Monday, September 25th, 2017 02:47:54
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डिग्री बेस नहीं नॉलेज बेस एजुकेशन जरूरी है- रोहिन रॉय




डिग्री बेस नहीं नॉलेज बेस एजुकेशन जरूरी है- रोहिन रॉय

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“एजुकेशन सिस्टम में बदलाव तो करना पड़ेंगे। बदलाव कर के ही हम नॉलेज बेस एजुकेशन बना पाएंगे। नहीं तो डिग्री बेस से जो काम चल रहा है उससे तो प्रॉब्लम आएगी ही।” शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की बात कर रहे हैं ABVP के राष्ट्रीय मंत्री रोहिन रॉय। Youthens News से हुई उनकी बातचीत में उन्होंने देश के युवाओं से निजी स्वार्थ से परे देश हित में काम करने की अपील की है।

अपनी बढ़ी हुई जिम्मेदारियों के साथ अब मध्यप्रदेश और देश के सभी छात्रों और युवाओं के लिए कार्यशील रोहिन रॉय जी के साथ, Youthens News टीम से Priya Raje Bundela की बातचीत के संपादित अंश-

Q. आपको राष्ट्रीय टीम में, राष्ट्रीय मंत्री के रूप में शामिल किया गया है तो आपकी कितनी जिम्मेदारियाँ बढ़ी हैं और इन जिम्मेदारियों के साथ छात्र हित में कैसे काम कर रहे हैं।

रोहिन रॉय- राष्ट्रीय टीम में जाने से आल इंडिया लेवल पर अलग अलग स्टेट में वहां के इंटरेस्ट के अनुसार जा सकते हैं, नेशनल लेवल पर हम स्टूडेंट रिलेटेड इशू उठा सकते हैं। अभी तक स्टेट की रेस्पेक्ट में था तो स्टेट से जुड़े मुद्दों में ही हस्तक्षेप करता था। अब आल इंडिया लेवल के मुद्दों पर भी बात करते हैं और ABVP के राष्ट्रीय मंत्री होने के नाते मैं सरकार से मांग करता हूँ। अलग लग स्टेट में जाना होता है, और खासकर राष्ट्रीय मंत्री के नाते नेशनल लेवल पर दायित्व ज़रुर बनता है पर हम लोकल स्तर पर भी उतने ही सक्रीय रहते हैं। तो ये मेरी एक राष्ट्रीय मंत्री के रूप में पहल है।

निश्चित रूप से राष्ट्रीय मंत्री में जब दायित्व ज्यादा बढ़ता है तो हमें हमारे कार्यकर्ता और स्टूडेंट्स  इशू के प्रति ज्यादा ज़िम्मेदारी से काम करना होता है। अब मेरी ये जिम्मेदारी बनती है कि कोई भी इशू अगर आया है फिर वो देश में कही का भी हो, और अगर मुझे ऐसा लगता है कि इस पर पहले काम होने की जरुरत है तो एक राष्ट्रीय मंत्री होने के नाते मैं अपनी हायर अथोरिटी को बताता हूँ कि यह इशू थोड़ा गंभीर इशू है और इसे देखने की आवश्यकता है। ये सभी दायित्व बढ़ने से थोड़ा काम का दायरा तो बढ़ता ही है।

Q. देश में आए दिन छात्र आन्दोलन, छात्र हड़तालें और यहाँ तक कि छात्रों द्वारा हिंसक घटनाएं भी बहुत ज्यादा हो रही हैं। देश विरोधी नारे लगाने का मामला हुआ जैसे, तो क्या छात्र क्यों इतने गुस्से में है, या छात्र आन्दोलन के विषयों से भटक गया हैं?

