ग्रुप डिस्कशन में कमजोर है तो पढ़े ये टिप्स
आजकल हर कंपनी अपनी रिक्रुटमेंट प्रोसेस के अंर्तगज ग्रुप डिस्कशन जरूर करवाते हैं। ग्रुप डिस्कशन से उम्मीदवार का अपने टीम के प्रति रवैया तथा उनके साथ बिहेव करने का तरीका पता लगता है। ग्रुप डिस्कशन (जीडी) में किसी गलती की आशंका से कम बोलना या फिर चुप रहना उचित नहीं है। पहले कभी जीडी में मिली नाकामी से डर कर नई कोशिश न करना भी गलत है। अगर कभी असफलता मिली है तो उससे सबक लेने की जरूरत है। जीडी कई क्षेत्र की नौकरियों के लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग का महत्वपूर्ण चरण है। आठ से बारह लोगों के बीच अपनी बात को रखना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। ऐसे में गलतियों का होना स्वाभाविक है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि गलती हो जाने की आशंका से जीडी में कम बोला जाए या फिर चुप ही रहा जाए। जीडी में सफल होना है तो इन बातों को जानना आवश्यक है-
चर्चा में समय का रखें ध्यान
जीडी के लिए संस्थानों द्वारा सीमित समय दिया जाता है। इसी समय में सभी उम्मीदवारों को अपने विचार रखने होते हैं। ऐसे में यदि आप यह सोच कर बैठे रहते हैं कि पहले सामने वाला व्यक्ति बोले, इसके बाद मैं अपने विचार रखूंगा तो समझ लें कि आप अपनी बारी का इंतजार ही करते रह जाएंगे। इस सीमित समय को अपनी पारी के इंतजार में खोने से अच्छा है, मौका तलाश कर बोलना। जीडी में डिस्कशन की शुरुआत करने वाले को हमेशा लाभ मिलता है, इसलिए कोशिश करें कि जीडी में सबसे पहले या दूसरे नंबर पर ही बोलें। यहां जो व्यक्ति सबसे अंत में बोलता है, उसके लिए यह माना जाता है कि उसने सभी को सुनने के बाद अपने विचार बनाए हैं। और वह जो कुछ भी बोल रहा है, वो उसके अपने विचार नहीं हैं। जीडी में मिलने वाले पांच से दस मिनट के समय में टू द प्वॉइंट बोलने का प्रयत्न करें।
विचारा हो इफेक्टिव तो भाषा नही रखती मायनें
ग्रुप डिस्कशन है तो फर्राटेदार इंग्लिश ही बोलनी पड़ेगी, ऐसी मान्यता ठीक नहीं है। हां, यह सही है कि कुछ संस्थान सिर्फ इंग्लिश में ही ग्रुप डिस्कशन का आयोजन करते हैं। अंग्रेजी कमजोर है, इस बात को दिल से लगा कर निराश होने या आत्मविश्वास कम करने की जरूरत नहीं है। कई बड़े संगठन ऐसे भी हैं, जो भाषा को नहीं, बल्कि उम्मीदवार के विचारों को अहमियत देते हैं। वे हिंदी या अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं में अपनी बात रखने का मौका देते हैं। इसका फायदा उठाते हुए आप अपनी मजबूत पकड़ वाली भाषा में विचार रख कर बाजी को अपने हक में कर सकते हैं।
कान्फिडेंट रहें
डिस्कशन में खुद को दूसरे से कम आंकना सही नहीं है। यह सोच कर अपना आत्मविश्वास कम न करें कि सामने वाले उम्मीदवार कद-काठी, लुक, स्मार्टनेस या बोलचाल में आपसे बढ़ कर हैं। यह जरूरी नहीं कि जो व्यक्ति आपसे ज्यादा स्मार्ट नजर आ रहा है, वह अपनी बात भी उतनी ही स्मार्टनेस के साथ रखेगा। जीडी में सफलता पूरी तरह से टाइमिंग, आत्मविश्वास, विचारों की स्पष्टता, प्रेजेंटेशन और सही टेक्निक पर निर्भर करती है, न कि इस बात पर कि आप कैसे दिखते हैं।
दूसरों की बात न काटें
ग्रुप डिस्कशन में हर कोई बहुत ही आक्रामक तरीके से अपनी बात रखता है, लेकिन यहां एक सीमा में रह कर ही आक्रामक होना चहिए। सामने वाला व्यक्ति अगर गलत बोल रहा है तो इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप उस पर हावी हो जाएं या आक्रोश में अनाप-शनाप बोलने लगें। यदि किसी व्यक्ति ने बड़ी ही मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा है तो उस व्यक्ति की बातों को सीधे-सीधे काटना या उसे गलत ठहराना उचित नहीं है। ऐसा व्यवहार करना शिष्टाचार और अनुशासन के भी खिलाफ है। ऐसी परिस्थिति में आप कह सकते हैं कि इस मुद्दे पर मेरा नजरिया आपसे अलग है। फिर अपने दिमाग की रचनात्मकता का प्रयोग करते हुए अपने विचारों को रखें। इस दौरान उन पहलुओं पर भी प्रकाश डालें, जहां आपका नजरिया पहले बोलने वाले उम्मीदवारों की बातों से अलग हो। ऐसा करने से सामने वाले को बुरा भी नहीं लगेगा और जीडी की निर्णायक मंडली की नजर में आपका प्रदर्शन भी बेहतर हो जाएगा।
दूसरों की बातें ना बोलें
अपनी बारी आने पर दूसरों की कही बातों को दोहराना हमेशा नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है। इससे नियोक्ताओं को लगता है कि आप वही विचार रख रहे हैं, जिसे वह कुछ समय पहले ही सुन चुके हैं। जीडी का उद्देश्य किसी विषय या मुद्दे पर नए तथ्यों और नए नजरिए को सामने लाना होता है। अगर आपके बोलने से यह उद्देश्य ही पूरा नहीं होगा तो निश्चित रूप से आपका बोलना व्यर्थ हो जाएगा।
जल्दबाजी न दिखाए
ग्रुप डिस्कशन में नियोक्ताओं पर अपना प्रभाव डालने के लिए यह जरूरी नहीं कि डिस्कशन में सबसे पहले बोला जाए। पहले नंबर पर बोलने की हड़बड़ी में मन में जो आए, उसे बिना सोचे-विचारे बोलना भी नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है। ध्यान रहे यहां घबराहट में कुछ भी या ज्यादा बोलना हमेशा ही आपके प्रदर्शन के प्रतिकूल होता है, इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए। इसके अलावा कुछ लोग अपनी बात कहने में इतना उतावलापन दिखाते हैं कि अकसर मुद्दे से भटक जाते हैं। जीडी में जितना हो सके, कम शब्दों में, स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से अपनी बात को रखें। इससे दूसरे उम्मीदवारों को आपकी बातों को काटने के लिए कोई ठोस आधार नहीं मिल सकेगा।
करंट अफेयर्स से रहे अपडेट
जीडी में अकसर करंट अफेयर्स के टॉपिक होते हैं। इसलिए बीते कुछ समय में देश-दुनिया में क्या कुछ घटा है या फिर क्या कुछ घट रहा है, इसकी पूरी और सही जानकारी रखें। साथ ही उस मुद्दे के संदर्भ में अपनी एक राय भी बना लें। जीडी में जाने से दस दिन पहले की खबरों पर खास नजर रख कर आप बड़े आराम से जीडी में सफल हो सकते हैं।