बनना था डॉक्टर बन गई IPS और अब IAS
किसी सपनें को पूरा करना हो तो उसके पीछे जी जान लगाकर मेहनत करना पड़ती है। और इसी मेहनत के आधार पर ये सपना पूरा होता है कुछ ऐसा ही सपना उत्तर प्रदेश की आईपीएस गरिमा सिंह ने देखा था। गरिमा सिंह का सपना था कि वे आईएएस बनें और आज उनका सपना पूरा हो गया। उत्तर प्रदेश के झांसी जिले की आई.पी.एस.गरिमा सिंह ने एक बार फिर से कमाल करते हुए अपने आप को आई.ए.एस. के योग्य बना लिया है। उन्होंने 2015 में यूपी.एस.सी. फाइनल में 55वां रैंक हासिल किया था। आपको बता दें कि गरिमा सिंह को झांसी के जिले की कमान सौंपी है। गरिमा 25 की उम्र में आई.पी.एस. बनी थीं और अब 29 की उम्र में आई.ए.एस।
छोटे से गांव की लड़की
गरिमा सिंह एक छोटे से गांव की रहने वाली है। वे बलिया जिले के कथौली गांव में रहती थी। गरिमा का सपना एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई कर डॉक्टर बनने का था न कि आई.पी.एस. बनने का। गरिमा का कहना है कि उसके पिता ओमकार नाथ सिंह पेशे से इंजीनियर हैं। वे चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज में जाऊं। सिर्फ उनके कहने पर मैंने तैयारी शुरू की। गरिमा ने पहली बार 2012 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था और तभी उनका सिलेक्शन आई.पी.एस. में हो गया था।
इस घटना से बनी आईपीएस
डी.यू. में पढ़ाई के दौरान गरिमा अपने दोस्तों के साथ मॉल से वापस लौट रही थी। इसी दौरान चैकिंग के लिए एक पुलिसवाले ने उनका रिक्सा रोक लिया और रात में कहां से आ रही हो, कहां जाना है ऐसे सवाल पूछने लगा। इसके बाद उसने उनसे 100 रुपए मांगे। जब मना किया तो वह पापा को फोन कर शिकायत करने की धमकी देने लगा। लेकिन बाद में उसने उन्हें जाने दिया।
पुलिस द्वारा रिश्वत मांगने की इस घटना ने उसके मन में पुलिस के लिए कड़वाहट भर दी। लेकिन कुछ समय के बाद ही उसका यह नजरिया बदल गया। गरिमा ने कहा कि एक बार डीं.यू. में मेरा मोबाइल गायब हो गया था। उसने इस बात की शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने उसकी इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए थोड़े समय में ही उसका मोबाइल फोन ढूंढ़ निकाला।
वहीं दूसरी तरफ लखनऊ में गरिमा 2 साल तक अंडरट्रेनिंग ए.एस.पी. के तौर पर रहीं और अब झांसी में एस.पी. सिटी के रूप में प्रसिद्ध हो रही हैं। गरिमा की प्रतिभा को देखते हुए उसे बहुचर्चित मोहनलाल गंज रेप मामले में जांच टीम में शामिल किया गया है। उन्होंने इस मामले में दिन-रात कड़ी मेहनत की।
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