दोस्तो आज दशहरे का पर्व हैं। जिसमें हम रावण को जलाते है। और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाते है। रावण वैसे तो एक राक्षस था। पर साथ ही वह विश्वज्ञानी भी था। उसके समान न कोई ज्ञानी था, ना होगा। रावण को सभी शास्त्रों, सभी वेदों, पुराणों तथा विधाओं का ज्ञान था। लेकिन इसके साथ ही बहुत सारे अवगुण भी थे। जिसके कारण उसे मृत्यु के मुख में जाना पड़ा। रावण ने मरते-मरते लक्ष्मण को तीन सीख दी थी जो हमारे जीवन में भी बहुत काम की हो सकती है।
जिस समय रावण मरणासन्न अवस्था में थाए उस समय भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार से नीतिए राजनीति और शक्ति का महान् पंडित विदा ले रहा है। तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता। श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के नजदीक जाकर खड़े हो गए। रावण ने कुछ नहीं कहा। लक्ष्मणजी वापस रामजी के पास लौटकर आए। तब भगवान ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर। यह बात सुनकर लक्ष्मण जाकर इस रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है
1. पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह यह थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी शुभस्य शीघ्रम। मैंने श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी। इसी कारण मेरी यह हालत हुई।
2. दूसरी बात यह कि अपने प्रतिद्वंद्वी अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। मैं यह भूल कर गया। मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया। मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था तब
मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था। यहाँ भी मुझसे गलती हुई
3.रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए। यहां भी मैं चूक गया क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था।
ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी। रावण की लक्ष्मण को सिखाई ये तीन सीखें हम भी अपने जीवन में उतार कर जीवन को बेहतर बना सकतें है। और इसके साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत कर सकतें है।