94.8 प्रतिशत गर्ल चाइल्ड को खतरा परीचित से है.. अजनबी से नहीं
- - Advertisement - -
हाल ही में भोपाल में तीन साल की बच्ची के साथ हुई रेप की वारदात ने लोगों का दिल दहला दिया है खासतौर से उन अभिभावकों का जिनकी छोटी -छोटी बच्चियां रोज उनके मेड, सर्वेंंट या किसी अपने के साथ बेफिक्री से स्कूल जाती हैं। पर उन्हें अब ये समझ आ गया है कि उनकी मासूम बच्चियां अब सेफ नहीं हैं न ही घर के अंदर और न ही स्कूल में। यानि उन्हें अब खतरा अपने ही किसी परीचित और स्कूल के मेल टीचर से है। मिनिस्ट्री ऑफ वुमन चाइल्ड डवलपमेंट की पिछले दो सालों की रिपोर्ट की मानें तो पांच साल से कम उम्र की 94.8 प्रतिशत मासूम बच्चियां किसी अजनबी से नहीं बल्कि अपने ही किसी परीचित के द्वारा रेप का शिकार हुई हैं जिसमें उनके पड़ोसी, दोस्त या फिर स्कूल टीचर शामिल रहते हैंं। वहीं उनके रेप में 10 प्रतिशत सीधे -सीधे किसी घरवाले का हाथ होता है। इस मामले में साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि पैरेंट्स और टीचर्स को बच्चियों की साइकोलॉजी पर फोकस करना बहुत जरूरी है।
कुछ गलत हो रहा है, तो ऐसा होगा आपकी बच्ची का व्यवहार-
साइकोलॉजिस्ट डॉ.कमलेश उदेनिया की मानें तो अगर बच्ची के साथ कुछ भी गलत हो रहा है, तो उसके व्यवहार में परिवर्तन आना निश्चित है। हालांकि तीन से पांच साल की बच्ची कुछ नहीं समझती फिर भी उसके व्यवहार में परिवर्तन स्वभाविक है।
– उसका व्यवहार सामान्य नहीं रहेगा।
– फेशियल एक्सप्रेशन बदल जाएंगे। हर बात पर चौक जाएगी।
– पहले जैसे न तो खेलेगी और न ही मस्ती करेगी।
– अच्छी नींद नहीं आएगी। रेप या मोलेस्टेशन के बाद बच्ची के दिमाग में वहीं दृश्य घर कर जाएंगे, जो उसे बार बार दिखाई देेंगे।
– लड़कियां इस दौरान पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की शिकार हो जाती हैंं। इस बीमारी में लड़की के सामने हमेशा वही दृश्य सामने आता है, जो उसके साथ हुआ है।
गर्ल चाइल्ड को दूर रखें मेड और सर्वेंट से-
समाजशास्त्री डॉ.विमलेश अग्रवाल कहती हैं कि एक से दस साल तक की बच्चियां मैच्योर नहीं हो पातीं इसलिए उन्हें अनजान लोगों से ज्यादा घुलनेमिलने देना नहीं चाहिए यहां तक कि घर में मेड, सर्वेंट या ड्राइवर है, तो उनसे भी उन्हें दूर रखें। उन पर अपनी खास नजर रखें। वहीं स्कूल के मेल टीचर्स के बारे में भी थोड़ी जानकारी रखना जरूरी है। यदि बच्ची के साथ स्कूल में ऐसी कुछ हरकत हुई है, तो कुछ समय तक उसे स्कूल जाने से डर लगेगा साथ ही वह उस व्यक्ति को देखते ही सहम उठेगी। इसलिए इस मामले में स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन से बात करना जरूरी है।
भले ही आपके परीचित, फिर भी गौर करें व्यवहार –
– जिस व्यक्ति का आपके घर आना-जाना लगातार बना रहता है, उसकी फैमिली और कैरेक्टर के बारे में जरूर जांच परख करें।
– बच्ची से बात करने के तरीके पर भी गौर करें।
– उसकी निगाह पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, इससे आप उस व्यक्ति के बारे में भी बहुत कुछ जान सकते हैं।
– वो किसी एंटीसोशल एक्टिीविटीज में लिप्त तो नहीं है, इस बात पर खास गौर करना भी जरूरी है।
फिल्म कहानी-2 देती है अच्छी सीख-
विद्या बालन की फिल्म कहानी -2 को कुछ ऐसी ही वारदात के साथ जोड़कर दिखाया गया था। किसी घरवाले ने भले ही बच्ची के व्यवहार और साइकोलॉजी पर ध्यान न दिया हो लेकिन विद्या बालन जो कि उसकी स्कूल टीचर थी, उनकी नजर हमेशा उस बच्ची के शांत और अजीब व्यवहार पर रहती थी। ऐसे में उन्होंने ये जानने की कोशिश की और वो ये बात जानने में सफल हो पाईं जिसका उन्हें अंदाजा भी नहीं था। छह साल की बच्ची अपने ही चाचा की गंदी हरकतों का शिकार हो रही थी। स्टूडेंट काउंसलर प्रियांजला का कहना है कि ये जिम्मेदारी केवल पैरेंट्स की ही नहीं बल्कि स्कूल टीचर की भी होनी चाहिए, कि वे खासतौर पर गर्ल स्टूडेंट की क्लास एक्टिीविटीज और उसके व्यवहार पर गौर करें। हो सके तो उन्हें इन चीजों के बारे में सिखाएं ।
क्या कर सकते हैं टीचर्स-
स्टूडेंट काउंसलर रश्मि प्रजापति का कहना है कि तीन साल की बच्ची के साथ ये हरकत किसी स्कूल डायरेक्टर ने की है। जो काफी शर्मनाक है। ऐसे में टीचर्स को बच्ची के व्यवहार को कुछ इस तरह समझना जरूरी है।
– कोई भी मेल टीचर गर्ल स्टूडेंट को बार-बार ऑफिस में बुलाए, तो उस स्टूडेंट से थोड़ा पूछताछ करें कि सर ने उससे क्या कहा।
– तीन साल की बच्ची अमूमन कुछ बता नहीं पाती, ऐसे में शुरूआत लेडी टीचर को ही करनी पड़ेगी, जैसे कि उससे पूछा जा सकता है कि सर ने उसे कहीं हाथ लगाया क्या। ऐसे में वह समझ तो सकती है और आपकी बात का जवाब भी सही से दे सकती है।
– किसी भी मेल टीचर द्वारा गर्ल स्टूडेंट को बुलाए जाने पर उसे अकेला भेजने के बजाए या तो खुद साथ जाएं, या फिर किसी को साथ भेजें। ऐसे में कहीं न कहीं टीचर मासूम बच्चियों के सेफ्टीगार्ड बनकर उनकी मदद कर सकते हैं।
- - Advertisement - -