हाईवे पर शराब बिक्री बेन से 65000 करोड़ का नुकसान, 10 लाख हो सकते हैं बेरोजगार
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश, जिसमें नेशनल व स्टेट हाईवे के 500 मीटर की रेंज में शराब नहीं बेचने का आदेश है, इसके बाद माना जा रहा है कि राज्यों का रेवेन्यू 50 हजार करोड़ रुपए कम हो जाएगा, जो उनके लिए नुकसान-प्रद होने की आशंका है। साथ ही, टूरिज्म इंडस्ट्री को 10 -15 हजार करोड़ रुपए का बड़ा झटका लग सकता है। बिजनेस न्यूज पेपर इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 10 लाख लोगों का रोजगार छिनने की आशंका ने जन्म ले लिया है। लेकिन इन नकारात्मक तथ्यों के पीछे एक सकारात्मक तथ्य यह भी है कि सड़क दुर्घटनाओं में जितने जीवन हर वर्ष लील लिए जाते हैं, उनमें सर्वाधिक शराब या नशे की वजह से अपनी जान खो देते है. इसलिए आज इन दोनों पहलुओं पर विचार करना जरुरी हो जाता है कि धन की अधिक जरुरत है या जीवन की.
500 मीटर की रेंज वाले शराब बिक्री केंद्र बंद
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर की रेंज में आने वाले शराब बिक्री केंद्रों को 1 अप्रैल से बंद करने का आदेश दिया है। इसमें होटल और रेस्तरां भी शामिल हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा लोग भारत में मारे गए
शराब पीने की वजह से होने वाले सड़क हादसों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया था। SC का मानना है कि इससे ऐसे हादसों में कमी आएगी। दरअसल, भारत में सड़क हादसों में दुनिया में सबसे अधिक जानें जाती हैं।
राज्यों को होगा 50 हजार करोड़ का नुकसान
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के अध्यक्ष रियाज अमलानी ने मीडिया को बताया कि इस फैसले से राज्यों को 50 हजार करोड़ रुपए का बड़ा रेवेन्यू लॉस हो सकता है। हालांकि, ये शुरुआती अनुमान हैं और हम इसके असर का सटीक अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हैं। NRAI एक लॉबी ग्रुप है, जो देश भर के रेस्टोरेंट और पब्स का संगठन है।
शराब की बिक्री से आय राज्यवार प्राप्त सालाना रेवेन्यू
(वित्त वर्ष 2015-16 सोर्स : राज्यों के एक्साइज डिपार्टमेंट)
राज्य शराब से रेवेन्यू
तमिलनाडु 29,672 करोड़ रुपए
हरियाणा 19,703 करोड़ रुपए
महाराष्ट्र 18,000 करोड़ रुपए
कर्नाटक 15,332 करोड़ रुपए
उत्तर प्रदेश 14,083 करोड़ रुपए
आंध्र प्रदेश 12,739 करोड़ रुपए
तेलंगाना 12,144 करोड़ रुपए
मध्यप्रदेश 7,926 करोड़ रुपए
राजस्थान 5,585 करोड़ रुपए
पंजाब 5,000 करोड़ रुपए
10 लाख लोगों का रोजगार खतरे में
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने ट्वीट किया कि टूरिज्म से रोजगार के मौके बनते हैं। इसे खत्म क्यों करना चाहिए ? सुप्रीम कोर्ट के हाइवे पर शराब बंदी के फैसले से 10 लाख लोगों का रोजगार खतरे में पड़ सकता है।
इंडस्ट्रीज के आंकड़ों पर एक नजर
FY 2016-17 के पहले 9 महीनों में भारत में शराब की बिक्री 0.4 फीसदी बढ़ी। 2001 के बाद देश में शराब की बिक्री तेजी से बढ़ रही थी। पहली बार ग्रोथ इतनी कम हुई है। 2001 से 2011 तक के 10 साल में इसकी बिक्री में 12 % CAGR से अधिक की बढ़ोतरी हुई थी।
अब नज़र डालते हैं इस केस में दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट में हुए विश्लेषण पर
कुल 2.41 लाख दुर्घटनाओं में 87264 मौतें और 2.63 लाख घायल
सुप्रीम कोर्ट नें वर्ष 2014 के सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ो को पटेल पर रक्स्ट हुए, विश्लेषित किया. राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुल 1.24 लाख दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 46,110 मौतें हो गईं और 1.35 लाख लोग घायल हो गए। वहीं, राज्यीय राजमार्गों पर 1.13 लाख दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.24 लाख लोग घायल हुए और 39,352 लोग मारे गए।एक्सप्रेस वे पर दुर्घटना के 4,208 मामले हुए, जिनमें 4,229 लोग घायल हुए और 1,802 लोग मारे गए। इस तरह 2014 में कुल मिलाकर 2.41 लाख दुर्घटनाओं में 87264 मौतें और 2.63 लाख घायल हुए.
आंकड़ों को वर्ष 2014 के दौरान हुई सड़क दुर्घटनाओं की वजहों के आधार पर भी वितरित किया गया। घायल हुए 1.38 लाख लोग खतरनाक या लापरवाहीपूर्ण तरीके से वाहन चलाने के कारण हुई दुर्घटनाओं का शिकार हुए थे और 42,127 लोग मारे गए। नशे में वाहन चलाने के दौरान हुई दुर्घटनाओं के मामले 7,307 थे, जिनके कारण 7,398 लोग घायल हुए और 2,591 लोग मारे गए।
1 दिसंबर 2011 को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों को जारी एक परामर्श में कहा था कि भारत में सडक दुर्घटनाओं में हताहत होने वालों की संख्या विश्व भर में सबसे ज्यादा है और वर्ष 2009 के आंकड़े दर्शाते हैं कि हर चार मिनट पर एक सडक दुर्घटना होती है।
नशे में वाहन चालन सड़क दुर्घटनाओं की ‘प्रमुख वजह’
नशे में वाहन चालन को सड़क दुर्घटनाओं की ‘प्रमुख वजह’ बताया गया क्योंकि वर्ष 2009 में 27,152 सड़क दुर्घटनाएं नशे में वाहन चालन के दौरान हुईं। पीठ ने कहा कि 18 मार्च 2013 को जारी एक अन्य परामर्श में मंत्रालय ने कहा था कि वर्ष 2011 में 1.42 लाख लोग 4.9 लाख सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे। इसमें कहा गया था कि 24,655 दुर्घटनाएं नशे में वाहन चालन के कारण हुई थीं, जिनके चलते 10,553 लोग मारे गए और 21,148 लोग घायल हुए।
मई 2014 के एक अन्य परामर्श का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्ष 2012 में 1.38 लाख लोग 4.9 लाख सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे। इनमें से, 23,979 दुर्घटनाएं नशे में वाहन चलाने के कारण हुईं और इनमें 7835 लोग मारे गए जबकि 23,403 लोग घायल हो गए।
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