एक चौथाई लड़कियां ही लेती हैं इंजीनियरिंग में एडमिशन
आज भले ही लड़कियां लड़कों के बराबर हैं, लेकिन टेक्नीकल एजुकेशन के मामले में अब भी लड़कियां लड़कों से पीछे हैं। हर साल होने वाली इंजीनियरिंग की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में करीब साढ़े चार हजार से ज्यादा लड़कियां उत्तीर्ण होती है, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि केवल एक चौथाई लड़कियां ही इंजीनियरिंग में कॉलेज तक पहुंचकर एडमिशन लेती हैं। कुल मिलाकर टेक्नीकल एजुकेशन के मामले में लड़कियां अब भी लड़कों से पीछे हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार अब तकनीकी शिक्षा खासकर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा छात्राओं को आकर्षित करने की योजना बना रही है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेन्द्र नाथ पांडे ने फिल्म बावली के स्क्रीनिंग के मौके पर ये जानकारी दी। ये फिल्म बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बाल श्रम पर आधारित फिल्म है।
उन्होंने इस अवसर पर कहा कि पिछले ससाल करीब 4570 लड़कियों ने इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की, लेकिन एडमिशन लगभग 800 लड़किया ने ही लिया। लेकिन अब सरकार तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों के लिए सीट बढ़ाने की योजना तैयार कर रही है।
पैरेंट्स भी नहीं हैं जागरूक-
देखा जा रहा है जो लड़कियां टेक्नीकल एजुकेशन में एडमिशन नहीं लेती, उसमें कहीं न कहीं उनके पैरेंट्स जिम्मेदार होते हैं। कई पैरेंट्स की ये मानसिकता रहती है कि लड़की इंजीनियर बनकर क्या करेगी। ऐसे में उसकी इच्छा पूरी करने के लिए प्रवेश परीक्षा तो दिला देते हैं, लेकिन एडमिशन नहीं दिलवाते। ऐसे में अभिभावकों को समझना होगा कि शिक्षा कोई भी हो , वह सबके लिए समान है। अभिभावकों को लड़कियों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करना होगा ।
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