जाॅब के लिए डिग्री के साथ जरूरी है ये चीजें
जैसे ही हम कभी काॅलेज का नाम सुनते है तो हमारे जेहन में मस्ती, एन्जाॅय, दोस्ती और थोड़ी पढ़ाई आती है। काॅलेज के दिनों में मस्ती और एन्जाॅय करना बुरा नही है। लेकिन यह एक हद तक ठीक है। लेकिन मस्ती और एंजाॅय के साथ थोड़ा ध्यान फ्यूचर पर भी देना जरूरी है। कॉलेज के दिनों में फ्रेशर होना जितना सुकून देता है, नौकरी की तलाश में उतनी ही तकलीफ देता है। सरकारी नौकरियों की बात छोड़ दें तो ज्यादातर प्राइवेट नौकरियों में फ्रेशर्स के लिए न के बराबर मौके होते हैं। यहां हम उन युवाओं की बात कर रहे हैं, जो कोर्स खत्म होने के बाद कैंपस प्लेसमेंट में जॉब हासिल नहीं कर पाते। इनमें भी उन युवाओं की तादाद ज्यादा होती है, जिनके पास कोई प्रोफेशनल डिग्री नहीं होती। अगर आप भी फ्रेशर होने की वजह से नौकरी पाने में नाकाम हो रहे हैं तो कुछ बातों पर गौर करके अपनी मुश्किल दूर कर सकते हैं-
समझें कंपनी की जरूरत
जब भी आप किसी कंपनी में इंटरव्यू के लिए जा रहे है तो कंपनी की डिमांड को ध्यान में रखकर इंटरव्यू की तैयारी करें। उस कंपनी के बारे में कुछ रिसर्च जरूर करें। फ्रेशर्स को नियुक्त करने के लिए अधिकांश कंपनियां किसी प्रोफेशनल पैरामीटर को आधार नहीं बनातीं। वह उम्मीदवार में एग्रेशन (जुझारूपन) और रिलायबिलिटी (विश्वसनीयता) को परखती हैं। एक मल्टीनेशनल कंपनी में एचआर प्रोसेस से जुड़े प्रभाकर ओझा बताते हैं, फ्रेशर्स के साथ इन दिनों एक ट्रेंड तेजी से नजर आ रहा है। पहली कंपनी में काम शुरू करने के तीन से चार महीने में ही वह नौकरी छोड़ देते हैं, ताकि नई नौकरी में सेलरी हाइक पा सकें। इस वजह से पहली कंपनी का फ्रेशर के प्रशिक्षण पर किया गया खर्च बेकार चला जाता है। इसलिए इंटरव्यू के दौरान नियोक्ताओं का पूरा ध्यान फ्रेशर के एटिट्यूड और महत्वाकांक्षाओं को परखने पर होता है। इसी से नियोक्ता किसी फ्रेशर के टिकाऊपन का अंदाजा लगाते हैं इन बातों में फ्रेशर्स के लिए गौर करने वाली तीन अहम बातें हैं। पहली, इंटरव्यू में अपनी बातचीत से सकारात्मक (पॉजिटिव) एटिट्यूड प्रदर्शित करें। दूसरी, अपने लक्ष्यों को लेकर किसी तरह का उतावलापन जाहिर न होने दें। तीसरी बात, अपनी बातों और हावभाव से नियोक्ता को यह महसूस कराएं कि आप उनकी कंपनी के लिए भरोसेमंद और उपयोगी साबित हो सकते हैं।
सिर्फ डिग्री के लिए न पढ़े
आज के युग में नौकरी सिर्फ डिग्री से नही मिलती। बल्कि एक अच्छे रोजगार के लिए आपके पास अच्छी स्किल का होना भी जरूरी है। जो आपकों उस जाॅब के काबिल बनाती है। रोजगार चाहने वालों की तुलना में अब भी रोजगार के अवसर काफी कम हैं। यह बात उन रोजगारों पर भी लागू होती है, जिनके लिए डिग्रियां जरूरी हैं। रोजगार के इन सीमित अवसरों के बीच बीते दशकों में काफी शिक्षण संस्थान खुले हैं। फलस्वरूप उनसे डिग्रियां पाने वालों की तादाद भी बढ़ी है। ऐसे में कंपनियों के लिए एक जैसी डिग्री वालों के बीच से बेहतर का चयन मुश्किल हो गया है। लिहाजा कंपनियां उन युवाओं को तरजीह दे रही हैं, जिनके पास कॉलेज डिग्री के अलावा कोई स्पेशलाइज्ड सर्टिफिकेट या डिप्लोमा भी है। आज के वक्त में सिर्फ कॉलेज डिग्री के बूते नौकरी पाना आसान नहीं है। एक उदाहरण के तौर पर अगर आप सॉफ्टवेयर कंपनियों में रिक्रूटमेंट की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो आप देखेंगे कि हर पोस्ट के लिए कंप्यूटर साइंस के सैकड़ों बीटेक डिग्री होल्डर्स की अर्जियां एचआर डिपार्टमेंट में पड़ी हुई हैं। इस स्थिति में कंपनियां उन्हीं एप्लिकेशन्स को शॉर्टलिस्ट करती हैं, जिनमें उन्हें कोर शार्पनेस नजर आती है। जिस उम्मीदवार के पास अपनी कोर फील्ड की जानकारी ज्यादा होती है, उसके चुने जाने की संभावना अधिक होती है। इसलिए बीटेक के बाद अपनी फील्ड से जुड़ा कोई स्पेशलाइज्ड सर्टिफिकेट कोर्स करना फायदेमंद रहता है। जैसे बीटेक (कंप्यूटर साइंस) डिग्री होल्डर के लिए जावा, सीसीएनए या पीएचपी जैसे सर्टिफाइड कोर्स मददगार हो सकते हैं।
स्पेशलाइज्ड कोर्स भी साथ में करें
