भारत का इतिहास किस नाम से पढ़ाएं, अमेरिका में विवाद
अमेरिका में भारत के नाम को लेकर बहस चल रही हैं। अमेरिकी स्कूलों में भारत की आजादी से पहले का इतिहास किस नाम से पढ़ाया जाए, इस पर डिबेट चल रही है। यूएस के इतिहासकारों और शिक्षाविदों में इस बात पर मतभेद है कि आजादी से पहले का भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास अमेरिकी स्कूलों में किस नाम से पढ़ाया जाए। कई वामपंथी शिक्षाविदों का कहना है कि आजादी से पहले के भारत को दक्षिण एशिया कहा जाना चाहिए। इसके पीछे उनका तर्क है कि भारत और पाकिस्तान तो अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद ही अस्तित्व में आए हैं। इससे पहले इस देश की भौगोलिक संरचना के अनुसार इसे दक्षिण एशिया ही कहा जाना चाहिए।
हालांकि कुछ अकादमिकों का कहना है कि कया 1947 के भारत को भारत कहना गलत है। यह कैसे संभव है कि एक समय पर देश का नाम भारत हो और उससे पहले कुछ और कहा जाए। विरोधियों ने सवाल उठाया है कि कया कोलंबस साउथ एशिया की तलाश में गया था। कया ब्रिटिशर्स ने भारत में अपना उपनिवेश स्थापित करने और अपना कारोबार जमाने के लिए ईस्ट साउथ एशिया कंपनी बनाई थी। यूनिवर्सिटी ऑफ सैन फ्रांसिस्को की मीडिया स्टडीज की प्रोफेसर वामसी जुलुरी ने कैलिफॉर्निया बोर्ड ऑफ एजुकेशन के पत्र में उस वामपंथियों के उस प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसमें भारत के नाम को आजादी से पहले दक्षिण एशिया तय करने की बात कही गई थी। रिपोट्स के मुताबिक बोर्ड ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। भारत की ही तरह अमेरिका में भी वामपंथी और दक्षिणपंथी शिक्षाविदों और इतिहासकारों के बीच इंडिया के नाम समेत आर्यनों के आगमन के सिद्धांत जैसे विषयों पर मतभेद रहे हैं। कैलिफॉर्निया बोर्ड ऑफ एजुकेशन की हर दस साल में कोर्स की समीक्षा के लिए बैठक होती है।
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