- सिद्धार्थ शर्मा – 2011-जेएनसीटी से पास आउट टीसीएस में नौकरी की, फिर जॉब छोड़कर आइडिटेरियन डॉट काम के फाउंडर बने।
- सोनाली गुहा ,को-फाउंडर – 2007 में बीई करके, ट्राइडेंट में एचआर की जॉब, 2014 में नए प्रोजेक्ट से जुड़ीं।
- दानिश खान – 2011 में मैनिट से पास आउट किया, वर्तमान में देहरादून में रिमोट सेंसिंग व जीआईएस में एमटेक में अध्ययनरत, पोर्टल में कंटेंट डिजाइनिंग का काम संभाला।
- अंकित श्रीवास्तव – बीसीए अंतिम वर्ष के छात्र हैं और पोर्टल में वेब डिजाइनिंग व एनिमेशन का जिम्मा इन्होंने लिया है।
अपने हुनर की बदौलत युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं ये चार युवा दोस्त। इन्होंने मिलकर आइडिटेरियन नाम का एक ऐसा पोर्टल बनाया है जिसमें यदि आपके पास कोई नया आइडिया है और आपको ऐसा लगता है कि इस आइडिया से बना प्रोडक्ट बिल्कुल बेमिसाल होगा तो आप लॉगइन कर सकते हैं आइडिटेरियन डॉट काम पर। इस पोर्टल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां से आपको आइडिया चोरी का भी कोई डर नहीं, आपकी अनुमति के बिना कोई भी कंपनी या अन्य कोई भी आपके आइडिया पर क्लिक नहीं कर सकेगा। जिस कंपनी को भी आपका आइडिया पसंद आया तो फिर कीमत आप खुद तय करेंगे। इस पोर्टल से इनके साथ इस प्लान से 5 बड़ी कंपनियां भी जुड़ चुकीं हैं ।
दो साल पहले किया है पासआउट
दो साल पहले पासआउट करने वाले भोपाल के ही चार इंजीनियर दोस्तों ने इस पोर्टल को मिलकर बनाया है। इन सभी का दावा है कि यह देश ही नहीं, दुनिया का पहला ऐसा प्लेटफॉर्म होगा, जिसमें कंपनी अपनी जरूरत बता सकेगी और यूजर्स अपने आइडिया ऑनलाइन बेच सकेंगे।
दावे से कहा कि ये मेरा आइडिया था
यह आइडिया प्लेटफॉर्म बनने की कहानी भी बड़ी खास है। इसे बनाने वाला हैं 25 साल का सिद्धार्थ। सिद्धार्थ कहते हैं कि अप्रैल 2013 में उन्होंने कुछ गैजेट्स व इंटरफेस बनाए और मोबाइल बनाने वाली दो कंपनियों को अप्रोच किया, लेकिन दो महीने बाद भी वे उस प्लेटफॉर्म पर नहीं पहुंच पाए, जहां वो अपना आइडिया शेयर करना चाहते थे।
2013 में चायना की कंपनी ओप्पो ने एन-1 सीरिज का वह फोन लॉन्च किया, जिसमें दुनिया का पहला फ्रंट रोटेटिंग कैमरा लगा था। सिद्धार्थ का कहना है कि यह उन्हीं का आइडिया था, जिसके लिए उन्होंने कंपनियों के दफ्तरों के चक्कर काटे थे। ठीक दो महीने बाद एक अमेरिकन कंपनी पोर्टेबल चार्जर लाई, जिसमें कलाइयों व शरीर के मूवमेंट से मोबाइल फोन चार्ज हो सकता था। हालांकि यह अब तक भारतीय बाजार में नहीं है, लेकिन सिद्धार्थ का दावा है कि यह आइडिया भी उन्हीं का था।
दोस्तों संग मिलकर बनाया खुद का पोर्टल बनाने का मन
सिद्धार्थ ने अपने दोस्तों सोनाली गुहा, दानिश और एनिमेशन की पढ़ाई कर रहे अंकित से आइडेटेरियन का आइडिया शेयर किया। उस समय टीसीएस के लिए पुणे में स्टेट प्रोजेक्ट को ऑर्डिनेटर का काम देख रहे सिद्धार्थ व उसके दोस्तों ने तय कर लिया कि अब वह खुद यह प्लेटफॉर्म बनाएंगे। चारों दोस्तों ने मिलकर 2013 में इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया और 2014 में सिद्धार्थ ने पहल करते हुए टीसीएस छोड़ दिया और दिल्ली पहुंचे। एक किराए के कमरे में अपना काम शुरू किया। तीन महीने बाद को-फाउंडर सोनाली भी ट्राइडेंड कंपनी से एचआर का काम छोड़ दिल्ली पहुंच गईं। देहरादून में एमटेक कर रहे दानिश ने मार्केटिंग का काम संभाला और भोपाल में अंकित ने पीआर का फिर वे चारों दोस्त अपना सपना पूरा करने में जुट गए।
30 जुलाई को औपचारिक शुभारंभ की तैयारी
सिद्धार्थ कहते हैं कि 30 जुलाई को औपचारिक शुभारंभ होना है। हमें 2800 यूजर्स विजिट कर चुके हैं। हमसे पांच बड़ी और 9 छोटी कंपनियां जुड़ चुकी हैं। 100 से ज्यादा ग्रेजुएट्स आइडिया अपलोड कर चुके हैं। टारगेट 30 जुलाई से पहले 30 कंपनियों से टाइअप कर लें।
पोस्ट करने के लिए बनाई केटेगरी
आइडिया पोस्ट करने के लिए तीन केटेगरी हैं। पब्लिक, कंपनी और सिक्योर्ड। पब्लिक में आइडिया सबके लिए होगा। कंपनी सिलेक्ट करने पर आइडिया सिर्फ कारपोरेट यूजर्स देख पाएंगे। सिक्योर्ड में संबंधित कंपनी आपको रिक्वेस्ट भेजेगी।
इनका कॉन्सेप्ट बेहतरीन
उनका कॉन्सेप्ट बेहतरीन है। हमें मार्केट की जरूरत के अनुरुप आइडिया की जरूरत होती है। हमारे लिए उपयोगी।
राघवेंद्र बिसेन, चेयरमैन, आरबीए
यह एक आइडिया फोरम है। शुरुआती तौर पर पसंद आया।
सचिन ग्रोवर, सर्किल हेड, नोकिया