हाथ, मुह, बम क्या सच में होगी बीमारी कम
भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखना हमारी सबकी जिम्मेदारी है। ये काम अकेले सरकार नही कर सकती है। इसके लिए हमें अपना संपूर्ण योगदान देना होगा। पिछले कुछ सालों में देखे तो गंदगी का यहां-वहां पर बिखरा होना आम बात थी। और अब भी हैं। लेकिन क्या ये गंदगी भारत की सरकार कर रही है या भारत की जनता कर रही है। आज राजनीति के नाम पर लोग प्राकृतिक आपदाओं, घटनाओं में सरकार को बीच में ले आते है। कही भी कुछ होता है तो फलाने नेता का हाथ है कहकर खूब कान्टरवर्सी की जाती है। पिछले साल 2 अक्टूबर 2014 में भारत में स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की गई। जिसका मकसद देश को साफ रखना था। देश भर से गंदगी का नामो निशान मिटाना था। शुरू में इसमें कई बड़ी-बड़ी हस्तियों ने जोर-शोरो से भाग लिया। लेकिन बाद में लगता है कि अब शायद ये अभियान ही स्वच्छ हो गया हैं।
स्वच्छता और स्वास्थ एक सिक्के के दो पहलू है। जहां पर स्वच्छता होगी वहां पर लोग स्वस्थ होंगे। कुछ ही दिनों पहले टीवी पर एक ऐड आया। हाथ, मुंह, बम, बीमारी होगी कम। ये वाकई में काफी सराहनीय विज्ञापन है जिसका आज बच्चो पर गहरा असर पड़ा है। इस विज्ञापन की मदद से बच्चो को स्वच्छता तथा स्वास्थ्य के प्रति चेताया गया है। हालांकि इस विज्ञापन में कुछ कंपनियो ने अपने प्रोडक्ट का भी प्रचार किया है।
वर्तमान में यदि शहरो की बात की जाये तो आम लोगो को छोड़कर जो लोगा झुग्गी झोपडि़यो में निवास करते है। वो शायद अभी भी खाने से पहले, शौच के बाद हाथ धोने जैसी आदत से मरहूम है। ये बच्चे मिट्टी से जुड़े है और मिट्टी में ही रहते है। इनमें स्वास्थ्यप्रद आदते लाने के लिए हालांकि कई सारे प्रयास किए गये है। लेकिन प्रयास कभी पूरी तरह से सफल नही हो पाये है। इस तरह के विज्ञापन इन सबकी जिंदगी बदल सकते है। छोटे बच्चो का एक बड़ा तबका आमतौर पर टीवी से अधिक जुड़ा हुआ होता है। और इस तरह के विज्ञापन इनमें इन अच्छी आदतो को लाने का सराहनीय प्रयास है।
क्या अर्थ है? हाथ, मुंह, बम
दरअसल इस विज्ञापन में बच्चे बार-बार बड़ो और छोटो को हाथ, मुंह, बम कहते है पर कोई इनकी बातो को नही समझ पाता है। और सभी इनसे चिड़ते है। आखिर में सभी बड़े इन छोटे बच्चो को पकड़कर पूंछते है। कि आखिर ये हाथ, मुंह, बम है क्या?
तो ये बच्चे बताते है कि ये बीमारी से बचने का तरीका है।
हाथ– खाने से पहले हाथ साबुन से धोना
मुंह– साफ और प्यूरीफाय पानी पियेंगे
बम– साफ टायलेट में शौच करेंगे
बच्चों को इस तरह की बाते आमतौर पर स्कूलों मे, आंगनवाडि़यों में घर पर बार-बार सिखाई जाती है। इन्हे लेकर कई टीवी कार्यक्रम भी बने है। लेकिन विज्ञापन के माध्यम से बच्चों को बीमारी से बचने का तरीका और बच्चों को अच्छी आदतों की ओर ले जाने का तरीका कारगर साबित होगा