भारत रत्न स्व. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की बेशकीमती चांदी की पांच शहनाइयां चोरी हो गईं। मिली जानकारी के मुताबिक शहनाइयां उस्ताद के चौक थाना क्षेत्र के घुंघरानीगली स्थित पुश्तैनी आवास से हुई हैं। इस मामले में उस्ताद के बेटे काजिम हुसैन ने एफआईआर दर्ज कर दी है। पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है।
न्यूज़ एजेन्सी से बात करते हुए बिस्मिल्लाह के पौत्र रजी हसन ने बताया कि ,हमें कल (रविवार) रात इस चोरी के बारे में पता चला और हमने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। चोरी गए सामान में चार चांदी की शहनाइयां, एक चांदी की और एक लकड़ी की शहनाई, इनायत खान सम्मान और दो सोने के कंगन थे।’
हसन ने आगे बताया कि ,‘‘ हमने पिछले दिनों दालमंडी में नया मकान लिया है लेकिन 30 नवंबर को हम सराय हरहा स्थित पुश्तैनी मकान में आए थे जहां दादाजी रहा करते थे। मुहर्रम के दिनों में हम इसी मकान में कुछ दिन रहते थे। जब नए घर लौटे तो दरवाजा खुला था और संदूक का ताला भी टूटा हुआ था। अब्बा (काजिम हुसैन) ने देखा कि दादाजी की धरोहरें चोरी हो चुकी थीं। बता दें कि जो शहनाइयां चोरी हुई हैं वह खां को कई समारोह में भेंट की गई थीं।
बहरहाल, यह पहला मौका नहीं है जब उस्ताद की शहनाइयां चोरी हुई हो। दो साल पहले भी उस्माद की रियाजी शहनाई गायब हो गई थी। इस शहनाई से उस्ताद रोज सबेरे गंगा के तट पर रियाज किया करते थो। इतना ही नहीं बताया जाता है कि उस्ताद इस शहनाई को अपने सिरहाने रखकर सोते थे। इस शहनाई का आज तक पता नहीं चला है। उस्ताद की शहनाई और उनकी संपत्ति को लेकर बेटों में लंबे समय से चल रहे विवाद को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।
चोरी हुई शहनाइ को मुहर्रम के जुलूस में बजाते थे उस्ताद
बताया जाता है कि चोरी गई शहनाईयों में से एक शहनाई उस्ताद की पसंदीदा थी। उस्ताद उसे मुहर्रम के जुलूस में बजाया करते थे। बता दें कि दस बरस पहले बिस्मिल्लाह के देहांत के बाद से ही उनकी याद में संग्रहालय बनाने की मांग होती रही लेकिन अभी तक कोई संग्रहालय नहीं बन सका।
शादी में बजने वाली शहनाई को उस्ताद ने दिलाई थी पहचान
जब भी शहनाई का नाम आता हैं उस्ताद बिस्मिल्ला खां साहब की याद जरुर आती हैं। ऐसा माना जाता है कि शादी के मौके पर बजने वाली शहनाई को उस्ताद बिस्मिल्ला खां ने ही पहचान दिलाई थी। महज 14 साल की उम्र में उस्ताद ने पहली बार शहनाई बजाई थी। बचपन से ही उस्ताद शहनाई वाले माहौल में रहे थे क्योंकि शहनाई बजाना उनके परिवार का व्यवसाय था। उस्ताद हिन्दुस्तान के प्रख्यात शहनाई वादक थे। उनका जन्म डुमराँव, बिहार में हुआ था। सन् 2001 में उन्हें भारत के सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। बता दें कि उस्ताद तीसरे भारतीय थे जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।21 अगस्त, 2006 को खां ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।