नोटबंदी को लेकर सामने आईं दो बड़ी बाते
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नोटबंदी पिछले साल का सबसे बड़ा मुद्दा रहा है जिसे लेकर अब भी कई खुलासे हो रहे हैं। हाल ही में दो चौंकाने वाले तथ्या सामने आए है जिसमें नोटबंदी के बाद के अांकड़े सामने आए है। पहला तथ्य तो कालेधन से संबंधित है जिसमें एक जांच कमेटी ने बताया है कि देश में कितना कालाधन निकला है और दूसरा पांचसौ के नोट कब छपना शुरू हुए थे।
हाल ही में एक आरटीआई के माध्यम से पता चला है कि पांच सौ के नए नोट कब छपना शुरू हुए थे। ये बात तो आप सब जानते ही हैं कि नोटबंदी के बाद कई दिनों तक आम आदमी के पास सिर्फ 2000 रूपए का ही नोट था। इसके अलावा उसके पास सौ रूपए के नोट नहीं होते थे। पांच सौ के नोट से आम जनता कई दिनों तक मोहताज थी।
2000 के नोट तो नोटबंदी के ढाई महीने पहले ही छपने शुरू हो गए थे जबकि पांच सौ के नोट के लिए लोगों को इंतज़ार करना पड़ा था। हाल ही मध्य्रपदेश के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने एक आरटीआई के माध्यम से पता लगाया है कि 500 के नए नोट कब छपना शुरू हुए थे।
आरटीआई के तहत मिली इस जानकारी के मुताबिक स्पष्ट हुआ है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्ण स्वामित्व वाली एक सहायक यूनिट ने सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा करने के करीब ढाई माह पहले 2000 रूपए के नोट की छपाई शुरू की थी तथा इस घोषणा के एक पखवाड़े बाद यानि पंद्रह दिन बाद 500 रूपए के नए नोटों की छपाई शुरू की थी।
वहीं दूसरी ओर कालेधन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेष जांल चल के डिप्टी चेयरमैन अरिजित पसायत ने शुक्रवार को कहा कि अब तक 70,000 करोड़ रुपये की ब्लैकमनी सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि इससे जुड़ी छठी रिपोर्ट अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश की जाएगी। उन्होंने कहा कि 70,000 करोड़ रुपये में से 16,000 करोड़ ऐसे हैं, जो ग्लोबल लीक्स के बाद शुरू की गई जांच में पकड़े गए हैं। आर्थिक और वित्तीय मामलों पर काम करने वाली कई सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों से मुलाकात के बाद जस्टिस पसायत ने कहा कि एसआईटी अप्रैल के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में अपनी छठी अंतरिम रिपोर्ट सौंपेगी।
उन्होंने कहा कि बीते दो सालों में एसआईटी ने ब्लैकमनी पैदा होने के तरीकों की जांच के लिए कई सिफारिशें की हैं। उन्होंने कहा, ’हमारी कई सिफारिशों को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है, जबकि ब्लैक मनी पर लगाम कसने के कुछ अन्य तरीकों पर विचार चल रहा है।’ जस्टिस पसायत ने कहा, ’15 लाख रुपये या उससे अधिक के अघोषित कैश को रखने पर रोक लगाने के फैसले पर गंभारता से विचार चल रहा है।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही 3 लाख या उससे अधिक के कैश ट्रांजैक्शन को अवैध और दंडनीय करार दे दिया है।
जस्टिस पसायत ने कहा कि उन्होंने प्राइवेट शिक्षण संस्थानों, जूलरी शॉप्स, रियल एस्टेट कंपनियों, सेल्फ स्टाइल्ड गॉडमेन और माफिया डॉन के खिलाफ जांच करने वाली राज्यों की क्राइम ब्रांचों से भी आग्रह किया है कि वे अपनी रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग से साझा करें।
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