बदलती लाइफस्टाइल का हिस्सा बन रही है सोशल एन्जाइटी
अगर आपका छोटी-छोटी बातों पर दिल घबराने लगता है या लोगों के बीच जाने पर आपके दिल की धड़कने तेज हो जाती है, मन बेचैन हो जाता है और समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए तो आप सोशल एन्जायटी से ग्रसित हैं। जिसे सोशल फोबिया भी कहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सोशल एनजाइटी दरअसल, एनजाइटी डिसऑर्डर का ही एक हिस्सा है। मनोवैज्ञानिक डॉ.कमलेश उदैनिया के अनुसार एनजाइटी डिसऑर्डर एक तरह का ही मानसिक विकार है, जो आमतौर पर 13 से 35 साल तक के लोगों के बीच देखने को मिलता है। एन्जाइटी डिसऑर्डर में व्यक्ति के ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम में सिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम का डेवलपमेंट होने लगता है। इस दौरान शरीर में कैटेकोल अमीब्स हार्मोन बढ़ जाता है, जिस कारण घबराहट होने लगती है। सही समय पर ट्रीटमेंट न होने पर यह फोबिया में बदल जाता है। बदलती लाइफस्टाइल औेर बढ़ते स्ट्रेस के कारण लोगों में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
क्या है फोबिया-
फोबिया एक तरह की डिसीज है, जिसमें इंसान को किसी खास काम और परिस्थिति के प्रति डर उत्पन्न होता है। फोबिया में अपने डर की सोच भी व्यक्ति को इतना डरा देती है कि उसकी मानसिक व शारीरिक क्षमताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसमें इंसान का डर वास्तिविक और काल्पनिक दोनों हो सकते हैं।
सोशल एन्जाइटी या फोबिया-
सोशल फोबिया से ग्रस्त इंसान कुछ विशेष परिस्थितियां से डरते हैं । उन्हें लगता है कि लोग उसके बारे में बुरा सोचते हैं। ऐसे में व्यक्ति समाज के सामने अपने आप को छोटा समझने लगता है। ऐसे में उसका आत्मविश्वास भी कमजार पडऩे लगता है। लोगों के सामने वो बाल नहीं पाता और डरा सा रहता है।
5 से 10 प्रतिशत लोगों में सोशल फोबिया-
सोशल फोबिया केवल 5 से 10 प्रतिशत लोगों में ही देखने को मिलता है। आमतौर पर यह डिसीज 20 साल की उम्र से पहले ही शुरू हो जाती है। पुरूषों की तुलना में महिलाओं मे यह डिसीज ज्यादा देखी जाती है। इस बीमारी के होने और बढऩे मे पारिवारिक और आसपास के माहौल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह अनुवांशिक भी हो सकता है।
लाइफस्टाइल में करना होगा थोड़ा बदलाव-
– अच्छे और सकारात्मक लोगों के साथ दोस्ती करें।
– अल्कोहल और स्मोकिंग से दूरी बनाए रखें।
– डेली एक्सरसाइज और योग जरूर करें।
साइकोथैरेपी है इलाज-
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक अधिकांश विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि संज्ञानात्मक और व्यवहार जन्य थैरेपी का एक प्रयोग घबड़ाहट संबंधी विकारों के लिए सबसे बेहतर ट्रीटमेंट है। हालांकि कुछ मामलों में दवाइयां भी कारगार साबित हो सकती हैं। बावजूद इसके आपकी सकारात्मक सोच और हिम्मत ही आपको सोशल एन्जाइटी से बाहर लाने में सबसे ज्यादा मदद करती है।
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