मार्च क्वॉर्टर में बैंक ऑफ इंडिया को 56 करोड़ का लॉस
मुंबई। मार्च तिमाही में बैंक ऑफ इंडिया को 56 करोड़ का घाटा हुआ, जबकि पिछले साल के इसी पीरियड में कंपनी को 557.5 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ था। बैड लोन के लिए ज्यादा प्रोविजन से बैंक की कमाई पर जबरदस्त चोट पड़ी है। नतीजों के बाद बीएसई में बैंक ऑफ इंडिया के शेयर 6 फीसदी की गिरावट के साथ 191.40 रुपये पर बंद हुए। इसके साथ ही, वी आर अय्यर ने बैंक की चेयरपर्सन के तौर पर अपने ढाई साल का कार्यकाल भी पूरा कर लिया। वह बैंक की उन चुनिंदा बॉस में में से एक होंगी, जिनके बैंक छोड़ने से पहले उसे नुकसान हुआ हो और जिन्होंने बैंक की बैलेंस शीट से छेड़छाड़ की कोशिश न की हो। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने उत्तराधिकारी के लिए किसी तरह की समस्या नहीं छोड़ना चाहती थी। बैंक के लिए सबसे बुरा दौर बीत चुका है। संबंधित तिमाही के दौरान बैड लोन का अधिकांश हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर से आया, जिसमें पावर प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं।’
इस दौरान प्रोविजंस एक साल के पहले 46 फीसदी बढ़कर 2,256 करोड़ पर पहुंच गया। एक साल पहले इसी दौरान यह रकम 1,547 करोड़ थी। इस दौरान बैंक का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग लोन तकरीबन डबल यानी 22,193 करोड़ हो गया। नेट एनपीए भी बढ़कर 13,518 करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले 7,417 करोड़ रुपये था। बैंक की चेयरपर्सन के मुताबिक, बैड लोन में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का अहम रोल रहा। अय्यर ने बताया कि कुछ बड़े बॉरोअर्स भी रीपेमेंट में रेगुलेटरी समयसीमा या 90 दिन से 203 दिन लेट हो गए, जिससे बैड लोन पर बोझ और बढ़ गया। पूरे फाइनेंशियल ईयर के दौरान बैंक का नेट प्रॉफिट 37 फीसदी की गिरावट के साथ 1,709 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, नेट इंटरेस्ट इनकम तकरीबन 5 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 11,344 करोड़ पर पहुंच गई। नेट इंटरेस्ट इनकम मुनाफा आंकने का अहम पैमाना भी है।
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