लोकसभा में आधार बिल पारित, मिलेगी कानूनी मान्यता
नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को आधार विधेयक पारित हो गया। इस विधेयक से देश के लक्षित नागरिकों को एक विशिष्ट पहचान संख्या या आधार कार्ड के आधार पर उन्हें सेवा उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को कानूनी मान्यता मिल जाएगी।
आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) विधेयक-2016 शुक्रवार को लोकसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया। इससे पहले इस पर बहस हुई, जिसमें केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया कि आधार कार्ड के लिए दी जाने वाली सूचनाओं का दुरुपयोग नहीं होगा।
इस विधेयक में देश के नागरिकों को एक विशिष्ट पहचान संख्या या आधार कार्ड देकर और उसके आधार पर उन्हें सेवा उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को कानूनी मान्यता मिल जाएगी। आधार कार्ड उन सभी को दिया जाएगा, जो आधार आवेदन करने से पहले साल में 182 दिनों के लिए देश में रह चुके हैं।
बहस के दौरान जेटली ने कहा कि विधेयक को तेजी से पारित करने की जरूरत है और उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इसका विरोध करने या इसके पारित होने की प्रक्रिया में देरी नहीं करने का अनुरोध किया। विधेयक में संशोधन के लिए विपक्षी पार्टियों के सभी सुझाव या तो निरस्त हो गए या वापस ले लिए गए।
जेटली ने कहा कि यह 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पेश विधेयक जैसा नहीं है। इसका केंद्रीय विषय लाभार्थियों के लिए किया जाने वाला सरकारी खर्च है, न कि सिर्फ पहचान दस्तावेज।
उन्होंने कहा कि विधेयक का एक मुख्य विषय यह है कि जिसे भी राज्य या केंद्र सरकार या अन्य संस्थान के कोष से लाभ मिलेगा, उसके पास आधार कार्ड होना चाहिए।
विधेयक के अन्य प्रावधान के अनुसार, यदि किसी के पास आधार कार्ड नहीं है, तो सरकार उसे कोई भी अन्य पहचान दिखाकर आधार के लिए आवेदन करने के लिए कहेगी। आधार कार्ड को पहचानपत्र के रूप में दिखाया जा सकता है, लेकिन इसे नागरिकता या निवासी प्रमाणपत्र नहीं माना जाएगा।
जेटली ने कहा कि आधार संख्या का दुरुपयोग नहीं हो सकता, क्योंकि संबंधित अधिकारी इस बारे में सिर्फ सकारात्मक, नकारात्मक या अन्य यथोचित रूप में ही जवाब दे सकते हैं। वे फिंगर प्रिंट या आईरिस स्कैन जैसे बायोमीट्रिक ब्यौरे नहीं दे सकते। सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा और अदालत के आदेश से ही ब्यौरे दिए जा सकते हैं।
विधेयक के अनुसार, केंद्रीकृत डाटा बेस तक अनिधिकृत रूप से पहुंच बनाने या इसमें संरक्षित सूचनाओं को लीक करने के दोषी व्यक्ति के लिए तीन साल तक की जेल और लगभग दस लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान है।
|