आचार्य चाणक्य के ये 5 मूल मंत्र जिन पर पूरा देश आज भी अमल करता है

Surbhi Bhatewara

Education & Career

हर गुरू के शिक्षा देने का तरीका कुछ भी हो सकता है पर वह हमेशा सही राह ही बताएंगे। आज शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसे गुरू के बारे में बताने जा रहे है जिनकी बातों पर अमल करने के बाद हर कोई उन्हें अपना गुरू मानता है। हर दौर मे सफलता के नए-नए फॉमूले गढ़े गए हैं। वक्त के साथ सफलता की परिभाषाएं भी बदलती रही हैं। आज हम आपको आचार्य चाणक्य के सफलता के सूत्र बता रहे हैं, जिन्हें अपना कर आप भी सफलता की सीढियां चढ़ सकते हैं। लेकिन उनके सफल सूत्रों के बारे में जानने से पहले आप आचार्य चाणक्य के बारे में जान ले कि आखिर ये कौन थे-

आचार्य चाणक्य ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के शिक्षक, अर्थशास्त्री, चिंतक और राज्य के राजनैतिक सलाहकार थे। उनका जन्म काल ईसा पूर्व 375 – 225 माना जाता है। वे इतिहास में कौटिल्य नाम से भी जाने जाते हैं। चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, कृषि, समाजशास्त्र आदि को महान गं्रथ माना जाता है। अर्थशास्त्र में इकोनॉमी से जुड़ी पॉलिसी, राजाओं और राज्य के कर्तव्यों के बारे में बताया गया है। आज भी कारोबार से लेकर राजनीति तक में इन किताबों के बारे में दी गई बातों को लोग गंभीरता से विचार करते हैं साथ ही अमल भी करते हैं।

तो जानते चाणक्य के उन सफलता के सूत्रों बारे में-

1. अपनी असफलता को लेकर दुखी होना या बहाने तलाशना – जिसे हम आज कल इमोशनल अत्याचार भी कहते है। चाणक्य इसे असफलता के सबसे बड़े कारणों में गिनते है। दुखी रहने या बहाने तलाशने से लोग अपनी संतुष्ठि पा सकते हैं या फिर किसी दंड या असहज स्थिति से बच सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से वे अपनी गलती से सीखने का अवसर खो देते है। चाणक्य के मुताबिक गलतियों को मानकर भुला देना चाहिए, यहीं सही रणनीति है। इससे न केवल आपकी छवि सुधरती है साथ ही आप भी काम को लेकर और गंभीर हो जाते हो। साथ ही आपके सफल होनी की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है।

2. परिणाम का आकलन किए बिना शुरूआत करना – जो होगा वो देखा जाएगा यह आज नए जमाने की सोच है पर चाणक्य का मानना है कि कुछ भी काम शुरू करने से पहले 3 सवालों के जवाब जरूर जाने ले और सबसे बड़ी बात उन्हें तलाश्ने के बाद उनसे संतुष्ठ होना जरूरी है।

-मुझे क्या काम करना चाहिए?
-इस काम से क्या मिलेगा?
-जो मिलेगा उसकी कीमत क्या होगी?

चाणक्य के मुताबिक इन सवालों के जवाब से संतुष्ट होकर जो आगे बढ़ते हैं वो अपने लक्ष्य से डिगते नहीं और सफलता पाते हैं।

3. कमज़ोर को कम आंकना – आमतौर पर इसे ओवर कॉन्फिडेंस भी कहा जाता है, भले ही लोग इसे लेकर जितना भी सर्तक रहें, लक्ष्य के कारीब पहुंचते ही वह इसका शिकार हो जाते है। चाणक्य के मुताबिक सफलता की उम्मीद रखने वाले को किसी भी काम या माहौल से जुड़ी हर छोटी या बड़ी बात, कमज़ोर या मजबूत चुनौती पर समान रूप से निगाह रखनी चाहिए।

4. नाम और शोहरत का पीछा करना – आज के दौर में लोग नया या शोहरत को काफी अहम मानते है। फेमस होना सफलता की निशानी माना जाता है। और जल्द से जल्द सफल होने के लिए किसी भी तरह लाइमलाइट में आने की कोशिश की जाती है। चाणक्य लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे लोगों के लिए नाम और शोहरत सबसे बड़ी बाधा मानते है।

5. धन का लालच – आज के दौर में धन या पैसों को सफलता का आधार माना जाता है। वहीं इसे भी सफलता का शॉर्टकट माना जाता है। हालांकि चाणक्य धन को काम का इनाम मानते थे, उनके मुताबिक आप कर्म पर ध्यान देंगे तो धन अपने आप आएंगा।