डिजिटल गैजेट्स युवाओं में बढ़ा रहे डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या
क्या आपको भी आंखों में इरिटेशन होता है या फिर धुंधला नजर आने लगा है। नेक और बैक पैन के साथ सिर दर्द की भी परेशानी बढऩे लगी है। अगर ऐसा है तो आपकी इस हालत के जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि आपके डिजिटल गैजेट्स हैं। जी हां, ये सच है। दरअसल, विजन काउंसिल द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में पाया गया है कि अधिकतर लोग केवल टेक्नोलॉजी के बढ़ते ट्रेंड के कारण डिजिटल आई स्ट्रेन के शिकार हो रहे हैं। सर्वे में शामिल लोगों में 73 प्रतिशत लोगों में डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या देखने को मिली। इस दौरान 90 प्रतिशत ने माना कि वे हर दिन दो घंटे से ज्यादा समय डिजिटल डिवाइस के सामने बिताते हैं। जहां पुरूषों में ये समस्या 60 प्रतिशत है, वहीं 70 प्रतिशत महिलाएं डिजिटल आई स्ट्रेन की शिकार हैं।
आई स्पेशलिस्ट डॉ.सुरेन्द्र भसीन के अनुसार आंखों पर जब किसी चीज का ज्यादा दबाव पड़ता है तो स्ट्रेन होना जाहिर है। डिजिटल डिवाइस से निकलने वाली रोशनी इतनी तेज होती है कि ये आंखों को तेजी से प्रभावित करती है। यदि लगातार तीन घंटे कोई भी व्यक्ति इस स्क्रीन के सामने बैठा रहेगा तो डिजिटल आई स्ट्रेन की संभावना दोगुना बढ़ जाती है। उनके अनुसार आज हमारे पास आने वाले लोगों में ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ी है जो आंखों में जलन, थकान , रेडनेस की समस्या लेकर आते हैं। जो समस्या लोग 40 के बाद लेकर आते थे, वहीं ये समस्या अब युवा 25 की उम्र में लेकर आ रहे हैं। इससे निजात पाने के लिए उन्हें डिजिटल डिवाइस पर समय बिताना कम करना होगा ।
मल्टीपल डिवाइस पर समय बिताने से बढ़ रही समस्या-
अगर कुछ बातों की तरफ ध्यान दें तो देखेंगे कि आज के युवा खासतौर से बच्चे एक नहीं बल्कि मल्टीपल डिवाइसेस के सामने आंखें गढ़ाए बैठे रहते हैं। इन डिवाइस की फ्रिक्वेंसी व्यक्ति को आई स्ट्रेन दे सकती है।
कंप्यूटर, आईपैड और स्मार्टफोन है कारण-
कंप्यूटर, आईपैड और स्मार्टफोन्स की स्क्रीन्स ही लोगों में डिजिटल आई स्ट्रेन की परेशानी बढ़ा रही है। इनमें से निकलने वाली ब्लू लाइट या हाई एनर्जी विजिबल लाइट आंखों को प्रभावित करती है। ये किसी डिवाइस से निकलने वाली रोशनी से कई गुना असरदार और खतरनाक होती है। कई स्टडीज में ये भी पाया गया है कि इन डिवाइस से निकलने वाली ब्लू लाइट नींद में खलल डालने के साथ ही क्रॉनिक डिसीस के लिए भी जिम्मेदार है।
उम्र के अनुसार डिजिटल आई स्ट्रेन-सर्वे में उम्र के अनुसार सामने आए कुछ ऐसे तथ्य-
20 की उम्र – 87 प्रतिशत युवा दो और दो से ज्यादा डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। 73 प्रतिशत युवाओं में डिजिटल आई स्ट्रेन के सिंप्टम्स देखे गए।
30 की उम्र – 67 प्रतिशत युवा पांच और उससे भी ज्यादा घंटे हर दिन डिजिटल डिवाइस के सामने समय बिताते हैं, जिनमें से 69 प्रतिशत लोग डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या से ग्रसित पाए गए।
40 की उम्र – 66 प्रतिशत लोगों मे डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या देखी गई।
50 की उम्र – करीब 65 प्रतिशत लोग इस बीमारी से ग्रसित दिखे।
60 की उम्र – 53 प्रतिशत लोगों को डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या थी।
विजन काउंसिल ने डिजिटल आई स्ट्रेन से निजात पाने के लिए दिए कुछ सुझाव-
– यदि आपको ज्यादा समय तक कंप्यूटर के सामने बैठना आपकी मजबूरी है तो आप आई वियर और ग्लासेस पहन सकते हैं। ये डिजिटल आई स्ट्रेन के सिम्पटम्स को काफी हद तक कम करने में आपकी बहुत मदद करेंगे।
– 20-20-20 रूल को अपनाएं। लगातार डिजिटल डिवाइस के सामने बैठे रहने से अच्छा है कि हर 20 मिनट में स्क्रीन के सामने से 20 मिनट का ब्रेक लेते रहें। ध्यान रहे कि डिजिटल डिवाइस आपकी आंखों से 20 फीट दूरी पर होना चाहिए।
– कई बार आई स्ट्रेन का एक कारण स्क्रीन पर इस्तेमाल होने वाले छोटा टेक्स्ट साइज होता है। बेहतर होगा कि कंप्यूटर पर काम करते समय आप टेक्स्ट साइज को बढ़ा लें । इन सुझावों की मदद से आई स्ट्रेन की समस्या से निजात पाई जा सकती है।
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