गानों में एक नया ट्रेंड ले कर आए थे ‘आदेश श्रीवास्तव’
90 के दशक का वो गाना जो हर ऑटो, बस या ट्रक में तब भी बजता था और अब भी आपको भी ज़रूर याद होगा। वो गाना है ’क्या अदा क्या जलवे तेरे पारो।’1996 में आई ‘शस्त्र’ फ़िल्म का ये गाना गली-नुक्कड़ में खड़े लड़कों के लिए आरती और एंथम की तरह हो गया था। इसके संगीतकार थे आदेश श्रीवास्तव। उन्होंने राजनीति, अपहरण, दीवार, चलते-चलते, आंखे, रहना है तेरे दिल में, बॉर्डर, रिफ्यूजी जैसी फिल्मों में संगीत दिया और अनेक फिल्मों के गाने भी खुद गाए। आदेश प्रसिद्धी पाते गए और उन्हें ऐसी प्रसिद्धी मिली कि एक दिन उनको बुलावा भेजा शकीरा ने एक गाना कंपोज़ करने के लिए। आज 4 सितम्बर को आदेश का जन्मदिन है और आज भी उनका हर गाना कानों में गूंजता है।
100 से ज़्यादा फिल्मों में संगीत देने वाले आदेश का संगीत ऐसा था जो ट्रेंड बना जाता था पर ये प्रसिद्धी अचानक आसमान से बरसने वाली प्रसिद्धी नहीं थी। म्यूजिक डायरेक्टर बनने से पहले आदेश ने सालों तक मशहूर संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के ग्रुप में ड्रम बजाया। उनकी पत्नी ‘विजेता पंडित’ का जुड़ाव भी फ़िल्म इंडस्ट्री से रहा। विजेता ख़ुद एक्ट्रेस थीं। जी ये वही विजेता हैं जो कुमार गौरव के साथ लव स्टोरी में लॉन्च की गईं थीं। विजेता के दोनों भाई जतिन और ललित भी संगीत की दुनिया के बड़े सितारे हैं।
लेकिन आदेश सबसे करीब थे अमिताभ बच्चन के। अमिताभ उनको छोटा भाई मानते थे। दोनों ने साथ में सुपरहिट गाने दिए। मेजर साहब का सोना-सोना हिट क्या हुआ और सब आदेश के पास पंजाबी गीत लेकर आने लगे। कभी खुशी कभी ग़म का ‘शावा-शावा’ भी आदेश ने हिट करा दिया। चलते-चलते का गाना ’सुनो न सुनो न’ आज भी रोमांटिक नंबर्स में शामिल है। राजनीति का ’मेरा पिया मोसे बोलत नाहीं’ एक अलग अंदाज़ में बना के उन्होंने अपना सिक्का फ़िर चमका लिया।
आदेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के सिंगर्स जैसे शकीरा, ऐकॉन और टी-पेन के साथ भी एलबम्स रिकॉर्ड किए लेकिन किस्मत में पहले से कुछ और लिखा जा चुका था। 2010 में आदेश को कैंसर हुआ। आदेश कैंसर से लड़ते रहे। लड़ते रहे और काम करते रहे। आदेश कई बार कीमोथैरेपी के ठीक बाद ही स्टूडियो पहुंच जाया करते थे। उन्हें म्यूज़िक के लिए जूनून था जो उनको कैंसर से लड़ने की ताकत देता रहा।
2015 में उनकी हालत ख़राब होती चली गई। हॉस्पिटल में 40 दिन तक रहने के बाद वो कैंसर से हार गए। अपने जन्मदिन के ठीक एक दिन बाद ही 5 सितम्बर 2015 में वो इस दुनिया को छोड़कर चले गए। उनका संगीत आज भी हमारे बीच है। उतना ही जीवंत जितना कल था। ऐसा लगता है कि आदेश आज भी उस दूसरी दुनिया से गुनगुनाते हुए हमें कह रहे हैं कि ’मैं यहां तू वहां, ज़िन्दगी है कहां’।
By Anurag Thakur