दुनिया के टॉप 50 रेस्त्रां में इंडिया 17वें नम्बर पर
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ब्रितानी मैगज़ीन ‘रेस्टॉरेन्ट’ ने अपनी मैगज़ीन में एक सूची जारी की है जिसमे किये गए सर्वे के मुताबिक़ केवल एक इंडियन रेस्टॉरेन्ट दुनिया के टॉप 50 रेस्टॉरेन्ट की सूची में अपनी जगह बना पाया है और हैरानी की बात ये है कि ये इंडिया से नहीं बल्कि थाइलैड से है इस रेस्त्रां का नाम है ‘गगन’। ब्रितानी मैगज़ीन ने अपनी ‘रेस्टॉरेन्ट’ नामक मैगजीन में दुनिया भर के शेफ, रेस्त्रां मालिकों, खाने के शौकीनों और रेस्त्रां आलोचकों के बीच एक सर्वे किया और दुनिया के बेहतरीन 50 रेस्त्रांओं की सूची जारी की जिसमें पहले नंबर पर है डेनमार्क का ’नोमा’ रेस्त्रां, जो अपने नॉर्डिक व्यंजनों के लिए बेहद मशहूर है जबकि इसी सूची में जगह पाने वाले इकलौते भारतीय रेस्त्रां ’गगन’ को 17वां नम्बर प्राप्त हुआ है।
इस रेस्त्रां के मालिक ‘शेफ गगन आनंद’ 2007 में बैंकाक गए। कोलकाता में जन्मे ‘शेफ गगन’ ने त्रिवेंद्रम के भारतीय होटल मैनेजमेंट संस्थान से पढ़ाई की है। बेशक ‘गगन’ भी अपने व्यंजनों के लिए मशहूर हैं लेकिन उनकी ख़ासियत है कि वे व्यंजनो में कुछ अनूठे प्रयोग करते हुए भारतीय पारंपरिक स्वाद को बरकरार रखते हैं। ‘गगन’ खाना बनाने के मामले में अपनी दादी के तरीकों से बेहद प्रभावित रहे।

शेफ़ गगन आनंद
सैलिब्रिटीस भी थे उनके प्रशंसक
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी शेफ गगन के रेस्त्रां की तरीफ़ करने से नहीं चूके थे। शेफ गगन बताते हैं कि माननीय अब्दुल कलाम जैसे विनम्र व्यक्ति उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा। उन्हें उपमा या इटली जैसा सामान्य नाश्ता पसंद था। इसके अलावा पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति ’बिल क्लिंटन’ के लिये भी गगन खाना बना चुके हैं।
शेफ गगन के एक व्यंजन का नाम चौपाटी ईयर 2050 है जिसे वे ‘दही का धमाका’ कहते हैं। ये व्यंजन कुछ नहीं बल्कि दही, आम की चटनी और कुरकुरे आलू के साथ चाट पपड़ी को नए सिरे से पेश करना है। जब ये किसी के मुंह में जाता है तो वह भारतीय फ्लेवर का कायल हुए बिना नही रहता।
जब शेफ गगन से पूछा गया कि भारत के किसी रेस्त्रां को टॉप50 में क्यों जगह नहीं मिल पाई तो उन्होंने कहा कि भारतीय रेस्त्राओं को उस तरह का एक्सपोज़र नहीं मिलता है।
वो कहते हैं,”जब आप भारत में रेस्त्रा मालिकों से बात करें तो उनकी ज़ुबान पर बस यही बात रहती है कि पिछले महीने उन्होंने कितनी कमाई की। कोई इस बारे में बात नहीं करता है कि कौन सा नया व्यंजन उन्होंने अपने ग्राहकों को परोसा। भारतीय रेस्त्रां पैसों के लिए चलाए जाते हैं नकि उत्साह और जुनून के लिए।”
Courtesy-By BCC
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