Tuesday, September 19th, 2017 07:25:01
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रिलायंस पर 1700 करोड़ जुर्माना, अडानी पर 1500 करोड़ टैक्‍स चोरी का आरोप




रिलायंस पर 1700 करोड़ जुर्माना, अडानी पर 1500 करोड़ टैक्‍स चोरी का आरोपBusiness

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केंद्र की मोदी सरकार ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसके साझेदारों पर 264 मिलियन डाॅलर (करीब 1700 करोड़ रु.) का जुर्माना लगाया है। सरकार ने यह जुर्माना वर्ष 2015-16 में पूर्वी ऑफश्योर के. जी. (कृष्णा-गोदावरी बेसिन के फील्ड) डी-6 से लक्ष्य से कम नेचुरल गैस का उत्पादन करने पर लगाया है।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि RIL कंपनी पर कुल जुर्माना अभी तक अप्रैल 2010 से इन 6 वर्षों में इस परियोजना के उत्पादन लक्ष्य से पीछे रहने के कारण 3.02 अरब डॉलर का लगाया जा चुका है। प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (PSC), RIL और उसके साझेदारों ब्रिटिश कंपनी BP और कनाडा की निको रिसोर्सेज को सरकार के साथ लाभ साझा करने से पहले गैस की बिक्री से हुई कमाई और परिचालन खर्चे डिडक्ट करने की अनुमति देता है।

इस परिेयोजना का विकास और परिचालन वसूलने पर रोक से उत्पादन लाभ में सरकार का हिस्सा बढ़ेगा। अधिकारी ने बताया है कि सरकार ने दावा किया है कि परियोजना विकास और परिचालन वसूलने पर रोक से उसे 175 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त लाभ हुआ है। इस परियोजना के धीरूभाई अंबानी-1 और 3 गैस फील्ड में दैनिक 8 करोड़ क्यूबिक मीटर के उत्पादन के लक्ष्य के साथ परियोजना खर्च की मंजूरी दी गई थी।

‘द गॉर्डियन’ का अडानी समूह पर यह आरोप

वहीं एक अन्य खबर के मुताबिक ब्रिटिश अखबार ‘द गॉर्डियन’ को मिले दस्तावेज के अनुसार भारतीय कस्टम विभाग के डॉयरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटलीजेंस (DRI) ने मशहूर कारोबारी घराने अडानी समूह पर फर्जी बिल बनाकर करीब 1500 करोड़ रु. टैक्स हैवेन (टैक्स चोरों के स्वर्ग) देश में भेजने का आरोप लगाया है। गॉर्डियन के पास मौजूद DRI के दस्तावेज के अनुसार अडानी समूह ने शून्य या बहुत कम ड्यूटी वाले सामानों का निर्यात किया और उनका दाम वास्तविक मूल्य से कई गुना बढ़ाकर दिखाया ताकि बैंकों से कर्ज में लिया गया पैसा विदेश भेजा जा सके।

रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने दुबई की एक फर्जी कंपनी के माध्यम से अरबों रुपये का सामान महाराष्ट्र की एक बिजली परियोजना के लिए मंगाया और बाद में कंपनी ने वही सामान अडानी समूह को कई गुना ज्यादा कीमत पर बेच दिया। रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने इन सामान की कीमत बिल में औसतन 4 गुना ज्यादा दिखायी। DRI ने ये रिपोर्ट साल 2014 में तैयार की थी।

गॉर्डियन के अनुसार DRI की 97 पन्नों की ये कथित रिपोर्ट स्क्राइब डॉट कॉम पर उपलब्ध हैं। हालांकि अभी DRI के उक्त दस्तावेज या गॉर्डियन की उक्त रिपोर्ट की पुष्टि नहीं हुई है। रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने दक्षिण कोरिया और दुबई की कंपनियों के माध्यम से मारीशस स्थित एक ट्रस्ट को पैसा पहुंचाया, जिस पर अडानी समूह के CEO गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नियंत्रण है।

विदेश भेजा धन SBI और ICICI से लोन के तौर पर लिया गया

इस रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह ने जो पैसा विदेश भेजा है, उसका बड़ा हिस्सा SBI और ICICI बैंक से लोन (कर्ज) के तौर पर लिया गया था। DRI ने दोनों बैंकों पर किसी भी गैर-कानूनी गतिविधि का आरोप नहीं लगाया है। हालांकि अडानी समूह ने ‘द गॉर्डियन’ को भेजे एक बयान में इन आरोपों को पूरी तरह गलत बताया है। कंपनी के बयान में कहा गया है कि अडानी समूह को DRI द्वारा चल रही जांच के बारे में पूरी मालूमात है और वह जांच में पूरा सहयोग कर रहा है।

परंजय गुहा ठाकुरता ने डाली थी रोशनी

रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह के खिलाफ बिजली परियोजना के लिए आयात किए गए सामान का मूल्य कई गुना बढ़ाकर बताने की रिपोर्ट EPW पत्रिका के 14 मई 2016 के अंक में परंजय गुहा ठाकुरता ने प्रकाशित की थी। परंजय गुहा ठाकुरता हाल ही में तब चर्चा में आए थे, जब अडानी समूह ने EPW की 2 रिपोर्ट के खिलाफ पत्रिका को कानूनी नोटिस भेजा था। अडानी समूह ने पत्रिका को भेजे नोटिस में कहा था कि अगर ये रिपोर्ट नहीं हटाए गईं तो मानहानि का मुकदमा करेगा। पत्रिका ने नोटिस के बाद रिपोर्ट हट ली और ठाकुरता ने पत्रिका के संपादक पद से इस्तीफा दिया।

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