थीम पार्टियां रू पुरानी यादों को दें नए रंग
रोशनी के पर्व दीवाली को हर कोई खास अंदाज में मनाना,,,,,
एक छोटा सा घरए 4 जोड़ी कपड़ेए 2 जोड़ी जूतेचप्पलण् न सोफाए न डायनिंग टेबलए न किंगसाइज बैडए न ड्रैसिंग टेबलण् रसोईए मौड्युलर तो छोडि़एए गैस तक नहीं होती थी उस जमाने मेंण् सिगड़ी पर खाना बनता था और पीतल के 5.10 बरतनों से रसोई सजती थीण् तब दीवाली आते ही इस का शोर अंदर से उठता था जैसे फूल से परागकण फूट पड़ते हैंण् दीवाली आने की खुशी तभी से महसूस होने लगती थी जब घर की सफाई की जाती थीण् बसए 1.2 दिन में ही सफाई का काम निबट जाता थाण्
उस वक्त घर में इतना सामान ही नहीं होता था कि सफाई में ज्यादा दिन लगेंण् सफाई के बाद कचरे में बच्चों की पुरानी किताबकौपियांए मुड़ातुड़ा तारए एकआधे खेलखिलौने ही निकलते थेण् पुराने कपड़ों को भी दीवाली की सफाई के साथ निकाल दिया जाता थाण् इन सभी को बच्चे बहुत ही शौक से घर निकाला दे देते थेण् तभी मेरी कड़कड़ाती आवाज आतीण् यह सामान फेंक क्यों दिया हैघ् उन सारे सामान का मैं औडिट करता और फिर से कूड़े में फेंका गया सभी सामान वापस घर में जगह पा जाताण् बच्चे भुनभुनाते कि पिताजी को कूड़ा समेटने का शौक हैण् लेकिन जिस सामान को बच्चे कूड़ा समझ कर फेंक देते थे उसे मैं यादों की पोटली में बांध लिया करता था ताकि भविष्य में नई पीढ़ी को पुरानी स्मृतियों का तोहफा दे सकूंण्
अपनी बात पूरी होने के साथ ही कानपुर के सत्यप्रकाश गुप्ता अपने घर की ओर इशारा करते हैंण् उन के घर जा कर यह समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि उन की स्मृतियां हैं या वास्तविकताण् जो भी कहिएए इस दीवाली सत्यप्रकाशजी ने अपने बेटे और बहू के लिए पार्टी की यही थीम चुनी हैण् उन की तरह न जाने कितने मातापिता हैं जो यादों के पुराने पिटारे से निकले सामान को थीम का जामा पहना अपने बच्चों की दीवाली खास बनाएंगेण् आइएए जानें कुछ ऐसी थीम जो यादों को ताजा कर देंगीण्
दीवाली के खेलखिलौने
मिट्टी के बरतनए दीए और गुजरियाण् इन सभी का अपना पारंपरिक महत्त्व है लेकिन बच्चों की नजर में इन खिलौनों की बड़ी अहमियत हैण् वर्तमान युग में बढ़ती आधुनिकता ने इस अहमियत को कम जरूर कर दिया है लेकिन आज भी जब पुराने समय के इन खिलौनों पर नजर पड़ती है तो बचपन की अठखेलियां याद आ जाती हैंण् आप ने यदि इन खिलौनों को सहेज कर रखा है तो इस दीवाली आप इन्हें पार्टी थीम बना सकते हैंण्
खिलौनों को घर के सैंटर पाइंट या हर कोने पर डिसप्ले करेंण् लेकिन काम सिर्फ डिसप्ले करने से नहीं बनेगाण् हर खिलौने के साथ ही उस से जुड़ी स्मृतियों को शब्दों में लपेट कर खिलौने के आसपास रख देंण् जब आप के बच्चों की नजर उस पर पड़ेगी तो उन की आंखों पर चढ़ी अतीत की धुंधली परत साफ हो जाएगी और उस खिलौने से जुड़ी पुरानी बातें याद कर उन के चेहरे पर जो प्रसन्नता दिखेगी वह आप की दीवाली में और भी उमंग भर देगीण् खिलौने के तौर पर जरूरी नहीं कि आप सिर्फ मिट्टी के बरतन और दीयों को ही डिसप्ले करेंए आप अपने बच्चों के किसी भी बचपन के खिलौने को इस थीम पार्टी में डिसप्ले कर सकते हैंण् हो सकता है कि उन खिलौनों की स्थिति इतनी सुधरी हुई न हो कि उन्हें डिसप्ले किया जाए लेकिन ऐसा न सोचेंण् आप स्मृति के तौर पर यह भी लिख सकते हैं कि खिलौने की जो दशा है वह हुई कैसेण् आप के बच्चे इस थीम पार्र्टी को ऐंजौय करने के साथ ही भूलीबिसरी यादों को भी ताजा कर सकेंगेण्
नए फ्रेम में यादें पुरानी
