Thursday, August 31st, 2017
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11 साल की नन्ही परी हैं शतरंज खिलाड़ी…




शतरंज की राष्ट्रीय खिलाड़ी नित्यता जैन से विशेष बातचीत

1. आप खेल के साथ-साथ पढ़ाई कैसे कर पाती हैं?

खेल के साथ-साथ पढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है। जब भी मैं टूर्नामेंट के लिए जाती हूं तो मेरी पढ़ाई छूट जाती है फिर टूर्नामेंट से वापस आकर उसे कवर करना पड़ता है। इसके लिए मुझे बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

 

2. आपने अब तक कौन-कौन सी चैंपियनशिप जीती हैं?

मैं एमपी लेवल पर वुमन चैस चैंपियनशिप की विनर रही हूं, नेशनल लेवल पर अंडर-11 गर्ल्स चैस चैंपियनशिप में टॉप-5 में रही हूं। इसके अलावा मैंने एमपी लेवल पर सीनियर मेल चैस चैंपियनशिप में भी पार्टिसिपेट किया था।

 

सरकार की तरफ से नहीं मिल रहा कोई सहयोग

नित्यता के इंटरव्यू के दौरान उनकी मम्मी निधि जैन से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि हमें नित्यता को टूर्नामेंट के लिए कोचिंग करानी है, कोचिंग की एक दिन की फीस लगभग 5 से 6 हजार है और हम इतना खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। इसके लिए हमें राज्य सरकार से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है। यहां तक की ऐसी कोई स्कॉलरशिप स्कीम भी नहीं है जिसकी मदद से नित्यता आगे बढ़ सके। हमें सरकार की सुविधाओं की जरूरत है ताकि हम नित्यता को कोचिंग करवा सकें और उसकी प्रतिभा को और निखार सकें। खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को पॉलिसी बनानी चाहिए क्योंकि खिलाड़ी भी देश का नाम रोशन करते हैं। कोई भी खिलाड़ी जो नेशनल लेवल पर खेलता है उसकी पहचान उसके प्रदेश से होती है और इंटरनेशनल लेवल पर खेलने वाले खिलाड़ी की पहचान उसके देश से होती है। ऐसे में सरकार को इस पर काम करना चाहिए।

3. आपको शतरंज ही क्यों पंसद है?

मैंने गर्मियों की छुट्टियों में समर क्लास ज्वॉइन की थी। वहां पर मैंने शतरंज खेला और मुझे ये खेल अच्छा लगा। मेरे सर को भी मेरा खेल पसंद आया और उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे शतरंज खेलना चाहिए। मेरे पापा-मम्मी ने भी मुझे इसके लिए मोटिवेट किया।

 

4. शतरंज के अलावा आपको और क्या-क्या पसंद है?

शतरंज के अलावा मुझे डांस करना बहुत पंसद है। वैसे तो स्कूल की वजह से मुझे टाइम कम ही मिल पाता है लेकिन जब भी मैं फ्री रहती हूं तो डांस की प्रैटिक्स करती हूं। मुझे इससे खुशी मिलती है।

 

5. आपको इस खेल की प्रेरणा कहां से मिली?

आज हर फील्ड में कॉम्पिटिशन बढ़ रहा है इसके लिए पढ़ाई के साथ-साथ किसी दूसरे टेलेंट को भी निखारना बहुत जरूरी हो गया है। बचपन से ही मेरे पापा-मम्मी ने मेरे टेलैंट को पहचानने की कोशिश की। फिर जब मैंने समर कैंप ज्वॉइन किया तो वहां मैंने चैस खेलना स्टार्ट किया, मुझे चैस अच्छा लगा और यहीं से मेरा ये टेलैंट बाहर आया। पापा-मम्मी भी इसके लिए मुझे बहुत सपोर्ट करते हैं और मोटिवेट करते हैं।

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