रोहिन रॉय- इसमें दो बातें हैं, पहली कि, देश में आन्दोलन होना, प्रदर्शन होना एक डेमोक्रेटिक सिस्टम है। फिर कोई भी स्टूडेंट हो, आन्दोलन और प्रदर्शन के कारण क्या होते हैं? जब नियम के मुताबिक़ कोई काम नहीं होता या फिर स्टूडेंट हित को दरकिनार कर दिया जाता है तो फिर वहां स्टूडेंट अपनी बात रखता है और जरुरत पढ़े तो आन्दोलन भी करता है।

आन्दोलन और प्रदर्शन तो आज़ादी से पहले से चलते आए हैं और आगे भी चलते रहेंगे। अब बात ये आती है कि आन्दोलन ऐसे हिंसक क्यूँ हो रहे हैं तो निश्चित रूप से इस चीज़ का तो मैं विरोध करता हूँ कि कोई भी आन्दोलन हिंसक नहीं होना चाहिए, आन्दोलन का एक तरीका होता है लोकतांत्रिक रूप से अपनी बात रखना या प्रदर्शन करना हैं तो वह कर सकते हैं।

हिंसक बनाता कौन है इसको भी देखने की आवश्यकता है, जैसे JNU में राष्ट्र विरोधी नारे लगते हैं तो वो राष्ट्र-विरोधी नारे एक विचार से प्रेरित होकर लगते हैं अब वो विचार कौन सा है? वो एक कम्युनिस्ट का विचार है और भारत विरोधी विचार है। ये वही कम्युनिस्ट लोग हैं जिन्होंने भारत से कई बार प्रश्न किये हैं, जिन्होंने चाइना-भारत युद्ध में चाइना के जीतने पर ख़ुशी मनाईं थी, जब दंतेवाडा में नक्सली हमला हुआ था तो उन्होंने ख़ुशी मनाई थी। तो basically देखा जाए तो जो हिंसक के प्रतीक हैं वो कम्युनिस्ट हैं।

आज बंगाल की स्थिति देखिये वहां जैसी हिंसक घटनाएं हो रही हैं उसमे वो यूथ को भी हिंसा में भड़का रहे हैं। तो मेरा यही पॉइंट है कि ये जो विचार है वही ज़िम्मेदार हैं इन सब के लिए। ABVP कि जहाँ तक बात है तो ABVP हमेशा से एक राष्ट्रवादी छात्र संगठन है और हमेशा अनुशासन देने के, मूवमेंट को लेकर चलता है। अन्य संगठन आंदोलनों को हिंसक बनाने का प्रयास करते हैं पर अभी छात्र धीरे धीरे समझ रहा है और इसकी प्राथमिकतायें कॉलेज और यूनिवर्सिटी के कैम्पसों में कम हो रही हैं।  

Q. ABVP, कैसे Education System और उसके Policies Makers को Valuable or Effective Education Policies बनाने के लिए Affect कर सकता है ?

रोहिन रॉय- मैं सबसे पहले ABVP का स्ट्रक्चर बताना चाहूँगा, ABVP का जो स्ट्रक्चर होता है उसमें तीन तरह के लोग काम करते हैं, फुल टाइमर, स्टूडेंट लीडर, और उपाध्यक्ष। तो हमारे यहाँ ऐसा होता है कि जब कोई इशू आता है तो तीनो लेवल पर देखा जाता है और फिर काउंसिल, रिसर्च करती है कि कहा पर क्या प्रॉब्लम है। फिर हम सेमीनार के माध्यम से, symposium के माध्यम से, अलग अलग जगह convention के माध्यम से ग्राउंड लेवल तक, कोई पॉलिसी होती है जैसे उदाहरण के लिए अभी हमने पूना में मेडीविज़न नाम से एक कांफ्रेंस किया। Basically ये मेडिकल स्टूडेंट का कांफ्रेंस था तो इसके माध्यम से मेडिकल और डेंटल फील्ड में क्या नई पॉलिसी होनी चाहिये वो ग्राउंड लेवल तक हम लोग ले कर आए। अभी हमने लखनऊ में भी एक कोंफ्रेन्स किया था एग्री-विज़न नाम से, एग्रीविज़न besically एग्रीकल्चर इशू के लिए था जिसमें इस बात पर चर्चा हुई कि इस क्षेत्र में क्या नया किया जा सकता है क्या नई योजनायें और पॉलिसी लाई जा सकती हैं।