तसवीरें तो हर घर में थोक के भाव होती हैं लेकिन यादगार तसवीरें उन में से चुनिंदा ही होती हैंण् ऐसी यादगार तसवीरों को बंद एलबम से बाहर निकालें और नए फ्रेम में मढ़वा के पार्टी थीम बनाएंण् इस बेहद दिलचस्प थीम के लिए आप उन तसवीरों का चुनाव करें जो आप के बच्चों के 2 पीढ़ी पहले की होंण् ऐसा इसलिए क्योंकि खुद की तसवीरें तो आप के बच्चों ने कई बार देखी होंगीए इसलिए इस दीवाली उन्हें घर के पूर्वजों से मुखातिब होने का मौका देंण् खासतौर पर अपनी बहू और दामाद को परिवार के उन सदस्यों से परिचित कराएं जिन्हें न तो उन्होंने कभी देखा और न उन के बारे में सुनाण् वैसे खाली तसवीर दिखाने से बात नहीं बनेगीण् आप तसवीरों के साथ तसवीर में मौजूद प्रत्येक सदस्य की कोई खास बात भी उन्हें जरूर बताएं ताकि वे उन के व्यक्तित्व से भी परिचित हो सकेंण्
जाहिर हैए तसवीरें पुरानी होंगी तो उन की बनावट में कुछ खामी तो आ ही गई होगीण् इस के लिए आप चुनी हुई पुरानी तसवीरों को किसी फोटो एडिटर के पास ले जा कर फोटोशौप की मदद से सुधरवा सकते हैंए साथ ही यदि तसवीरें ब्लैक ऐंड व्हाइट हैं तो उन्हें रंगीन करवा सकते हैं या कोई भी स्पैशल इफैक्ट डलवा कर उन की हालत को दुरुस्त करवा सकते हैंण् यह सब करवाने में आप का ज्यादा खर्र्चा नहीं आएगाण् तसवीरें तैयार हो जाने पर उन्हें सुंदर से फ्रेम में मढ़वा कर घर की दीवारों पर सजा देंण्
यादगार कपड़े और गहने
हर मातापिता अपनी संतान के कपड़ों को यादगारस्वरूप एक गठरी में सहेज कर जरूर रखते हैंण् आप ने भी जरूर कुछ ऐसे ही कपड़ों को पोटली में बांध कर रखा होगाण् अब इस पोटली को खोलने का समय आ गया हैण् इस दीवाली अपने बच्चों को उन्हीं के पुराने कपड़ों का डिसप्ले कर उन्हें पुरानी यादों में ले जाएंण् खासतौर पर उन के बचपन के पसंदीदा कपड़ों का डिसप्ले कर उन्हें उस कपड़े से जुड़ी कोई दिलचस्प कहानी याद दिलवाएंण्
इतना ही नहींए आप अपने पुराने कपड़ों को ड्राईक्लीन या उन का मेकओवर करा कर दीवाली वाले दिन पहनेंण् आप को पुराने परिधानों में देख कर आप के बच्चों की पुरानी यादें ताजा हो जाएंगीण् खासतौर पर महिलाएं पुरानी साडि़यों को संदूक से निकाल कर पहनेंए इस के साथ ही यदि आप के पास पुराने जमाने के जेवर हों तो उन्हें भी पहनेंण् हो सके तो अपनी बहू या बेटी को अपनी कोई पुरानी साड़ी का मेकओवर करा कर दीवाली पर भेंट करेंण् पुराने कपड़ों को डिसप्ले करने का भी एक खास तरीका हैण् इस के लिए आप टैडीबियर खरीद लें और उन्हें ये कपड़े पहना कर घर में सजा देंण् आप के बच्चे जब अपने बचपन के कपड़ों का इस तरह डिसप्ले देखेंगे तो जिंदगीभर के लिए यह थीम पार्टी उन के मन में बस जाएगीण्
रंगोली में भरें उमंग के रंग
पुराने समय में घर को सजाने में सब से महत्त्वपूर्ण योगदान होता था रंगोली काण् दीवाली की सुबह ही महिलाएं घर के आंगन और द्वार को रंगोली से सजा देती थींण् आधुनिकता ने जैसेजैसे पैर पसारेए रंगोली की जगह स्टिकर्स ने ले लीण् भले ही अब लोग समय की कमी की वजह से रंगोली की जगह रंगोली स्टिकर्स लगा लेते हों लेकिन रंगोली का क्रेज नई पीढ़ी में भी देखने को मिलता हैण् तो क्यों न आप अपने बच्चों के इस क्रेज को पूरा करने में उन की मदद करें और घरआंगन को रंगोली से सजाएंण्
मिठास पुराने पकवानों की
दीवाली आते ही मिठाइयों की दुकानें तरहतरह के पकवानों से सज जाती हैंण् समाज में रेडीमेड मिठाई खरीदने का ही फैशन हैण् पहले ऐसा नहीं होता थाण् दीवाली के सारे पकवान घर पर ही तैयार किए जाते थेण् दीवाली के हफ्तेभर पहले से ही घर की महिलाएं पकवान बनाने में जुट जाती थींण् गुझियाए नमकीन और चाशनी में पगी मिठाइयों का ही दौर थाण् घर की रसोई से आने वाली पकवानों की खुशबू दीवाली की उमंग को दोगुना कर देती थीण् बच्चों की जीभ खूब लपलपातीण् वे काम के बहाने रसोई में आते और मां की नजर जरा सी हटती कि मुट्ठी में जो भी आताए ले कर भाग जातेण् मां बसए चिल्लाती रह जातींण् तो क्यों न इस दीवाली आप अपने बच्चों को उसी दौर में ले जाएं और सारे पकवान घर पर ही तैयार कर उन्हें पुराना स्वाद याद करवाएंण्