मप्र में छात्र संघ के चुनाव होने चाहिए ताकि युवाओं के रूप में देश को लीडरशिप मिल सके : विपिन वानखेड़े
मध्यप्रदेश एनएसयूआई अध्यक्ष विपिन वानखेड़े से विशेष बातचीत
राजनीति में युवाओं की स्थिति के बारे में आप क्या कहेंगे?
हर राज्य में युवाओं की पॉलिटिकल पोजिशन अलग-अलग है। इसमें छात्र संघ की अहम भूमिका होती है क्योंकि छात्र संघ के जरिए युवाओं की लीडरशिप बाहर आती है। हम दिल्ली और मप्र की बात करें तो दिल्ली में छात्र संघ के चुनाव होते हैं इसलिए वहां राजनीति में युवाओं की संख्या भी अच्छी खासी है। वहीं मप्र की बात करें तो यहां छात्र संघ के चुनाव ही नहीं होते जिसकी वजह से राजनीति की समझ रखने वाले युवाओं को राजनीति में उतरने के लिए अच्छा प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता। कई बार आपसी राजनीति की वजह से भी युवाओं को राजनीति में आगे नहीं बढ़ने दिया जाता।
आपको लगता है कि आज की शिक्षा देश को विश्वगुरू बना पाएगी?
भारत के हर राज्य में शिक्षा की अलग-अलग नीतियां हैं। यूनिवर्सिटी भी अलग-अलग हैं। मप्र की बात करें तो यहां जिला स्तर पर 51 यूनिवर्सिटी हैं लेकिन प्रदेश स्तर की यूनिवर्सिटी एक ही है। आज मप्र का छात्र मुंबई, बैंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में पढ़ने के लिए जा रहा है लेकिन इन बड़े शहरों से कोई छात्र मप्र में पढ़ने नहीं आ रहा है। कारण शिक्षा में वैसी गुणवत्ता नहीं है जैसी होनी चाहिए। कुल मिला कर देखा जाए तो स्थिति दयनीय है। उस पर व्यापमं जैसे घोटाले शिक्षा के स्तर को प्रभावित कर रहे। आज जरूरत है शिक्षा के लिए बेहतर नीति बनाने की ताकि युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सके और हमारा देश विश्व गुरू बन सके।
आप युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए कौन-से बदलाव लाना चाहेंगे?
मप्र में छात्र संघ के चुनाव होने चाहिए ताकि युवाओं के रूप में देश को लीडरशिप मिल सके। साथ ही युवाओं को राजनीति में उतरने के लिए एक प्लेटफॉर्म मिल सके। इसके अलावा जब भी शिक्षा नीति बनाई जाए या उसमें बदलाव किए जाएं तो विभिन्न छात्र संघ के प्रतिनिधियों को भी उसमें शामिल किया जाना चाहिए। क्योंकि छात्र संघ छात्रों के हित के लिए कार्य करते हैं, वे छात्रों की जरूरतों और समस्याओं को अच्छी तरह समझते हैं। छात्र संघ के प्रतिनिधियों को इसमें शामिल किए जाने से वे छात्रों और नीति निर्माताओं के बीच एक कड़ी की भूमिका निभाएंगे, इससे जमीनी स्तर पर बदलाव हो सकेगा।
देश में युवाओं के योगदान को आप किस तरह देखते हैं?
भारत एक युवा देश है और इसकी 75 फीसदी कामकाजी आबादी भी युवा है। ऐसे में यह साफ है कि हमारे देश की प्रगति में युवाओं का ही योगदान है। जानकारों का मानना है कि जल्द ही हमारा देश विश्व शक्ति के रूप में उभरेगा लेकिन सरकार का ध्यान अभी यूथ पॉलिसी की तरफ कम है। जो कि देश की प्रगति में कहीं न कहीं बाधा बना हुआ है। यदि सरकार इस पर काम करे तो जल्द ही भारत विश्व शक्ति बनेगा।
आप युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?
हमारे देश में निचले तबके के बहुत से युवा ऐसे हैं जो प्रतिभाशाली हैं लेकिन सरकार उन्हें आगे बढ़ाने की दिशा में अभी उचित कदम नहीं उठा पा रही है। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि ऐसे में उन्हें हार नहीं माननी चाहिए। बस वे लगातार प्रयास करते रहें, उनकी प्रतिभा को जरूर निखारा जाएगा।