नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गुरूवार को कहा कि भारत समेत एशिया प्रशांत क्षेत्र की उभरती अर्थव्यवस्थाएं बाहरी झटकों से बचने में काफी हद तक समर्थ हैं लेकिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने कहा ’एशिया प्रशांत के देशों में आम तौर पर बाहरी भुगतान स्थिति अच्छी है और सरकारी ऋण की स्थिति भी विश्व के अन्य क्षेत्रों के देशों के मुकाबले बेहतर है।’ इन देशों को चिंता फेडरल रिजर्व के ब्याज दर से संबंधित कदम को लेकर है। जून या सितंबर तक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ा सकता है, इससे उभरते हुए बाजारों से विदेशी पूंजी निकलना शुरू हो जाएगा। एजेंसी ने कहा कि किक एशिया प्रशांत के ज्यादातर देश पेट्रोलियम आयातक हैं और हाल में कच्चे तेल में हालिया नरमी का इस क्षेत्र में सकारात्मक असर होगा।
चीन के संबंध में एजेंसी ने कहा कि घटती वृद्धि दर और वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी आने वाले दिनों में एशिया प्रशांत के प्रदर्शन को प्रभावित करेगी। मूडीज ने कहा, इस क्षेत्र के जींस निर्यातक चीन की आर्थिक वृद्धि में नरमी के नए सामान्य स्तर को सबसे अधिक प्रभावित कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने अनुमान जताया है कि भारत 2015-16 में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ चीन का पीछा छोड़ देगा। ऐसी नीतिगत पहल, निवेश में बढ़ोतरी और तेल की कीमतों में नरमी के कारण होगा।