पब्लिक स्पीकिंग को बनाये इन तरीकों से बेहतर
आपकी काॅलेज या स्कूल लाइफ में कई बार ऐसे मौके आते है जब आपको कई सारे लोगो के बीच बोलना होता है। और आप पीछे हट जाते है। आपके अंदर का डर आपको बोलने से रोकता है कि आप बोल पायेंगे या नही। और इसी वजह से आप इतने सारे लोगो के बीच बोलते-बोलते रूक जाते है।
कई युवा ऐसे भी होते है। जो बेधड़क अपनी बात कहने का हुनर रखते है। ये लोगो के बीच बोलने में इतने माहिर होते है कि लोग इनके विचारों के कायल हो जाते है। दरअसल पब्लिक स्पीकिंग कॉलेज से लेकर पेशेवर जीवन में इसका सामना स्टूडेंट्स व प्रोफेशनल्स को करना पड़ता है, जहां लोगों के बीच बोलने का विचार ही कइयों को बेचैन कर देता है। असल में पब्लिक स्पीकिंग एक ऐसी स्किल है जो करियर में काफी काम आ सकती है, लेकिन इसमें दक्ष होने पर ही यह आपको फायदा दे सकती है। सही अभ्यास और अनुभव आपको एक कुशल वक्ता बना सकते हैं।
पहला कदम जरूरी तैयारी
एक कुशल वक्ता बनने के लिए सबसे पहली और जरूरी बात होती है। अपने दिमाग और अपने आप को पब्लिक स्पीकिंग के लिए तैयार करना। कई बार बहुत से वक्ता पब्लिक स्पीकिंग से पहले ही आत्म संदेह और नकारात्मक विचारों को सोच-सोच कर अपना ध्यान भटका देते है। उन्हे लगता है कि वे अगर नही बोल पाये तो लोग उनके बारे में क्या कहेंगे।
लोग उन पर हंसने लगेंगे। ऐसी बातों को सोच कर वे अपना फोकस पूरी तरह से टाॅपिक से खो देते है। और बेहतर परिणाम नही दे पाते है। इससे बचने के लिए वक्ता जितना ध्यान नकारात्मक विचारों को सोचने में लगाता है। उतना ध्यान उसे स्पीकिंग के टाॅपिक पर लगाना चाहिए। जिससे उसके अंदर का डर और नकारात्मक भाव निकल सकें। और वह फ्री होकर लोगो के सामने अपने टाॅपिक को रख सकें। ऑडियंस के साथ जुड़ने की काबिलियत असल में आत्मविश्वास से आती है। स्पीच से पहले रिहर्सल करें। टाइम मैनेजमेंट से लेकर समय बचने की स्थिति के लिए बैक अप मटीरियल भी तैयार रखें।
कंटेट हो समझने और जुड़ने लायक
पब्लिक स्पीकिंग की दूसरी मुख्य और जरूरी बात होती है कंटेंट। आप जो बोल रहे है वह बोरिंग या भारी भरकम नही होना चाहिए। आपका कंटेंट स्पष्ट, दिलचस्प और संक्षिप्त होना चाहिए। शुरुआती कुछ सेकंड में ही आपको श्रोताओं का पूरा अटेंशन मिलता है इसलिए शुरुआत प्रभावशाली होनी चाहिए।
अगर कंटेंट बोरिंग होगा तो आप उन्हें बांध नहीं पाएंगे। इस सीमित समय में ही आपको न केवल उनका अटेंशन हासिल करना होगा, बल्कि अपनी स्पीच पर भी पकड़ बनानी होगी। याद रखें आपका कंटेंट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। भाषा सरल और व्याकरण सही हो। चाहें तो कंटेंट तैयार करके किसी अनुभवी को दिखा लें और उनसे राय लें।
प्रजेंटेशन का इस्तेमाल करें
