स्टेट बैंक ऑफ इंडिया: बैंकों के विलय की तैयारी जोरों पर
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में उसके पांच सब्सिडियरी बैंकों के विलय को लेकर इन बैंकों के कर्मचारी यूनियनों में विरोध का स्वर मुखर हो रहा हो लेकिन एसबीआई में इस विलय की तैयारी पूरे जोरों पर है।
पांच बैकों के विलय का रोडमैप को अंतिम रूप दे रहे
एसबीआई की एक उच्चस्तरीय समिति प्रमुख बैंक में पांच सब्सिडियरी बैंकों स्टेट बैंक ऑफ ट्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर और एक अन्य भारतीय महिला बैंक के विलय के रोडमैप को अंतिम रूप दे रहा है।
विलय के बाद बैंक शाखाओं को एडजस्ट करना होगा
रोडमैप दो महीने के भीतर वित्त मंत्रालय को पेश किया जाएगा और तैयारी इस बात की है कि चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में उक्त सभी छह बैंकों की विलय प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। एसबीआई की समिति ने पिछले शुक्रवार को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की और विलय प्रक्रिया पर लंबा विचार विमर्श किया। समिति ने वित्त मंत्रालय ने बताया है कि बड़ी संख्या में विलय के बाद बैंक शाखाओं को समायोजित करना होगा। विलय के बाद इन बैंकों की मौजूदा सभी शाखाएं एसबीआई के तहत आ जाएंगी। ऐसे में एक ही क्षेत्र में एसबीआई की सहायक बैंकों की मौजूदा शाखाओं का विलय होगा या फिर उनमें से कुछ ब्रांच बंद किया जाएगा।
ज्यादा असर होगा आंध्र प्रदेश में
इसका सबसे ज्यादा असर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में पड़ेगा क्योंकि इन राज्यों के कई इलाकों में स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर की शाखाएं स्थित हैं। दर्जनों ऐसे इलाके हैं जहां इन तीनों बैंकों के साथ ही एसबीआई की भी शाखाएं हैं। अभी सोच यह है कि जितनी भी बड़ी कॉरपोरेट शाखाएं हैं, उन्हें बरकरार रखा जाए और आम र्ग्राहकों से डील करने वाली शाखाओं को मिला दिया जाए।
देश में अन्य बैंकों के मुकाबले यह खर्च सर्वाधिक
लेकिन विलय की तैयारी में जुटी समिति के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती मानव संसाधन प्रबंधन को लेकर आने वाली है। एसबीआई व इसके पांच सब्सिडियरियों में कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या 301,471 के करीब है। इसमें 1.08 लाख अधिकारी हैं जबकि 1.35 लाख लिपिकीय कर्मचारी हैं। जबकि शेष इससे नीचे की श्रेणी के स्टाफ हैं। शाखाओं के एकीकरण और एक ही प्रबंधन होने की वजह से बड़ी संख्या में कर्मचारियों व अधिकारियों की संख्या घटाने की जरूरत होगी। सूत्रों के मुताबिक वैसे भी एसबीआई व इसके सभी सब्सिडियरी संयुक्त तौर पर कुल खर्चे का लगभग 16.25 फीसद वेतन पर खर्च करते हैं। देश में अन्य बैंकों के मुकाबले यह खर्च सर्वाधिक है।
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