गुडग़ांव के 76 % लोगों को ऑफिस और घर में मिल रही है प्रदूषित हवा
गुडग़ांव के 76 प्रतिशत लोगों को अपने ऑफिस और यहां तक की घरों में भी प्रदूषित हवा मिल रही है। जिससे इन लोगों में रेसपिरेटरी डिसीस की समस्या बढ़ रही है। आर्टेमेस हॉस्टिपल द्वारा कराए गए सर्वे में ये बात सामने आई है। उनके अनुसार घर की हवा बाहर की हवा के मुकाबले ज्यादा प्रदूषित है। यही वजह है कि दिनभर घर में रहने वाली महिलाएं और बच्चे रेसपिरेटरी डिसीस की बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं, बजाए उन पुरूषों के जो बाहर जाकर ऑफिस में काम करते हैं। कम से कम 31 प्रतिशत लोग अनहेल्दी पॉल्यूटेड एयर के कारण विभिन्न रेसपिरेटरी डिसीस के शिकार हो रहे हैं।
डबल्यूएचओ के अनुसार अभी तक लो और मिडिल इंकम वाले देश ही प्रदूषित हवा के शिकार थे, लेकिन अब दिल्ली में भी लोगों को प्रदूषित हवा के चलते ये समस्या देखी जाने लगी है। स्टडी के दौरान के ऑटोमोबाइल, आईटी और मैन्युफैकचरिंग यूनिट्स के ऑफिस और गुडग़ाव के कुछ रेसिडेंशियल प्लेसेस जैसे सुशंत लोक, निर्वान, डीएलएफ फेस-3 को शामिल किया गया था । सर्वे के अनुसार गुडग़ाव में रहने वाले लोगों में से 47 प्रतिशत लोगों में रेसपिरेटरी डिसीस के अलावा क्रॉनिक ऑबस्ट्रकिटव पलमोनेरी डिसीस के लक्षण भी देखे गए हैं।
आर्टेमस हॉस्पिटल के हैड हिमांशु गर्ग के मुताबिक गुडग़ाव में रहने वाले लोगों को बाहर और अंदर घर की हवा से बचना होगा। ये हालात वहां लगातार हो रहे कंस्ट्रकशन वर्क और व्हीकल पॉल्यूशन के कारण पैदा हो रहे हैं। कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार घर में रहने वाली हवा बाहर की हवा से एक हजार गुना ज्यादा खतरनाक होती है और ये लोगों की लंग्स को भी प्रभावित करती है।
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