नेशनल एंथम डे : 60 प्रतिशत लोगों को आज भी याद नहीं है हमारा राष्ट्रगान…
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हमारा राष्ट्रगान जन-गण-मन हमारी आन, बान और शान है। इसके बजते ही हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं और जुबान खुद इस गान को गाने के लिए मजबूर हो जाती है। वाकई उस समय हमें अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस होता है। लेकिन आश्चर्य तो इस बात का है कि जो राष्ट्रगान हमारी शान है, उसे भारतीय नागरिक आज भी पूरा नहीं गा सकता। जी हां, आपको ये जानकर यकीन न हो लेकिन सच तो यही है कि आज भी 60 प्रतिशत भारतियों को राष्ट्रगान न तो याद है और न ही वे इसके सही बोल सुना सकते हैं। इतना ही नहीं अगर बात देश के राजनेताओं की करें तो आंकड़ा आम नागरिकों से कहीं ज्यादा है। लगभग 70 प्रतिशत राजनेताओं को जन-गण-मन याद नहीं है। कभी उन्हें हमारा राष्ट्रगान सुनाने के लिए कहा जाए, तो वे दो लाइन से ज्यादा नहीं सुना सकते। पूर्व रिटायर्ड डीएसपी व तिरंगा अभियान प्रमुख रवि अत्रोलिया का कहना है कि हमारा राष्ट्रगान हमारी शान है। स्कूल से लेकर अब तक व्यक्ति जन-गण-मन सुनता आ रहा है लेकिन शर्म इस बात पर आती है कि उसे हमारा राष्ट्रगान पूरा याद तक नहीं है। इसके लिए हम अपने अभियान के द्वारा लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रचार-प्रसार होना है जरूरी-
रवि अत्रोलिया कहते हैं कि लोगों को राष्ट्रगान याद न होने का कारण इसका सही प्रचार-प्रसार न होना है। जिस तरह किसी फिल्म या गाने का प्रचार-प्रसार होता है, तो उसके बोल बच्चे से लेकर बूढ़े को याद हो जाते हैं, इसी प्रकार हमारे राष्ट्रगान का भी प्रचार हो तो यकीनन ही बदलाव आएगा।
आदेश के बाद भी हो रहा उल्लंघन-
कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान खड़ा होना जरूरी है इस आदेश को जहां ज्यादातर लोगों ने माना है वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने में शर्म महसूस होती है। जबकि भारतीय कानून के अनुसार राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने को भी अपराध माना गया है। इस मामले में रवि अत्रोलिया का कहना है कि व्यक्ति को जिस चीज की आदत न हो, उस पर अमल करना बहुत मुश्किल होता है। अगर उल्लंघन हो रहा है, तो उसका भी यही कारण है कि लोगों को उसके सम्मान में खड़े होने की आदत नहीं है हालांकि धीरे-धीरे सुधार आ रहा है।
कब-कब हुआ हमारे राष्ट्रगान का निरादर-
– अगस्त 2014 में 25 साल के स्टूडेंट को सिर्फ इसलिए अरेस्ट कर लिया गया था कि वह राष्ट्रगान के दौरान खड़ा नहीं हुआ साथ ही उसने हूटिंग करना भी शुरू कर दी थी।
– चेन्नई सिनेमा हॉल में एक मुसलिम फैमिली को राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था जिस पर काफी हंगामा हुआ था।
– 2008 में प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के तहत यूनियन मिनिस्टर शशि थरूर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उन्होंने राष्ट्रगान बजने के दौरान अमेरिकन तरीके से अपना दायां हाथ लेफ्ट साइड के चेस्ट पर रख दिया था जिसके कारण उन्हें भरी सभा में अपमान भी सहना पड़ा।
– मुम्बई के जुहू थिएटर में एक्ट्रेस अमीषा पटेल के राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर काफी कंट्रोवर्सी हुई थी। एक्टर खुशाल टंडन ने उनके खिलाफ शिकायत की थी कि राष्ट्रगान के दौरान वे खड़ी न होकर बल्कि बैठकर अपना मोबाइल चैक कर रही थीं।
नहीं पता राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर-
कभी किसी व्यक्ति से अचानक पूछ लिया जाए कि हमारा राष्ट्रगान कौन सा है, तो वह उसका सही जवाब नहीं दे पाएगा। इस मामले में हमने बीस लोगों से जानने की कोशिश की जिसमें से 12 का जवाब था वंदे मातरम्। वहीं 5 लोगों ने जहां सारे जहां से अच्छा.. गीत को हमारा राष्ट्रगान बताया वहीं केवल 3 ही ऐसे थे, जिन्होंने जन-गण-मन को हमारा राष्ट्रगान बताया। तिरंगा अभियान प्रमुख रवि अत्रोलिया का इस बारे में कहना है कि हमारे राष्ट्रगान के प्रति सम्मान दिल से निकलना चाहिए और जिसका हम सम्मान और आदर करते हैं, उसके बारे में हमें सब पता भी होना चाहिए। हमारा अभियान ऐसे ही लोगों को जागरूक कर रहा है।
राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े न होना भी है क्राइम-
भारतीय कानून में प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के तहत राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होना और किसी प्रकार के शोर-गुल को राष्ट्रगान का निरादर करना भी एक क्राइम है। एक्ट के मुताबिक राष्ट्रगान में खड़ा होना हर भारतीय नागरिक की मॉरल ड्यूटी है जिसे हर भारतीय को निभाना चाहिए। ऐसा न करने पर व्यक्ति को तीन साल की कैद का प्रावधान है या फिर उसे जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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