हम जितने भी सेमिनार या कन्वेंशन करते हैं तो उसमे सिर्फ स्टूडेंट्स को बुला लिया और हम बैठ गए ऐसा नहीं होता है। वहां हम ऐसे लोगों को बुलाते हैं जो पॉलिसी बनाने में कंसल्ट पर्सन होते हैं उदाहरण के लिए एग्रीकल्चर इंडस्ट्री से लोगों को शामिल करते हैं। जिस क्षेत्र पर बात होती है उस क्षेत्र के लोगों को बुलाते हैं, ताकि स्टूडेंट्स और एक्सपर्ट्स के बीच बात हो सके।

अभी हमने हाल में ही All india Convention भोपाल में कराया जो, स्टार्टअप पर सरकार की कैसी पॉलिसी बने मध्यप्रदेश में, इस पर बेस था, इस कन्वेंशन में लगभग 13 IAS ऑफिसर्स थे और इस क्षेत्र से जुड़े बड़े लोग थे जिनकी राय मायने रखती थी, और ऐसे ही एक्सपर्ट्स के माध्यम से हर सेमीनार, और symposium में हम ऐसे मुद्दों पर बात करते हैं जो सरकार को सुझाव देने वाले होते हैं।

Q. Skill India के तहत कितना Skillful बन पाए हैं लोग?

रोहिन रॉय- अभी मैंने 2014 के पहले के आंकड़े देखे जिसमे 64 % यूथ पापुलेशन है, जिसमे वर्किंग पापुलेशन 4.6% के लगभग है जिसको स्किल्ड किया गया। लेकिंग जबसे मिनिस्ट्री स्किल डेवलप्मेंट मोदी जी लेकर आये हैं उससे निश्चित रूप से नए नए प्रोजेक्ट और जो नए प्रोग्राम NSDC के माध्यम से हो रहे हैं वो महत्वपूर्ण हैं। इससे निश्चित रूप से नए रोज़गार भी उत्पन्न होंगे।

सबसे जरुरी बात है एजुकेशन को स्किल से लिंक करना और यही बात स्किल इंडिया प्रोग्राम के तहत हो भी रही है। इस योजना को लागू हुए 2 या 3 साल हुए हैं और इससे आगे के समय में फर्क जरुर देखने को मिलेगा और ये बात सभी समझते हैं कि अगर भारत के युवा को स्किल्ल्फुल किया जायेगा तो भारत भी आगे चल कर विकास की गति और तेजी से पकड़ेगा। ये अभी शुरुआत है और इसमें अलग अलग प्रोग्राम है, स्टार्टअप प्रोजेक्ट्स हैं, तो इस तरीके से गवर्नमेंट जो लेकर आई है तो आगे समय में इसका फ़ायदा जरुर देखने को मिलेगा।

Q. क्या आपको लगता है कि वर्तमान education system, ज्यादा degree holders बना रहा है? और degree वाले बेरोजगार बढ़ते जा रहे हैं?

रोहिन रॉय- जी बिलकुल सही बात है, और इसीलिए भारत में जो स्किल india प्रोजेक्ट है या स्टूडेंट्स को स्किलफुल बनाने और एजुकेशन को स्किल से जोड़ने की जो बात मोदी सरकार द्वारा की गई है वो महत्वपूर्ण है। हमारे यहाँ जो स्टूडेंट है वो बेरोजगार क्यों हो रहा है उसके पीछे का कारण ये है कि वो इंजीनिअर तो बन रहे हैं पर वर्कएबल कितने हैं, वो आंकड़ा बहुत कम है। एक रिपोर्ट भी ऐसी आई है जिसमे कहा गया है कि देश में इंजीनिअर तो बहुत से बन रहे हैं पर स्किल्ड इन्जिनिअर्स जो हैं जो काम कर सकते हैं वो लगभग 25% ही एम्पलाएबल हैं।  