पब्लिक स्पीकिंग में प्रेजेंटेशन आपकी परफार्मेंस को दमदार और इफेक्टिव बना सकता है। यह आपकी बातों को समझाने का सबसे अच्छा तथा इफेक्टिव साधन हैं।
जब भी किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर बोल रहें हों तो प्रेजेंटेशन की मदद लें। इसमें इन्फोग्राफिक, बुलेट्स व नंबर्ड लिस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे प्रजेंटेशन दिलचस्प बने। सिर्फ स्लाइड्स के रूप में प्रजेंटेशन को न पड़े, बल्कि अपनी बात को पूरा स्पष्ट करें।
बाॅडी लैंग्वेज का रखे ध्यान
आप अगर नर्वस रहेंगे तो यह बात आपकी बाॅडी लैंग्वेज आसानी से बता देगी। कि आप नर्वस है। स्पीच से पहले बेचैनी होना सहज है, लेकिन इसे तनाव में न बदलने दें।
हाथों को चटकाना, जल्दी- जल्दी बोलना, बार-बार पैरों की ओर देखना या चक्कर काटना आपकी बेचैनी को दर्शाएंगे। इसलिए जितना हो सके नकारात्मक विचारों से दूर रहे। शांत और रिलेक्स्ड प्रजेंटर अपने श्रोताओं को बेहतर ढंग से हैंडल कर पाता है।
आत्मविश्वास दिलायेगा डर से जीत
पब्लिक स्पीकिंग का सबसे बड़ा हथियार है। आपका आत्मविश्वास। अगर आपके अंदर आत्मविश्वास भरपूर है। तो आप अच्छी तरह से प्रजेंटेशन दे पायेंगे। प्रजेंटेशन के समय आत्मविश्वास की कमी और नर्वस होना दो अलग-अलग बातें हैं।
अपने कंटेंट और क्षमताओं पर यदि आपको भरोसा नहीं है तो आपको आत्मविश्वास की कमी का सामना करना पड़ेगा जबकि नर्वसनेस लोगों की भीड़ से उत्पन्न होने वाले डर के कारण होती है। कभी-कभी आत्मविश्वास की कमी और नर्वसनेस एक साथ हावी होने लगते हैं। ऐसे में खुद पर भरोसा रखें। याद रखें यह आपका प्रजेंटेशन है जिसे आपने खुद तैयार किया है, कोई अन्य इसे आपसे ज्यादा बेहतर नहीं प्रस्तुत कर सकता। आप खुद पर भरोसा नहीं कर पाएंगे तो श्रोता ऐसा किस तरह कर पाएंगे?
संवाद में श्रोता भी हो शामिल
पब्लिक स्पीकिंग में कभी भी सिर्फ आप खुद ही ना बोलते रहे। चूंकि आप पब्लिक से सीधा संवाद कर रहे है तो आपके कंटेंट में कुछ ऐसा भी होना चाहिए। जिससे आप वहां बैठी आडियंश से सीधा संवाद कर सके।
जिससे आडियंश को भी ऐसा लगे कि वे इस प्रजेंटेशन के बीच में है। किसी भी प्रजेंटेशन में संवाद एक तरफा नहीं होता। अगर सिर्फ आप ही बोलते चले जाएंगे तो श्रोताओं से कनेक्ट नहीं हो पाएंगे। यह जानना भी मुश्किल होगा कि ऑडियंस आपकी बात समझ पा रहे हैं या नहीं। इसलिए जरूरी है कि आप उनसे बात करें, सवाल पूछें, टॉपिक से उन्हें जोड़े रखें। आप तब तक ही उनका अटेंशन हासिल कर पाएंगे जब तक कि उन्हें आपके प्रजेंटेशन में दिलचस्पी होगी।
समाप्ति पर भागे ना
अपनी स्पीच खत्म होने के बाद हड़बड़ी में वहां से भागने की कोशिश ना करें। स्पीच के खत्म होते ही लोगों से फीडबैक ले उनसे जाने की उनकी क्या राय है। यदि वे भविष्य में संपर्क करना चाहे तो उन्हे अपना कार्ड या संपर्क करने का तरीका बताये।