देश ही नहीं, विदेशों में भी हैं गणेशा
गणेश उत्वस शुरू हो चुका है। भारत के कई हिस्सों में गणेश उत्सव की धूम मची हुई है। ऐसे में आपको यह जानकर हैरानी होगी गणेशजी की पूजा का प्रचलन सिर्फ गुजरात, महाराष्ट्र या फिर संपूर्ण भारत में ही नहीं विदेशों में भी था। पूर्व में हुई खुदाई के दौरान इस बात के प्रमाण मिले हैं। मध्य एशिया, चीन, जापान और मैक्सिको में हुई एक खुदाई में गणेश और लक्ष्मीजी की मूर्तियां पाई गई हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि गणेश पूजा का प्रचलन कितना व्यापक था। कई देश तो ऐसे हैं जहां आज भी श्रीगणेश पूजे जाते हैं। इसके अलावा कंबोडिया, बर्मा, मलेशिया, थाईलैंड, जावा, सुमात्रा, तिब्बत आदि भारतीय उपमहाद्वीप के राष्ट्रों में भी गणेश पूजा के प्रचलन के प्रमाण मिलते हैं।
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पश्चिम में रोमन देवता 'जेनस' को गणपति के समकक्ष माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब भी इतालवी व रोमन पूजा-अर्चना करते थे तो वे अपने इष्ट 'जेनस' का नाम लेते थे। 18वीं शताब्दी के संस्कृत के प्रकांड विद्वान विलियम जोन्स ने जेनस व गणेश की पारस्परिक तुलना करते हुए माना है कि गणेशजी में जो विशेषताएं पाई गई हैं, वे सभी जेनस में भी हैं। रोमन व संस्कृत शब्दों के उच्चारण में भी ठीक वैसी ही समानता पाई जाती है जैसी कि जेनस और गणेश में।
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