लेट नाइट तक जागना, हेल्थ के लिए है हानिकारक
बोर्ड एग्जाम की डेटशीट जारी होने के बाद अब स्टूडेंट्स के दिल की धड़कने तेज हो गई हैं। ऐसे में कई स्टूडेंट्स एक्जाम लोड और बेस्ट स्कोर लाने की होड़ मे नींद को अनदेखा कर देते हैं। क्योंकि यही वो दो महीने का समय होता है जब स्टूडेंट अच्छे स्कोर लाने के लिए अपना जी-जान लगा देते हैं। भूख-प्यास के साथ नींद भी गायब हो जाती है। रात-रात भर पढऩा और सुबह जल्दी उठकर रिवाइस करना उन्हें काफी थका देता है। विशेषज्ञों के अनुसार रातभर जागना और पूरी नींद न लेना स्टूडेंट्स की हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही उनके मेंटल लेवल पर भी बेहद असर पड़ता है।
हेल्दी डाइट लें
आप कैसा खाते हें और क्या खाते हैं। इस पर आपकी नींद निर्भर करती है। शरीर को एनर्जी कार्बोहाइड्रेट और फैट से मिलती है। कार्बोज हमें रूटीन के खाने से ही मिल जाता है। कार्बोज पचने के बाद ग्लूकोज में कन्वर्ट हो जाता है। लेकिन केवल ग्लूकोज से काम नहीं चलता। क्योंकि इससे हमारे शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है, जिससे हमें नींद आती है। इसके लिए एक खास प्रकार के हार्मोन की जरूरत पड़ती है जो हमें प्रोटीनयुक्त डाइट से मिलता है।
8 घंटे की नींद लें स्टूडेंट्स-
साइकोलॉजिस्ट डॉ.रंजीत सिंह के अनुसार इन दिनों स्टूडेंट्स के बिस्तर पर जाने का समय कम होने लगा है। देर रात तक पढ़ाई करने के बाद और सुबह जल्दी उठने के टेंशन से वे चार घंटे की नींद भी नहीं ले पाते। जबकि खासतौर से इस समय 8 घंटे की नींद स्टूडेंट्स के लिए बेहद जरूरी है। अगर अभी से ही पूरी नींद नहीं ली तो एक्जाम टाइम में स्लीप डिप्राइड की प्रॉब्लम होने की संभावना रहती है। जिससे स्टूडेंट को नींद नहीं आती। ऐसे में न तो वह कोई चीज याद रख सकता है और न ही ठीक से बिहेव करता है।
जागना है खतरनाक-
विशेषज्ञों के अनुसार देर रात तक जागने से स्टूडेंट्स की मेमोरी वीक हो जाती है। ऐसे स्टूडेंट्स रात मे पढ़ाई करते हुए ज्यादा एक्टिव नजर आते हें। जो किसी भी तरह से अच्छा नहीं है। नींद में आने वाला असंतुलन उन्हें चिढचिढ़ा बना देता है। इसके अलावा इन्हें हमेशा थकावट महसूस होती है। विभिन्न चीजों के प्रति स्लो रिस्पॉन्स इनमें डिप्रेशन को जन्म देती है।
अमूमन ये होता है स्टूडेंस के साथ-
– बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना।
– रात में ज्यादा सपने आना।
– बार-बार नींद का टूट जाना।
– नींद के बीच मे घबराहट के साथ उठ जाना।
– नींद में पेपर छूटने का सपना देखना।
अपर्याप्त नींद से हो सकते हैं बीमार-
आकलन के अनुसार इन दो महीनों में स्टूडेंट्स की दिनचर्या 18 से 20 घंटे लगातार चलती रहती है। इस समय स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा जरूरत तनाव रहित रहने और बैलेंस डाइट की होती है। जबकि पढ़ाई के दौरान स्टूडेंट इन्हीं बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए एग्जाम से पहले और एग्जाम के दौरान कई स्टूडेंट्स बीमार भी हो जाते हैं। एग्जाम के दौरान तनाव में रहने से कॉन्सनट्रेशन वीक हो जाता है। ये सभी समस्या पढ़ाई के लोड में अपर्याप्त नीदं के कारण आती हैं। नींद की कमी से स्टूडेंट्स में अब अक्सर हाईबीपी, वेट लॉस और हार्ट संबंधी बीमारियां भी देखी गई हैं। इसलिए बेहतर है कि बोर्ड एग्जाम का डर मन से निकालकर सिर्फ अपने बेस्ट स्कोर हासिल करने के बारे में सोचें, लेकिन पर्याप्त नींद के साथ।