बसंत ऋतु में धरती का स्वर्ग है मुगल गार्डन
दुनिया में अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है। यानि कश्मीर में। लेकिन ठहरिए जनाब। इसके अलावा भी स्वर्ग है। कश्मीर जैसा ही ट्यूलिप के फूलों से सजा। वो है दुनिया की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक भारत देश के राष्ट्रपति निवास के मुगल गार्डन में। जी हां, बसंत के महीने में मुगल गार्डन यकीनन स्वर्ग जैसा ही है। यहां न सिर्फ दुनिया के तमाम किस्मों के फूल मिलेंगे, बल्कि नजारे ऐसे कि लोग भौचक्के रह जाएं। इस खूबसूरती का आलम यह है कि इसे विशेषतौर पर बसंत ऋतु में जनता के लिए खोला जाता है और इतने लोग जुटते हैं कि पूछिए मत। हर किसी का दिल चाहता है कि बस यहीं स्वर्ग में बस जाए। लेकिन इंतजाम इतने सख्त की क्या कहने। ये खास जगह बनाई ही कुछ इस अंदाज मे गई थी। यहां भारत का वायसराय अपनी बेगम के साथ रहता था। लेकिन आजादी के बाद से वायसराय भवन राष्ट्रपति भवन के तौर पर जाना जाने लगा, तो पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने इसे आम लोगों के हवाले कर दिया।
देखने को मिलेंगे कई फूल-
मुगल गार्डन में फूलों की ऐसी प्रजातियां हैं, जो दूर देशों में कहीं-कहीं , कभी-कभी ही देखने को मिलती है। मुगल गार्डन में न सिर्फ फूल बल्कि आध्यात्मिक फूल और पौधों की 40 प्रजातियां भी हैं। आध्यात्मिक फूल, जो अलग-अलग धर्मों में पवित्र माने गए हैं।
लगेंगे 10,000 फूल-
यहां इस बार 10,000 ट्यूलिप के फूल लगाए गए हैं। जो कि अब तक के किसी भी साल से दोगुना है। गुलाबों की यहां 120प्रजातियां हैं, जिनमें हरा गुलाब भी है। वहीं 70 से ज्यादा मौसमी फूलों की फुलवारियां देख चहचहा उठेंगे आप। यही नहीं, अगर गुलाब और ट्यूलिप हैं, तो 33 खुशबूदार और औषधीय फूलों के पौधे भी हैं। आप यहां लौंग के पेड़ भी देख सकते हैं।
शहनाई की धुन पर चलते हैं फौव्वारे-
यहीं नहीं, यहां संगीतमयी फौव्वारे भी लगे हैं। जो वंदे मातरम और शहनाई की धुन पर चलते हैं। यकीनन आप इन फौव्वारों के बीच जाकर दुनिया की सारी तकलीफें भूल थिरकने पर मजबूर हो जाएंगे।
राष्ट्रपतियों ने किए बदलाव-
कई राष्ट्रपतियों ने अपनी मर्जी के मुताबिक इस गार्डन में बदलाव किए। राजेन्द्र प्रसाद ने इस गार्डन को आम जनता के लिए खोलकर बदलाव किया। वहीं जाकिर हुसैन ने देश-दुनिया के गुलाबों को यहां लगवाया। ज्ञानी जैलसिंह बागवानी को लेकर खासे एक्टिव थे। घंटो यहां गार्डन में बैठे रहते थे। डॉ.अब्दुल कलाम ने बोंसाई के पेड़ों को देखते हुए 5 साल गुजार दिए। वहीं प्रतिभा पाटिल को भी बागवानी का बहुत शौक था। उन्होंने यहां लगे हर फूल और पौधे में दिलचस्पी ली। यही वजह है कि इतने सालों बाद भी मुगल गार्डन का हर कोना महकता है।
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