विजय दिवस : इंडियन आर्मी के सामने जब पाकिस्तानी सैनिकों ने किया था सरेंडर
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भारत और पाकिस्तान के माहौल में तनातनी तो शुरू से ही रही है। विभाजन के साथ ही भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के बीच एक खाई सी बन गई है जिसे समय भर नहीं पाया है। भारत और पाकिस्तान के बीच कई जंग हुई जिनका परिणाम कई सैनिकों की मौतों के रूप में निकला। ऐसा ही एक युद्ध साल 1971 का युद्ध था।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध का इतिहास हमेशा अमर रहेगा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इंडियन आर्मी द्वारा लड़ी गई ये पहली जंग थी। इंडियन आर्मी ने इस युद्ध को जीता और इसकी सफलता को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 16 दिसंबर ही वो दिन है जब भारत ने इस युद्ध को जीता था। इस दिन को देश में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध की वजह थी बांग्लादेश की मुक्ति इसे बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध के रूप में भी जाना जाता है। उन दिनों पूर्वी पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल के चलते वहां संघर्ष के स्वर फूट पड़े थे। जिसे दबाने के लिए पाकिस्तान ने आर्मी का सहारा लिया।

शेख मुजीबुर रहमान
साल 1970 में पाकिस्तान में हुए चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान आवामी लीग ने 169 में से 167 सीटों पर जीत दर्ज की और शेख मुजीबुर रहमान ने संसद में सरकार बनाने की पेशकश की। लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसका विरोध किया और हालात इतने गंभीर हो गए कि राष्ट्रपति को सेना बुलानी पड़ी।
राष्ट्रपति की बुलाई गई सेना में अधिकतर लोग पश्चिमी पाक से थे। पूर्वी पाक की सेना को यहां हार का सामना करना पड़ा और शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। मुजीबुर रहमान की गिरफ्तारी के बाद तत्काली प्रधानमंत्री इंदिरा ने पूर्वी पाक का पूरा सहयोग किया और वहां के शरणार्थियें के लिए भारत के द्वार खोल दिए।
पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए प.बंगाल, त्रिपुरा, असम, बिहार, मेघाल राज्यों में सरकार ने शिविर बनाए। पूर्वी पाक सेना के हारे हुए और निष्काषित अफसरों ने भारत के स्वयं सेवकों के साथ मिलकर मुक्ति वाहिनी का गठन किया जिसने पाकिस्तानी सेना की नींद उड़ा दी। वहीं भारत ने भी मुक्ति वाहिनी को भरपूर समर्थन दिया।
भारत के इस हस्तक्षेप के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। जिसमें पाकिस्तानी सेना को मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तानी सेना के सर्मपण के साथ ही युद्ध समाप्त हो गया। इसके साथ ही बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बना। इसके बाद 10 जनवरी 1972 में मुजीबुर रहमान को भी रिहा कर दिया गया।
इस युद्ध की शुरूआत 3 दिसंबर 1971 को हुई थी। जो करीब 13 दिसंबर तक चली थी। इस युद्ध के बाद पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था। इस युद्ध की जीत के दिन यानी 16 दिसंबर को भारत में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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