेस्कः किडनीए मूत्राशयए मूत्र नलिका आदि में पथरी का होना या बनना कोई नया या अनजाना रोग नहीं हैए लेकिन अब तक इसके इलाज के लिए कोई सटीक उपाय बाजार में उपलब्ध नही है। अनेक प्रकार के केमिकल्स से बने छोटे.छोटे कणों ;क्रिस्टल्सद्ध के जमाव के कारण पथरी की समस्या होती है। ये कण ज्यादातर कैल्शियम फॉस्फेटए कैल्शियम ऑक्सालेटए यूरिक एसिड और मैग्नीशियम अमोनियम फॉस्फेट से बने होते हैं। ज़मीन के पानी और मिनरल्स वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से पथरी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
आज हम जिक्र करेंगे कुछ परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिनके इस्तेमाल से इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है और इससे जुड़ी अन्य समस्याएं भी दूर की जा सकती हैं। इस लेख के जरिए हम जानेंगे कुछ अद्भुत जड़ी.बूटियों के बारे में जिन्हें पथरी के उपचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
गिलोय
गिलोय का वानस्पतिक नाम टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया है। वनों में पाई जाने वाली इस बेल को पथरी और पथरी से जुड़े अन्य रोगों के इलाज के लिए बहुत कारगर माना गया है। पेशाब करते समय अगर जलन महसूस होए तो गिलोय के तने का चूर्ण ;10 ग्रामद्धए आंवले के फलों का चूर्ण ;10 ग्रामद्धए सोंठ चूर्ण ;5 ग्रामद्धए गोखरु के बीजों का चूर्ण ;3 ग्रामद्ध और अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण ;5 ग्रामद्ध लिया जाए और इसे 100 मिली पानी में उबाल कर इसके काढ़े को रोगी को रोजाना दिन में एक बार पिलाना काफी फायदेमंद होता है।
पुनर्नवा
खरपतवार समझा जाने वाला यह पौधा किडनी में पथरी की समस्या को दूर करने के लिए बहुत असरदार होता है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार पथरी की वजह से कमर और पेट में दर्द होने पर पुनर्नवाए कचूर और अदरक की समान मात्रा लेकर रोगी को खिलाना चाहिए। इससे दर्द में तुरंत आराम मिलता है। आदिवासी इस मिश्रण को पानी में उबालते हैं और रोगी को दिन में दो बार एक.एक कप पिलाते हैं। माना जाता है कि यह पथरी को धीरे.धीरे गला देता है और पथरी मूत्रमार्ग से होती हुई बाहर निकल जाती है।
नोट. पथरी से जुड़े पारंपरिक हर्बल ज्ञान और उसके औषधीय गुणों के बारे में रोचक जानकारी का जिक्र कर रहे हैं डॉण् दीपक आचार्य ;डायरेक्टर.अभुमका हर्बल प्राण् लिण् अहमदाबादद्ध। डॉण् आचार्य पिछले 15 साल से ज़्यादा भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट ;मध्य प्रदेशद्धए डांग ;गुजरातद्ध और अरावली ;राजस्थानद्ध से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।
व्जीमत ीमतइे वित ेजवदमेरू सौंफए अंगूरए अमलतास की फलियों का गूदाए आंवलाए अश्वगंधा
तुलसीए दूबघास।