मूवी रिव्यू: “हमारी अधूरी कहानी”
फिल्म का नाम : हमारी अधूरी कहानी
निर्देशक : मोहित सूरी
कलाकार : विद्या बालन, इमरान हाशमी, राजकुमार राव, मधुरिमा तुली, आमला
अवधि : 131 मिनट
महेश भट्ट ने ‘अर्थ’, ‘सारांश’ और ‘जख्म’ जैसी बेहतरीन फिल्में लिखी हैं और उनकी कहानियों को दर्शकों ने खूब सराहा भी है। बॉलीवुड में लंबी पारी और निजी जिंदगी के अनुभवों को पिरोकर महेश इस बार अपने पिता नानाभाई भट्ट, मां शिरीन मुहम्मद अली और सौतेली मां की जिंदगी पर आधारित “हमारी अधूरी कहानी” लेकर आए हैं। कहानी महेश भट्ट की है और डायरेक्शन का जिम्मा मोहित सूरी के कंधों पर है।
मोहित सूरी की पिछली दोनों फिल्में ‘आशिकी-2’ और ‘एक विलेन’ बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त हिट रहीं। मल्टिप्लेक्स के दौर में जब बॉक्स ऑफिस पर जेन एक्स क्लास फिल्म को हिट या फ्लॉप करने का दम रखती है, ऐसे में बेहद संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर बनी, इस फिल्म में नारी प्रताड़ना जैसे कई सीन इस क्लास को फिल्म से दूर रख सकते हैं। इमरान और विद्या स्टारर पिछली फिल्म ‘घनचक्कर’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही। वहीं, इमरान की पिछली फिल्म ‘मिस्टर एक्स’ और विद्या बालन स्टारर ‘बॉबी जासूस’ भी चारों खाने चित रही। ऐसे में इमरान और विद्या को एक बार फिर ‘डर्टी पिक्चर’ जैसी सुपरहिट फिल्म की दरकार है। इस फिल्म के डायरेक्टर मोहित सूरी फिल्म का टाइटल ‘तुम ही हो’ रखना चाहते थे, लेकिन इमरान और विद्या के साथ-साथ भट्ट बंधुओं को भी जब मोहित का सुझाया टाइटल नहीं जमा, तब विक्रम भट्ट ने अपनी कंपनी के नाम रजिस्टर “हमारी अधूरी कहानी” टाइटल इस फिल्म के लिए दिया।
कहानी:
ये कहानी वसुधा प्रसाद (विद्या बालन) की है। वसुधा का पति हरी (राजकुमार राव) 5 वर्षों से लापता है। जीवन की राह में वसुधा की मुलाकात आरव (इमरान हाशमी) से होती है। देश-विदेश में फाइव स्टार होटेल्स की चेन के मालिक आरव (इमरान हाशमी) को अपने एक होटेल में काम करने वाली वसुधा प्रसाद (विद्या बालन) से प्यार हो जाता है, इसकी वजह वसुधा का ड्यूटी के प्रति सर्मपण और निष्ठा है। वसुधा की ड्यूटी के प्रति निष्ठा आरव को तब नजर आई, जब वह अपने होटेल में एक वीआईपी गेस्ट बनकर ठहरा हुआ है। यहीं पर एक प्लानिंग के तहत आरव के इशारे पर उसी फ्लोर से आग का धुआं निकलता है। धुंआ उठते देख होटल का मैनेजर और बाकी स्टाफ भाग निकलते हैं, लेकिन वसुधा को फिक्र है उस फ्लोर पर ठहरे वीआईपी गेस्ट को बचाने की। यहां आकर वसुधा को पता चलता है यह गेस्ट और कोई नहीं, बल्कि होटेल का मालिक रूपरॉय यानी आरव है। आरव उसी वक्त वसुधा को डबल सैलरी के साथ अपने दुबई के एक होटेल में काम करने का ऑफर देता है। लेकिन वसुधा फैमिली प्रॉब्लम की बात कहकर इस ऑफर को विनम्रता से ठुकरा देती है। घर आकर जब वसुधा को पता लगता है उसका बेटा पुलिस थाने में है, तो वह तुरंत पुलिस स्टेशन पहुंचती है। यहां आकर उसे पता चलता है कि उसका 5 साल से लापता पति हरि पांडे (राजकुमार रॉव) लापता नहीं है, बल्कि बस्तर में सक्रिय एक आंतकी गिरोह के साथ मिला हुआ है और उसने अपहृत अमेरिकी नागरिक की हत्या की है। पुलिस के पास हरि द्वारा अमेरिकी नागरिक को गोली से मारने का विडियो भी है। पुलिस से हरि की असलियत जानने के बाद वसुधा अपने बेटे सांच के साथ दुबई जाने का फैसला करती है। आरव अब धीरे-धीरे वसुधा को चाहने लगता है और एक दिन अपने इकतरफा प्यार का वसुधा से इकरार भी करता है। लेकिन वसुधा मना कर देती है। दुबई से आरव शिमला अपनी मां से मिलने आता है, तो वसुधा भी उसके साथ आती है। जिंदगी दोराहे पर आ जाती है और प्रेम में त्रिकोण बनता है। अब कहानी में उतार-चड़ाव का दौर शुरू होता है और आखिर में हमेशा की तरह प्यार की जीत होती है।
पटकथा :
इस फिल्म की पटकथा महेश भट्ट और शगुफ्ता रफीक ने लिखी है। जो आपको भावुक करने की कोशिश तो करती है, लेकिन यह कोशिश मात्र बनकर रह जाती है।
संगीत:
फिल्म का संगीत पहले से म्यूजिक लवर्स में हिट है। टाइटल सॉन्ग का फिल्मांकन बेहतरीन है। हां, इस फिल्म के गानों में वैसी मिठास नहीं है जो इमरान की फिल्मों में सुनाई देती है।
क्यों देखें:
अगर आप एक्स्ट्रा इमोशनल हैं या विद्या बालन और राजकुमार राव की एक्टिंग के कायल हैं, तो ये फिल्म जरूर देखें। हालांकि, अगर आप मोहित सूरी की पिछली दो फिल्मों के आधार पर इस फिल्म का चयन करने वाले हैं, तो आपको निराशा ही हाथ लगेगी।