ऐसा शख्स, जो इंसान की लाशों से बनाता है “हीरे”

Deepti Gupta, Youthens

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हीरा सभी को पसंद होता है। जब किसी को हीरा पहनने को मिल जाए, तो उसके हाथों तो जैसे लॉटरी लग जाती है। इसमें कोई दोराहे नहीं है कि हीरा पहनने पर बहुत ही खूबसूरत दिखता है। अगर आप भी डायमंड लवर हैं, तो आप ये तो जानते ही होंगे कि आखिर हीरा बनता कैसे है। लेकिन दुनिया में एक ऐसा शख्स है, जो इंसान की लाशों से हीरा बनाता है। सुनकर आपको अजीब लगे, लेकिन स्विटजरलैंड में रहने वाले “रिनाल्डो विल्ली” मरे हुए लोगों की लाश की राख से हीरा तैयार कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एक कंपनी भी खोल ली है। इस कंपनी का नाम उन्होंने “एलगॉरडेंजा” रखा है। जिसका हिंदी में अर्थ होता है यादें।

इस तकनीक में मरे हुए व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद बची राख को टेकनीक का यूज करते हुए हीरे में बदल दिया जाता है। यह कंपनी हर साल 850 लाशों की राख से महंगे हीरे बनाती है। इसके काम की लागत हीरे के आकार के आधार पर तय की जाती है। आमतौर पर ये 3 से 15 लाख के बीच बैठती है।

एक गलती से आया ये आइडिया-

दरअसल , बात उस समय की है जब विल्ली पढ़ते थे। स्कूल में उनकी टीचर ने उन्हें एक आर्टिकल पढऩे के लिए दिया था, जो सेमिकंडक्टर इंडस्ट्री में यूज होने वाले सिंथेटिक हीरे के प्रोडक्शन पर बेस था। इस आर्टिकल में सब्जियों की राख से हीरा बनाने का तरीका बताया था, लेकिन विल्ली उसे इंसान की राख समझकर पढ़ता रहा। कहने को ये उसकी गलती थी, लेकिन उसकी एक गलती से उसे एक इनोवेटिव आइडिया आया। उन्हें विचार अच्छा लगा और उन्होंने अपनी मैडम से इसके बारे में पूछा। हालांकि उनकी टीचर ने उनकी गलती को सुधारा लेकिन विल्ली ने टीचर से कहा कि अगर सब्जियों की राख से हीरा बन सकता है तो इंसान की राख से क्यों नहीं। टीचर ने उस आर्टिकल के लेखक से कॉन्टेक्ट किया और इस पर काम करना शुरू कर दिया।

कैसे बनता है इंसान की लाश से हीरा-

सबसे पहले यह कंपनी इंसानी-राख को स्विटजरलैंड स्थित अपनी लैब में मंगवाती है। यहां एक विशेष प्रोसेस के जरिए इस राख से कार्बन को अलग किया जाता है। अलग किए हुए कार्बन को उच्च ताप पर गर्म कर उसे ग्रेफाइट में बदला जाता है। इस ग्रेफाइट को एक मशीन में ठीक उन परिस्थितियों में रखा जाता है जैसा कि जमीन के नीचे पाई जाती है। कुछ महीनों के बाद वो ग्रेफाइट हीरे में बदल जाते हैं।