वुमन्स डे : नेक्स्ट यंग गर्ल जनरेशन के लिए प्रेरणा हैं ये महिलाएं
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समाज बदल रहा है और आज की नारी भी बदल रही है। ये प्रभाव है तेजी से बदलते हालातों और बढ़ती शिक्षा का। परिणामस्वरूप हालात बदलने के साथ बेहतर भी हो रहे हैं। इसलिए आज शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो, जिसमें महिलाएं शामिल न हों। जैसा कि कहा जाता था कि महिलाओं की सोच कम और कमजोर है, जल्दी समझौता कर लेती है। पर असल में ऐसा अब नहीं रहा। वे हर परिस्थिति में खुद को बेहतर बनाने का फॉमूर्ला ढूंढ लेती हैं। पुरूषों से बेहतर हो रही हैं और उनके बराबर भी। महिला दिवस के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी ही महिलाओं की सफलता की कहानी के बारे में बताएंगे, जिन्होंने कुछ अलग करने की ठानी। ये कुछ ऐसी महिलाएं हैं, जिनका नाम आपने उनके क्षेत्र में शायद ही कभी सुना हो। हम आपको आज ऐसी ही प्रेरणादयी महिलाओं से रूबरू करा रहे हैं।भले ही हालातों ने उस वक्त उनका साथ न दिया हो, लेकिन मन में कुछ कर गुजरने के जज्बे ने उन्हें आज कहां से कहां पहुंचा दिया। यकीनन ये महिलाएं नेक्स्ट यंग गर्ल जनरेशन के लिए एक प्रेरणादायक साबित होंगी।
खुद के पैर से लाचार दीपिका आज हैं सिलेब्रिटीज की योगा ट्रेनर-
हौंसले बुलंद हों, तो मंजिल ज्यादा दूर नहीं रहती। ऐसी ही कुछ कहानी है एक ऐसी महिला की जो खुद अपने पैरों से लाचार थी, जिसे हर काम करने के लिए एक सहारे की जरूरत पड़ती थी। लेकिन आज ये खुद सेलिब्रिटीज को योगा सिखाती हैं। नाम है दीपिका मेहता। आज के समय में ये आलिया, बिपाशा, जैकलीन, एश्वर्या, दीपिका, जैसी एक्ट्रेस को अष्टांग योग को ट्रेनिंग दे रही हैं। धूम-2 में एश्वर्या और डॉन-2 में प्रियंका के फिट बॉडी के पीछे इन्हीं का हाथ था। सन् 1997 में रॉक क्लाइंबिंग के दौरान 40 फीट की ऊंचाई से गिर गई थीं, तब डॉक्टरों ने साफ कह दिया था कि ये कभी खड़ी नहीं हो पाएंगी। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बिस्तर में लेटे-लेटे ही योगा संबंधी किताबें पढ़ डालीं। उन्हें पहचान टीवी शो योग सिटी से मिली। फिलहाल उनके स्टूडेंट़्स में बड़े फिल्मस्टार्स के साथ हाई-प्रोफाइल घरानों के लोग भी शामिल हैं।
ये हैं नासा की सबसे अधिक उम्र की एस्ट्रोनॉट
स्पेस रिसर्च को अपनी पूरी जिन्दगी देने वाली नासा की एस्ट्रोनॉट पेगी विट्सन दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला एस्ट्रोनॉट हैं। हाल ही में रशियन स्पेस एजेंसी और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने पूर्व एस्ट्रोनॉट को अपने क्रू मेंबर का हिस्सा बनाया है। इस बार में एजेंसी का कहना है कि इस सफर के दौरान ऑरबिट कॉम्प्लेक्स में विटसन पहली ऐसी महिला हैं, जिन्हें दूसरी बार स्पेस स्टेशन कमांड करने का मौका मिला। नासा के अनुसार विटसन 6 स्पेसवॉक भी कर चुकी हैं, जिनकी अवधि 39 घंटे और 46 मिनट रही। विटसन के पास बायोकेमिस्ट्री की एडवांस डिग्री है ।
हिजाब पहनकर चलाती हैं बाइक-
लड़कियों को बाइक चलाते आपने कम ही देखा होगा और ऐसा काम अगर कोई लड़की हिजाब पहनकर करें, तो आप यकीन ही नहीं कर पाएंगे। पर रोशनी मिसबाह ने ऐसी ही हिम्मत के साथ दिल्ली जैसे शहर की सड़कों पर हिजाब पहनकर बाइक चलाना शुरू किया, तो लोग अचंभित रह गए। जामिया मिलिया इस्लामिया से अरेबिक एंड कल्चरल स्टडीज में एमए कर रही रोशनी को हिजाबी बाइकर कहा जाता है। इनकी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई हैं। वे विंडचेजर्स और रॉयल एनफील्ड राइडर्स ग्रप की मेंबर भी हैं। वे बताती हैं कि उनके सपने को उड़ान उनके पापा ने दी। पहले तो लोग बहुत मजाक बनाते थे, कि बाइक चलाने वाली लड़की से आखिर कौन शादी करेगा। लोग देखकर हंसते थे। पर मैंने कभी ये नहीं सोचा कि कोई क्या सोचेगा। जब तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाईं, तब लोग खुद मुझसे मिलने आने लगे। उनका सपना अपनी दो लाख रूपए की सीबीआर रिपसॉल बाइक से पूरी दुनिया घूमना है।
कांच तराशने वाली इस लड़की ने खड़ी की 40 हजार करोड़ की कंपनी-
आप देखते होंगे कि आजकल सभी स्मार्टफोन कंपनियां मोबाइल फोन की स्क्रीन पर स्क्रीनगार्ड का इस्तेमाल करती हैं। ये स्क्रीनगार्ड मोबाइल की स्क्रीन को स्क्रैच से बचाता है। लेकिन हम आपको बता दें कि इसका आविष्कार करने वाली मामूली सी लड़की झोऊ कुएन्फेइ एक बहुत ही छोटे से गांव से थीं। मां-बाप का साया न हो, तो जिन्दगी में सफलता मिलना बहुत मुशिकल हो जाता है। उनकी मां उन्हें छोटी उम्र में उन्हें छोड़ कर चली गई और पिता भी अंधे हो गए। झोऊ एक ऐसी लड़की थी, जो अपना घर पालने के लिए रोज का एक डॉलर कमाती थी। आज वही लड़की दुनिया की सबसे अमीर सेल्फ मेड वुमन इंटरप्रेन्योर हैं और आज वे छह बिलियन डॉलर यानि चालीस हजार करोड़ की मालकिन हैं। उन्हें क्वीन ऑफ मोबाइल फोन ग्लास कहा जाता है। शुरूआत में उन्होंने घडिय़ों के कांच बनाने वाली कंपनी में काम किया। थोड़े समय बाद उन्होंने खुद की कंपनी स्टार्ट करने की सोची , जिसमें उन्होंने वॉच लेंसेस बनाने का काम शुरू कर दिया। एक दिन उन्हें मोटोरोला के किसी एग्जीक्यूटिव की कॉल आई कि हमारे मोबाइल के लिए ग्लास स्क्रीन बनाने में मदद करेंगी। बस तभी से उनकी सफलता ने उनके कदम चूम लिए और वे धीरे-धीरे दस बिलियन डॉलर की मालकिन बन गई। उन्होंने साबित कर दिखाया कि इंसान विपरित परिस्थितियों में भी वो सब कर सकता है जो वो सब सोचता है।
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