1 अप्रैल से सस्ते होंगे होम और कार लोन
नई दिल्ली। ब्याज दरों में आर.बी.आई. गवर्नर रघुराम राजन कमी करें या न करें लेकिन अप्रैल से घर, कार, टैलीविजन और वॉशिंग मशीन जैसी चीजों के लिए लोन सस्ता हो सकता है। बैंकों को अप्रैल से ही मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंडिंग का फॉर्म्युला अपनाना है। सरकार ने साथ ही पी.पी.एफ. के साथ स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर ब्याज दरें काफी कम दी हैं। इस पर यह माना जा रहा है कि इन दोनों वजहों से बैंकों पर इनका फायदा कस्टमर्स को देने का दबाव आएगा।
पी.पी.एफ. और किसान विकास पत्र सहित सरकार ने कुछ टर्म डिपॉजिट्स के लिए ब्याज दरें 60-130 बेसिस पॉइंट्स घटाई हैं। इनकी तिमाही समीक्षा होगी। इससे ये करंट मार्कीट रेट्स से कहीं ज्यादा करीब से जुड़ी रहेंगी और इसके चलते ही बैंकों को करंट मनी मार्कीट रेट्स के मुताबिक अपनी ब्याज दरें रखने में मदद मिलेगी। 18 मार्च को ऐसा वित्त मंत्रालय ने कहा था।
इस स्ट्रक्चर में वरदराजन के अनुसार 3 बातें हैं, पब्लिक सेविंग्स रेट्स को मार्कीट के मुताबिक रखना मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग और लिक्विडिटी फ्रेमवर्क में बदलाव। बैंकों को आर.बी.आई. ने निर्देश दिया है कि रुपए में दिए जाने वाले हर लोन की प्राइसिंग मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) के मुताबिक होनी चाहिए। बैंक अब तक मुख्य रूप से डिपॉजिट की औसत लागत का फार्म्युला अपनाते रहे हैं लेकिन ब्याज दरों में गिरावट के चरण में MCLR से डिपॉजिट की लागत तेजी से कम होती है। लेंडिंग रेट्स कम करने का इससे बैंकों को रास्ता मिलता है।
एस.बी.आई. के मैनेजिंग डायरेक्टर रजनीश कुमार का कहना है की स्वाभाविक है कि लेंडिंग रेट कट से पहले डिपॉजिट रेट कट होगा। फॉर्म्युले के मुताबिक जब तक डिपॉजिट की मार्जिनल कॉस्ट तय न हो, लेंडिंग रेट की मार्जिनल कॉस्ट तय नहीं की जा सकती है। बैंकरों का कहना है की ज्यादातर बैंकों में अभी MCLR फॉर्म्युले से जुड़ा कैलकुलेशन पूरा नहीं हुआ है।
चीफ इकनॉमिक अडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने जो इकनॉमिक सर्वे तैयार किया था। सर्वे में कहा गया था कि बैंक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जमा दरें घटाने से कस्टमर स्मॉल सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स में शिफ्ट हो सकते हैं। पिछले 15 महीनों में आर.बी.आई. ने रेपो रेट को 125 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 6.75 प्रतिशत पर ला दिया है। हालांकि बैंकों ने 60-70 बेसिस पॉइंट्स का फायदा ही कस्टमर्स को दिया है। 5 अप्रैल को आर.बी.आई. की मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग होनी है।
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