पांचवी में दो बार फेल, केएफसी ने नौकरी से ठुकराया, आज अलीबाबा के मालिक
क्या आप सोच सकतें है कि जो व्यक्ति पांचवी मे दो बार फेल हुआ हो कई यूनिवर्सिटी में वह पास नही हों पाया हों। यहां तक कि कही उसे कोई नौकरी भी ना मिली हों ऐसा व्यक्ति किसी कंपनी का मालिक बन सकता है। और वर्तमान में उसकी कंपनी तेजी से सफलता की ऊंचाईयों को छू रही हों। ऐसा नही हो सकता है। लेकिन ऐसा हो चुका है।
अलीबाबा के संस्थापक जैक मा का नाम दुनिया के टॉप एंटरप्रेन्योर्स में शुमार किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि आज 14 खरब (22.6 बिलियन डॉलर) से ज्यादा प्रापर्टी के मालिक जैक, कभी काॅलेज एंट्रेंस एग्जाम में तीन बार फेल हो गए थे। इतना ही नहीं चीन के इस सबसे अमीर आदमी को अयोग्य बताकर कई नौकरियों से भी रिजेक्ट कर दिया गया था।
स्कूल से लेकर काॅलेज दोनों में फेल
जैक मा पढ़ने लिखने में कोई अव्वल दर्जे के होनहार छात्र नही थे। आज की तारीख में दुनिया के सबसे रईस लोगों में शुमार जैक मा प्राथमिक स्कूल (पांचवीं कक्षा तक) में दो बार फेल हुए थे और मिडिल स्कूल (आठवीं कक्षा तक) में तीन बार, और उन्हें हार्वर्ड में दाखिले से भी 10 बार इनकार किया गया था।
नौकरी में भी मिली नाकामी
जैक मा बताया कि जब वे काॅलेज से बाहर निकले तो उन्होंने 30 कंपनियों में अलग-अलग जाॅब के लिए अप्लाई किया था। लेकिन बहुत प्रयास के बावजूद उन्हें सभी जाॅब्स से रिजेक्ट कर दिया गया। जिन कंपनियों ने जैक को रिजेक्ट किया, उनमें दुनिया की नामी फूड चेन केएफसी भी शामिल थी। जैक ने बताया कि मैं पुलिस की जाॅब के लिए भी गया था, वहां मुझे कहा गया कि मैं इस योग्य नहीं हूं। जब मेरे शहर में केएफसी आई तो मैंने वहां भी जाॅब के लिए प्रयास किया। हालांकि यहां भी मुझे छोड़कर जाॅब के लिए अप्लाई करने वाले अन्य 23 कैंडिडेट को सिलेक्ट कर लिया गया। लेकिन आज शायद जैक मा ही हैं, जो उन सभी आवेदकों से ही नहीं, नौकरी या दाखिला देने वालों से भी ज्यादा कामयाब हैं।
कैसे की अलीबाबा की स्थापना
चीन का गूगल या चीन का अमेजन बनने के साथ ही जैक मा ने अपनी कंपनी के जरिए वो टूल्स बनाए जिससे चीन के लोग सुरक्षित और सस्ती खरीदारी कर सकें। जैक मा को पता था कि चीन में उपभोक्ता और उत्पादक एक दूसरे पर भरोसा नहीं करते. उन्होंने दोनों को सुरक्षा दी पेमेंट सिस्टम में। इसके बाद कंपनी ने अपने फायदे के लिए चीन की इंटरनेट राजनीति का भरपूर इस्तेमाल किया। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को विश्वास दिलाया कि कंपनी किसी भी तरह से पार्टी के खिलाफ नहीं है।
वह कहते हैं, ‘‘हम अपने शेयरहोल्डर्स के लिए वैल्यू बनाते हैं। हमारे शेयरहोल्डर नहीं चाहते कि हम सरकार की मुखालफत करें।’’
जिंदगी चाॅकलेट के डिब्बे जैसी
दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइटों में से एक ‘अलीबाबा’ के संस्थापक जैक मा की पसंदीदा उक्ति हाॅलीवुड फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ में अभिनेता टॉम हैन्क्स का बोला संवाद है, ‘‘जिन्दगी चॉकलेट के डिब्बे जैसी होती है, और आप नहीं जान सकते, आपको कब क्या मिलने वाला है…’’ वैसे, जैक मा की कारोबारी जिन्दगी की ‘मामूली’ शुरुआत और अनूठी कामयाबी को देखकर तो ऐसा ही लगता है, जैसे फॉरेस्ट गम्प के लेखक ने यह पंक्ति जैक के लिए ही लिखी थी।
इंटरनेट पर सर्च किया बियर पहला वर्ड
जैक मा ने बताया कि जब वे 1995 में पहली बार अमेरिका गये थे तो उन्होने पहली बार इंटरनेट का सामना किया और उन्होने उस पर पहला वर्ड ‘बियर’ सर्च किया। क्योकि उसकी स्पेलिंग सबसे सरल थी। लेकिन जैक मा द्वारा सर्च किया जाने वाला दूसरा शब्द उनकी जिन्दगी की कहानी बदल देने वाले ‘अलीबाबा’ का रास्ता खोलने वाला साबित हुआ।
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