आज भारत में ज्यादातर महिलाएं कामकाजी हैं। अच्छी बात ये है कि वे घर और ऑफिस दोनों को अच्छी तरह से मेनटेन कर रही हैं। लेकिन एक मां होते हुए ये वर्किंग वुमन्स एक से दूसरा बच्चा नहीं चाहतीं। मदर्स डे के मौके पर ऐसोचैम द्वारा कराए गए इस सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वे के मुताबिक 35 फीसदी शहरी कामकाजी महिलाएं जिनके एक बच्चा है, वे दूसरा बच्चा नहीं करना चाहती हैं। ये सर्वे 15 हजार महिलाओं पर किया गया था।
इस सर्वे में मौजूद महिलओं ने इसका सबसे बड़ा कारण आधुनिक शादी के तनाव, रोजगार के दबाव और बच्चों को पालने में होने वाले खर्च की वजह से कई मां पहले बच्चे के बाद दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं और अपने परिवार को न बढ़ाने का फैसला करती हैं। यह सर्वे 10 शहरों में किया गया था। इसमें अहमदाबाद, बैंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली, हेदराबाद, इंदौर, कोलकाता, जयपुर और लखनऊ शामिल है। इसमें बीते एक महीने में कामकाजी मां ने अपने बच्चों को कितना समय दिया। उनके दूसरे बच्चे के होने या न होने की योजनाएं और इसके कारणों के बारे में पूछा गया।
करीब 500 प्रतिभागियों ने कहा कि वे दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं। कई ने कहा कि दूसरी मैटरनिटी लीव लेने से उनकी नौकरी और प्रमोशन खतरे में पडऩे की आशंका के कारण वे दूसरे बच्चे को लेकर हिचकती हैं। किसी एक बच्चे के प्रति झुकाव एक दूसरा महत्वपूर्ण कारण रहा, जिसके कारण कई प्रतिभागियों ने कहा कि वे दूसरा बच्चा नहीं चाहतीं ताकि उनका ध्यान नहीं बंटे। कई ने कहा कि वे लड़का या लड़की के आधार पर इस बारे में फैसला करती हैं। अधिकांश प्रतिभागियों ने ये भी कहा कि एक ही बच्चा होने की इस सोच से उनके पति सहमत नहीं होते।
करीब दो तिहाई मां ने कहा कि वे नहीं चाहती कि उनका बच्चा एकाकी जीवन जिए और वे चीजों को दूसरे के साथ बांटने की खुशी , अपने छोटे भाई-बहन से स्नेह की खुशी से वंचित रहे। लेकिन जीवन की अन्य जरूरतें और स्थितियां उनकी इस चाह के रास्ते में बाधक बन जाती है।