बाकी के डिग्री होल्डर तो हैं पर उनके पास कोई नॉलेज नहीं है तो कुल मिलकर हमारे एजुकेशन सिस्टम का ये ड्राबैक है कि इसको ऐसा बनाया गया है कि स्टूडेंट कॉलेज आये पढ़े और बस पास होकर डिग्री लेकर चले जाए। भारत में डिग्री जब तक एजुकेशन का पैमाना होगा तब तक ऐसे बेरोजगार इंजिनिअर बनते रहेंगे या कोई भी सेक्टर में आप ले लें, बेरोजगारी बढ़ेगी।  

जहाँ नॉलेज के ऊपर बात होगी वहां निश्चित रूप से एम्प्लॉयमेंट जनरेट होगा, क्योंकि किसी भी देश को अच्छा बनना है तो वो सिर्फ डिग्री के आधार पर नहीं बन सकेगा। कोई भी स्टूडेंट है और उसके पास नॉलेज है तो वो अच्छा कर सकेगा। कितने ही उदाहरण है देश में अगर देखा जाए कि जिनके परीक्षा में अच्छे परसेंट नहीं हैं पर फिर भी वो सफलतापूर्वक अपना काम बड़े स्टार पर कर रहे हैं। कम्पनी चला रहे हैं, किसी बड़ी कंपनी में अच्छी जॉब कर रहे हैं अफसर बन रहे हैं।

तो इस सफलता के पीछे नॉलेज होती है। तो नॉलेज बेस एजुकेशन जरुरी है और इसके लिए हमारे सिस्टम को सिलेबस अपडेट करना पड़ेगा, जगह जगह यूनिवर्सिटीस एक्ट्स में बदलाव नहीं हुए हैं उनमे बदलाव करना पड़ेगा। बदलाव कर के ही हम नॉलेज बेस एजुकेशन बना पाएंगे। नहीं तो डिग्री बेस जो काम चल रहा है उससे तो प्रॉब्लम आएगा।

Q. Accessibility of Education के लिए क्या योजनायें है?

रोहिन रॉय- मेरा इसमें यही मानना है कि Accessibility of education में यही होना चाहिये कि एजुकेशन ग्रामीण लेवल तक भी आसानी से पहुंचे।  आज देखे तो मेडिकल एजुकेशन जो है अगर मैं बड़े स्तर पर बात करूँ तो, वह बहुत महंगी हो गई है, और ग्रामीण परिवेश से आने वाले बच्चे भी चाहते हैं कि वो इस क्षेत्र में कुछ करें पर वो इसे Access नहीं कर पा रहे हैं और इसके पीछे का कारण ये है कि गवर्नमेंट द्वारा गवर्नमेंट कॉलेजस में जो सीट बढ़नी चाहिये वो नहीं बढाई जा रही हैं। अभी 5000 सीट बढ़ी हैं गवर्नमेंट मेडिकल में लेकिन प्राइवेट की फीस बहुत ज्यादा है और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले गरीब वर्ग का छात्र आर्थिक रूप से उसे अफ्फोर्ड नहीं कर पाते हैं।