आजकल ग्रेजुएट्स के लिए तमाम तरह के सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं। इनमें रिटेल मैनेजमेंट, ट्रैवल एंड टूरिज्म, सेल्स एंड मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशन और टिकटिंग एंड रिजर्वेशन जैसे कई कोर फील्ड शामिल हैं। ग्रेजुएशन के बाद इनमें छह महीने से लेकर एक साल तक का कोई कोर्स किया जा सकता है।
काॅलेज की एक्टीविटीज में ले भाग
काॅलेज में पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधयों में भाग लेना भी आपकों जाॅब दिलाने के लिए जरूरी होता है। यहां छात्रों को एक छोटी अवधि के दौरान अपने व्यक्तित्व को नए आयाम देने का मौका मिलता है। इसलिए कॉलेज टाइम में इन अवसरों को गंभीरता से लेना जरूरी है। जब छात्रों को कॉलेज के कल्चरल या दूसरे फेस्ट से जोड़ा जाता है तो इसका एक मकसद छात्रों को मैनेजमेंट की बुनियादी समझ देना भी होता है। फेस्ट ऑर्गनाइज करने के लिए छात्र एक टीम के रूप में काम करते हुए फंड जुटाते हैं। फिर फंड को बेहतर तरीके से इस्तेमाल में लाने के लिए प्लानिंग करते हैं। इस पूरी कवायद में वह मैनेजमेंट के साथ-साथ प्रेजेंटेशन, अपने काम की मार्केटिंग और दूसरों को राजी करने का हुनर सीख पाते हैं। कॉलेज लाइफ में मिले इस हुनर का पेशेवर दुनिया में काफी महत्व होता है।
इंटर्नशिप भी अवश्य करें
पढ़ाई के साथ यदि उस विषय से संबंधित यदि कोई इंटर्नशिप आप करते है तो आपके लिए काफी फायदेमेंद साबित होे सकती है। कार्य-अनुभव के लिए कहीं इंटर्नशिप तो कहीं अप्रेंटिसशिप का नाम दिया जाता है। इन ट्रेनिंग का मकसद यही होता है कि आपने अभी तक अपने कोर्सेज के दौरान जो पढ़ा है, उसे प्रेक्टिकली करके उसका अनुभव लेना यानी यह देखना कि इंडस्ट्री में काम कैसे किया जाता है। जो युवा इस तरह की ट्रेनिंग को संजीदगी से पूरा करते हैं, वे कभी-कभी उसी संस्थान में नौकरी का ऑफर भी पा जाते हैं।
स्किल्स दिलाएंगी बेहतरीन जाॅब
कंपनियां रिक्रूटमेंट प्रोसेस में मोटे तौर पर तीन ही चीजें परखती हैं-एटिट्यूड, नॉलेज और स्किल। यहां एटिट्यूड की परख का मतलब होता है उम्मीदवार में सही समय में सही निर्णय लेने की क्षमता को जांचना। इंटरव्यू में एक सवाल अकसर पूछा जाता है-आपको क्यों चुना जाए? ऐसे मौके पर उम्मीदवार के पास वर्कशॉप में मिले अनुभवों के आधार पर अपनी नॉलेज (इंडस्ट्री संबंधी) को दर्शाने का मौका होता है। इसी तरह ईसीए से अर्जित किया हुआ अनुभव कंपनी की स्किल की मांग को पूरा करता है।
वर्कशॉप का अटेंड करें
अपनी स्टडी को प्रेक्टीकल रूप से समझने के लिए काॅलेजों में होने वाली वर्कशाप स्टूडेंट्स की काफी मदद करती है। स्टूडेंट इनमें भाग लेकर अपना नाॅलेज और अपना कान्फिडेंस दोनो ही बढ़ा सकतें है।
प्रोजेक्ट वर्क करने से छात्र यह जान पाते हैं कि उन्होंने क्लासरूम में क्या और कितना सीखा है। क्लास में सबके सामने प्रोजेक्ट वर्क प्रेजेंट करने से कॉन्फिडेंस बढ़ता है और स्टेज फोबिया भी दूर होता है। इसी तरह वर्कशॉप में शामिल होने से अपने सब्जेक्ट की प्रैक्टिकल फील्ड को समझने और उसकी चुनौतियों को पहचानने का मौका मिलता है। समग्रता में इन दोनों कार्यों को देखें तो इनसे छात्रों को नए कौशल विकसित करने का अवसर मिलता है।
कम्युनिकेशन पर भी फोकस करें
आज बहुत सी नौकरियां सिर्फ और सिर्फ अच्छे कम्युनिकेशन के बूते ही मिलती हैं। अगर आप फ्रेशर हैं और ऐसी नौकरी की तलाश कर रहे हैं, जिसमें अच्छे कम्युनिकेशन का महत्व है तो आप नए होते हुए भी बाजी मार सकते हैं, बशर्ते आपका कम्युनिकेशन दूसरों के मुकाबले ऊंचे दर्जे का हो। पब्लिक रिलेशन, मार्केटिंग ऐसे ही कुछ पद हैं, जहां आप भाषा व अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स के बूते जॉब पा सकेंगे। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स से आप सीनियर्स, साथियों समेत सभी की नजरों में अपनी इमेज बेहतर बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए थोड़ी मेहनत तो करनी पड़ेगी। इसके अभ्यास के लिए अपने दोस्तों के बीच ग्रुप डिस्कशन में हिस्सा भी लें।