Sunday, July 30th, 2017
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यंगस्टर्स के लिए रोल मॉडल हैं ये यंग इंटरप्रन्योर्स




Business

जुनून…बड़ा बनने का…खुद को साबित करने का…अपने सपनों में रंग भरने का…जुनून इतना कि हर परेशानी उसके आगे छोटी लगने लगी…कुछ ऐसी ही कहानी है, इन यंग इंटरप्रन्योर्स की, जिन्होंने खुद को साबित किया और आज हैं करोड़ों के मालिक…

 

नेहा जुनेजा

 

Neha

 

डेल्ही कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग से ग्रेजुएट, 27 वर्षीय नेहा जुनेजा ने ग्रामीण महिलाओं को मिट्टी के चूल्हे से होने वाली परेशानी का तोड़ निकाला है। उन्होंने ग्रीनवे स्मार्ट स्टोव डिजाइन किया है। इसमें मिट्टी के चूल्हे की अपेक्षा 65 फीसदी कम ईधन का उपयोग होता है। साथ ही मिट्टी के चूल्हे से निकलने वाले धुएं में भी 80 फीसदी का अंतर है। 1,300 रूपए की कीमत वाले 5,000 स्टोव्स की बिक्री अब तक नेहा कर चुकी हैं।
जब 2010 में उन्होंने अपनी कंपनी ’’ग्रीनवे ग्रामीण इंफ्रा’’ की शुरूआत की थी तब उनका टर्नओवर 40 लाख था, जो आज लगभग 5 से 8 करोड़ है। 2011 में उन्हें बिज़नेस वर्ल्ड यंग इंटरप्रन्योर अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

 

फनिंद्र समा

 

phanindra_Sama

 

बीआईटीएस पिलानी से इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से पोस्ट ग्रेजुएट फनिंद्र समा, redbus.in के फाउंडर व सीईओ हैं। हैदराबाद के रहने वाले फनिंद्र समा, जब बस की टिकट न मिलने की वजह से दिवाली मनाने अपने घर न जा सके तब उन्हें इस पोर्टल को बनाने का ख्याल आया। उस समय वे ’’टेक्सॉस इंस्टू्रमेंट्स’’ में सीनियर डिजाइनर की पोस्ट पर कार्यरत थे। काफी भटकने के बाद भी उन्हें बस का टिकट नहीं मिला, इसके दो कारण थे, एक तो बस के टिकट देने वाले एजेंट्स को सारे बस चालकों की जानकारी नहीं थी और दूसरा यह कि उन्हें उन टिकट्स के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी जो कस्टमर्स द्वारा कैंसिल कर दी जाती थी। तब उन्हें ख्याल आया कि क्यों न बस से संबंधित हर तरह की जानकारी को एक ही जगह समेट कर रख दिया जाए? इस तरह उन्होंने redbus.in की शुरूआत की।

फनिंद्र ने 2005 में 3 लोगों की टीम के साथ इसकी शुरूआत की और 9 महीने के अंदर ये संख्या 3 से 50 हो गई। आज redbus.in का सालाना टर्नओवर 1,000 करोड़ है। अहमदाबाद, बैंगलोर, चैन्नई, कोयम्बटूर दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, पुणे, विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम जैसे बड़े शहरों में उनके ऑफिस हैं।

 

फरहाद एसिडवाला

 

Farhad

 

पुणे में जन्में 21 वर्षीय फरहाद एसिडवाला, इंटरनेट और एंटरटेनमेंट कंपनी ’’Rockstah Media’’ के फाउंडर हैं। ’’Rockstah Media’’ वेब डेवलपमेंट, मार्केटिंग, एडवरटाइजिंग और ब्रांडिंग का काम करती है। जब फरहाद इस कंपनी की शुरूआत की थी, तब वे महज 16 वर्ष के थे। वे दुनिया के पहले ऐसे यंग इंटरप्रन्योर हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में किसी कंपनी को स्थापित किया।

 

सुहास गोपीनाथ

 

 

बैंगलोर के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में सुहास गोपीनाथ दुनिया के सबसे यंग सीईओ हैं। जब सुहास ने पहली वेबसाइट बनाई तब वे महज 13 वर्ष के थे। 14 वर्ष की उम्र में उन्हें अमेरिका की कंपनी ’’नेटवर्क सोल्यूशंस’’ से पार्ट टाइम जॉब का ऑफर आया, लेकिन उन्हांने वो ऑफर न मानते हुए खुद की कंपनी स्थापित करने के बारे में सोचा। तब उन्होंने ’’ग्लोबल्स इंक’’ नाम की अपनी कंपनी स्थापित की। उन्हांने इसे अमेरिका में रजिस्टर्ड कराया क्योंकि भारत में कंपनी बनाने के लिए 18 वर्ष होना का जरूरी है। अब तक के इतिहास में वे ’’वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’’ के पहले सबसे यंग मेम्बर हैं। आज ’’ग्लोबल्स इंक’’ मल्टीनेशनल कंपनी के रूप में जानी जाती है।

 

चिराग डोडिया

 

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मुंबई के मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले 19 वर्षीय चिराग डोडिया ने जब आईटी में अपने करियर की शुरूआत की तब वे 16 वर्ष के थे। अब 19 वर्ष की उम्र में वे ’’Plorez’’ के सीईओ व फाउंडर, ’’Crazy Venture’’ के को-फाडंडर व एमडी, ग्लोबल यूथ फोरम के चेयरमेन, ’’Open Enterprise Space’’ के को-फाउंडर और ग्लोबल यूथ फोरम में इंटरनेशनल बिज़नेस डेवलपमेंट के डायरेक्टर हैं। चिराग के शब्दों में, ’’मैं जो कर रहा हूं मुझे वो पसंद है…क्योंकि वो मुझे मेरे पैशन की वजह से मिला है, एजुकेशन की वजह से नहीं।’’

 

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