देश में 826 आवासीय योजनाएं समय से पीछे: एसोचैम
देश में हर दिन एक नई आवासीय योजना तैयार तो हो रही है, लेकिन इन्हें समय पर पूरा नहीं किया जा रहा है। एसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 826 आवासीय योजनाएं समय से पीछे चल रही हैं। इस लिहाज से पीछे चल रही योजनाओं में पंजाब और तेलंगाना और पश्चिम बंगाल सबसे आगे है।
एसोसिएट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया के एक रिसर्च में कहा गया है कि दिसंबर 2015 के अंत में 3511परियोजनाएं निर्माण व रियल एस्टेट सेक्टर में अस्तित्व में थीं। क्रियान्वन के अधीन परियोजनाओं में से 886 निर्माण व रियल एस्टेट परियोजनाएं ज्यादा देरी से चल रही हैं। रिसर्च के अनुसार महत्वपूर्ण बात ये है कि विलंबित 886 परियोजनाओ में 826 परियोजनाएं आवासीय निर्माण की और 60 व्यवसायिक परिसर की हैं। रिसर्च के अनुसार निर्माण और रियल एस्टेट परियोजनाएं लगभग 39 महीने की देरी से चल रही हैं।
एसोचैम के महासचिव डी.एस रावत ने कहा कि उम्मीद है कि RBI द्वारा बैंकों को रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश की अनुमति दिए जाने के बाद इस सेक्टर में निवेश में सुधार होगा और इसके कारण परियोजनाओं में तेजी आएगी साथ ही कस्टमर्स का विश्वास भी बढ़ेगा।
पंजाब सबसे आगे-
रिसर्च के मुताबिक प्रमुख राज्यों में पंजाब में निर्माण एवं रियल एस्टेट परियोजनाएं सबसे ज्यादा 48 महीने की देरी से चल रही हैं। इसके बाद तेलंगाना 45 महीने, पश्चिम बंगाल 44 महीने, ओडिशा 44 महीने और हरियाणा में 44 महीने पीछे चल रही हैं। इसी तरह मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश में परियोजनाएं महीने लेट चल रही हैं जबकि महाराष्ट्र में 39 महीने की देरी दर्ज की गई है। कर्नाटक में परियोजनाएं सबसे कम 31 महीने की देरी से चल रही हैं। राजस्थान व केरल में लगभग कर्नाटक जितनी ही देरी दर्ज की गई है। इसके बाद गुजरात और तमिलनाडू का स्थान है। एसोचैम ने कहा है कि विभिन्न नियामकों और प्राधिकरणों से जूयरी मंजूरी हासिल करने की प्रकिया के कारण लागत और अवधि बढ़ जाती है। जिसके चलते न केवल देरी होती है बल्कि भष्ट्राचार भी बढ़ता है।
पेश करना चाहिए सिंगल विंडो सिस्टम-
एसोचैम के अनुसार इसका समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए एकल खिड़की प्रणाली पेश करनी चाहिए। सरकार को रियल एस्टेट के मामले में एक नियामक के बदले एक मददगार के रूप में काम करना चाहिए। खासतौर वहां , जहां मांग आपूर्ति से ज्यादा है।
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