सरकार को इस मामले में पॉलिसी बनाने की आवश्यकता है। सबसे बढ़ा मुद्दा ये है कि ग्रामीण परिवेश का विद्यार्थी भी उच्च शिक्षा को अच्छे से ले सके तो इसके लिए फीस में कण्ट्रोल करने की आवश्यकता है, ऐसे में एक कामन लॉ ऐसा होना चाहिये जिसमे फीस और एजुकेशन इंस्टिट्यूट की पहुँच ग्रामीण क्षेत्रों तक भी हो। उदाहरण के लिए अगर मैं मध्य प्रदेश की बात करूँ तो मध्यप्रदेश में जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल, और इंदौर ये महानगर हैं, और सरकार द्वारा जितने भी बड़े इंस्टिट्यूट हैं वो महानगर केन्द्रों में खोले गए हैं, अब जब महानगर में इंस्टिट्यूट खोले जाते हैं, पर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थीयों का क्या? उनकी भी इच्छा होती है आगे पढ़ने की और जब वो महानगर आते हैं पढने, तो उन पर रहने का खर्चा और हर तरह से एक्स्ट्रा बर्डन आ जाता है। तो वो ठीक तरह से उसको Access नहीं कर पाते हैं। अगर सरकार इस क्षेत्र में sustainable development के माध्यम से ऐसी जगहों पर भी कॉलेज खोले और वहां पर पूरी सुविधा उनको मिल सकें, तो इससे ये होगा कि ग्रामीण क्षेत्र का विद्यार्थी भी एजुकेशन पा सकेगा और सभी की एजुकेशन पूरी हो पाएगी।

Q. तो आप Accessibility of education के लिए सरकार से छोटे केन्द्रों पर भी इंस्टिट्यूट खोलने की डिमांड करेंगे?

रोहिन रॉय- ABVP की तो डिमांड हमेशा होती है और हम कई वर्षों से इस क्षेत्र में सरकार से मांग भी कर रहे हैं। हमने इस मांग को सरकार तक पहुँचाने के लिए 21 सितम्बर को भोपाल में एक बड़ा प्रदर्शन भी किया है। हर विद्यार्थी की पहुँच उच्च शिक्षा तक हो और वो अफोर्डेबल फीस में पढ़ सके और अपने सपने पूरे कर सके, यही ABVP की मांग होती है।

हमारी जो आल इंडिया कांफ्रेंस और मीटिंग होती है उसमे भी हमने स्पेशल प्रस्ताव प्रस्तुत किये हैं कि, जो एजुकेशन है वो सुलभ तरीके से हर विद्यार्थी को मिल सके। शिक्षा और चिकित्सा पर हम लोगो ने ज्यादा फ़ोर्स किया है तो ABVP आल इंडिया लेवल पर भी काम कर रही है और अलग अलग राज्यों में भी काम हो रहा है।  

Q. ज्ञान, शील, एकता, ABVP का उद्देश्य है और National Level से लेकर City Level के कॉलेज तक आप और ABVP के लाखों सदस्य काम कर रहे हैं। कितना सफल है ABVP?

रोहिन रॉय- ABVP की एक पूरी कार्य पद्धति होती है, और ज्ञान, शील, एकता, से मतलब ये है कि ABVP व्यक्ति निर्माण पर ज्यादा फोकस करती है। हमारे जो कार्यकर्ता होते हैं वो basically स्टूडेंट्स ही होते हैं उन्ही को एक कार्यकर्ता की जिम्मेदारियां सौपी जाती हैं। हम ज्ञान, शील, एकता, के अपने उद्देश्य के अनुसार अपने कार्यकर्ता में अनुशासन लेकर आते हैं। उदाहरण के तौर पर हमने दिल्ली में साल 2000 में एक प्रदर्शन किया था जो बहुत शांतिपूर्ण रहा था,वही उससे पहले अन्य संगठन ने जो प्रदर्शन किया था जिसमे बहुत परेशानी हुई थी। हम लोग जब कभी भी कोई मूवमेंट लीड करते हैं  तो जो ज्ञान, शील, एकता बताया तो एकता में स्टूडेंट कम्युनिटी है और स्टूडेंट कम्युनिटी को एक साथ ले कर करते हैं। ज्ञान में हम अलग अलग विषयों पर बात करते हैं जिससे हम हमारे कार्यकर्ता को अलग अलग विषयों पर एजूकेट करते हैं। तो कुल मिलकर हमारे कार्यकर्ता को बस यह नहीं होता कि स्टूडेंट है और ABVP का कार्यकर्ता है, हम उसको स्टूडेंट के नाते अन्य विषयों का भी नॉलेज देते हैं, काम करने का तरीका सिखाते हैं, अनुशासन सिखाते हैं, और ये सब हमारी ऊपर की इकाई से लेकर ग्राउंड लेवल तक के सभी कार्यकर्ताओं के लिए होता है।

Q. ऐसा कहा जाता है कि ABVP स्टूडेंट्स के बीच Educational मुद्दे हो या फिर Studies से जुड़े मुद्दे हो उनसे हट कर हिंदुत्व और धर्म की बात ज्यादा करती है तो इस पर आप क्या कहेंगे?

