मणिपुर के 73 सरकारी स्कूलों में दसवी के सारे स्टूडेंट फेल
किसी भी स्कूल में एक दो या थोड़े छात्रों का फेल होना तो सुना होगा लेकिन किसी राज्य के 73 स्कूलो में एक भी बच्चा पास नहीं हुआ ये शायद पहली बार सुना है। मणिपुर के 323 सरकारी स्कूलों में से 73 स्कूलों में दसवी कक्षा की परीक्षा में विधार्थियों के पास होने का प्रतिशत शून्य पाया गया है। इस परीक्षा के परिणाम मंगलवार को जारी किए गए थे। इन 73 स्कूलों का एक भी विद्यार्थी (जो कुल विद्यार्थियों का 22.6 फीसदी है) मणिपुर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (एचएसएलसी) में पास नहीं हो पाया। यह परीक्षा एक मार्च से 19 मार्च तक ली गई थी। इससे साफ पता चलता है कि हमारे देश में सरकारी स्कूलों में किस तरह से पढ़ाई-लिखाई होती है।
मणिपुर बोर्ड की दसवी की एग्जाम में कुल 323 सरकारी स्कूलों ने भाग लिया था जिनमें कुल 6484 स्टूडेंट थे। उनमें से करीब 42 प्रतिशत छात्र ही सफल हुए है। एचएसएलसी 2016 में राज्य के सफल विद्यार्थियों का प्रतिशत 61.52 फीसद है। यही नहीं, कुल 28 सरकारी स्कूलों में केवल एक-एक विद्यार्थी ही इस परीक्षा में सफल हो पाया है। यहां तक कि शीर्ष के 20 सफल विद्यार्थियों में से सरकारी स्कूल का एक भी विद्यार्थी नहीं है।
इसका सीधा अर्थ यह है कि करदाताओं के लाखों रुपए खर्च कर चलाए जा रहे सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन निजी स्कूलों के मुकाबले कमतर रहा है। एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ’सरकार ने सरकारी स्कूलों के खराब प्रदर्शन को काफी गंभीरता से लिया है। इसका एक ही समाधान है कि इन सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया जाए ताकि विद्यार्थी निजी स्कूलों में पढ़ने जाएं।’
आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, साल दर साल स्थिति खराब होती जा रही है। जहां 2013 में 28 सरकारी स्कूल ऐसे थे, जिनका एक भी विद्यार्थी एचएसएलसी परीक्षा में सफल नहीं हो पाया। वहीं, 2014 में ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़कर 48 हो गई और 2015 में 70 हो गई।
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