रोहिन रॉय- मैं सबसे पहले ये कहूँगा कि ABVP में हर साल मेम्बर बनाए जाते हैं तो हम मेम्बर बनाने के लिए स्टूडेंट्स से अलग अलग फॉर्म भरवाते हैं जिनमें अलग अलग कॉलम होते हैं और उनमें ऐसा कहीं नहीं पूछा जाता है कि उनका धर्म कौन सा है या जाती कौन सी है। अफवाहें फैलाना तो कुछ लोगों की आदत में आ चुका है। और वो अफवाहें फ़ैलाने का प्रयास करते हैं।

ABVPइस देश के सभी विद्यार्थियों का संगठन है और हम ये धर्म- जाती, इन सब से ऊपर उठ कर काम करते हैं। अगर धर्म की बात करें तो हमारे संगठन में कई मुस्लिम लोग भी दायित्वान कार्यकर्ता हैं। तो कुल मिलाकर ये तो सब अफवाहें फैलाई जाती हैं। हमारा तो सिर्फ एक ही एजेंडा है कि व्यक्ति कोई भी हो वो राष्ट्रवाद के लिए समर्पित हो और इसको लेकर ABVP सतत प्रयासरत है।

Q. अभी हाल में हुए CET में भी 400 students परेशान हुए, वह ABVP का क्या रोल रहा।

रोहिन रॉय- इस विषय में दो तीन चीज़े समझने की आवश्यकता है, अभी DAVV ने जो CET एग्जाम कराया है तो ये पहली बार ऑनलाइन एग्जाम करवाने का प्रयास किया गया है DAVV के द्वारा। अभी तक जो ऑफलाइन एग्जाम होती थी उसमे शिकायते आती थीं कि कभी एग्जाम में देरी हुई या ये अंदेशा हुआ करता था कि एग्जाम में धान्द्ली की कोशिश हुई।  इस बार DAVV ने ऐसे ऑनलाइन एग्जाम कराया है तो निश्चित रूप से एक बात तो तय है कि इस विषय को लेकर पारदर्शिता रहेगी।

Q. UGC ने अभी NET एग्जाम में जो बदलाव किये हैं, साल में होने वाली दो एग्जाम को सिर्फ नवंबर में एक बार लेने का फैसला लिया है तो इस पर क्या कहेंगे?

रोहिन रॉय- ये NET एग्जाम का जो मामला है उसमे UGC ने जो मनमाना फैसला लिया है वो छात्रों के हित के अनुसार नहीं है। ये सही है कि अब NET देने वाले विद्यार्थियों का एक मौका कम हो जायेगा और प्रतियोगिता भी बढ़ेगी। UGC को इस मामले में विचार करना चाहिये। दिल्ली में UGC के बाहर छात्रों ने जो प्रदर्शन किया है  वो जायज है क्योंकि छात्रों के हक़ को UGC द्वारा कम किया गया है। UGC को ऐसे फैसले लेना बंद करने चाहिये।

युवाओं को संदेश

मैं आपके माध्यम से सभी युवाओं से यही कहना चाहूँगा कि ये देश हमारा है, आपका अपना है। देश का युवा देश के लिए समर्पित हो और सिर्फ नौकरी पाने या कमाने के लिए पढ़ाई न करे, कुछ सीख कर अपने देश की सेवा और बेहतरी के लिए काम करने का प्रण ले। और यही मेरे और ABVP के सभी सदस्यों के विचार हैं।

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