ये गोरा इंसान काले इंसान से बेस्ट होता है क्या?
गोरा होना है तो …………………………. क्रीम लगाए और पांच हफ्तों में निखार पाए।
मर्द होकर लड़कियों वाली क्रीम लगाते हो ये लो मर्दो वाली क्रीम
इस तरह की लाइनें आपने टीवी, रेडियो में कई बार सुनी होगी। अब इन्हीं फेयरनेस क्रीम को लेकर बॉलीवुड में बवाल मचा पड़ा है। पूरा इंटरनेट और सोशल मीडिया हिला हुआ पड़ा है। ये सब उसी क्रीम के पीछे पड़े है जो आपको आपका ड्रीम बॉय या ड्रीम गर्ल बनाने में मदद करती है लेकिन रिजल्ट कुछ और ही निकलता है।
फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन में आपको गोरे होने के ऐसे सुनहरे सपने दिखाए जाते हैं कि आप आज क्रीम लगाओगे और सुबह उठकर दूध जैसे गोरे हो जाओगे। इस बात का पता हमें भी है कि हम क्रीम लगाकर कितने गोरे हो जाएंगे लेकिन फिर भी हम आंख मूंदकर इन पर भरोसा कर लेते है। खैर हम यहां फेयरनेस क्रीम के खिलाफ मुहिम नहीं चला रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं उस बवाल के बारे में जो फेयरनेस क्रीम के कारण मचा है।
सोशल मीडिया पर एक धमाकेदार पोस्ट आई , पोस्ट के जनक थे अभय देओल जिन्होंने अपनी पोस्ट में शाहरूख खान, सोनम कपूर, शाहिद कपूर, दीपिका पादुकोण को ऐसा लताड़ा जिसका जवाब नहीं। इन सभी एक्टर्स के फेयरनेस वाले विज्ञापन लेकर अभय देओल ने पोस्ट में लिखा और चमड़ी गोरी करने का दावा करने वाली क्रीम के प्रचार करने वालों को निशाने पर लिया।
अभय ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ‘‘देश में कंपनियां खुलेआम और चालाकी से इस आइडिया को बेच रही हैं कि गोरी चमड़ी काली चमड़ी से अच्छी होती है। इस खेल में आपको कोई बताने वाला नहीं है कि यह अपमानजनक, फर्जी और नस्ली है।’’
अभय ने लिखा है, ‘‘इसे आपको खुद से ही देखना होगा। आपको इस आइडिया को खरीदना बंद करना होगा, जिसमें बताया जाता है कि कोई ख़ास रंग और रंगों से अच्छा है। दुर्भाग्य से आप मैट्रिमोनियल विज्ञापनों को देखेंगे तो वहां भी यह थोपी हुई प्रवत्ति साफ नज़र आती है। यहां तक कि हम किसी के चमड़ी के रंग को बताने के लिए डस्क शब्द का यूज करते है।
अभय ने अपनी दूसरी पोस्ट में शाहरूख खान को घेरते हुए कहा कि ‘‘और किंग खान खुद ही आपसे पूछ रहे हैं-मर्द हो के लड़कियों वाली फेयरनेस क्रीम क्यों? इसमें वो आपको एक मर्द बनाने की कोशिश कर रहे हैं गोरा बनना तो साइड इफेक्ट है।’’ अभय की इन फेसबुक पोस्ट के बाद कई लोगों ने अभय का समर्थन किया और काले-गोरे की इस लड़ाई में अपना योगदान दिया।
आप भी अक्सर महसूस करते होंगे कि आपकी स्किन के कलर के कारण आपकी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा होगा। कई बार आपको बहुत कुछ एडजस्ट करना पड़ा होगा। ये समस्या आपकी दुखती रग हो सकती है, आपकी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी परेशानी हो सकती है। इसी परेशानी के भंवर में यदि आप अपने आइकॉनिक सेलिब्रिटी को इनका प्रचार करते देखते हैं तो आप भी इनका उपयोग करते हैं। हालांकि इस लड़ाई में कई एक्टर ऐसे भी हैं जिन्होंने इस तरह के एड करने से साफ इनकार कर दिया है।
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने फेयरनेस क्रीम के एड में नहीं दिखी। उनका मानना है कि एड के जरिए लोगों को बरगलाना गलत है। वहीं अनुष्का शर्मा ने भी साल 2015 में फेयरनेस क्रीम के एड को यह कहकर ठुकराया था कि ‘‘मैं इन प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं करूंगी, जो नस्लवाद और सेक्सिस्ट को बढ़ावा देते हैं।
जानकारी के मुताबिक रणबीर सिंह ने भी साल 2011 में फेयरनेस क्रीम के एड करने से इनकार किया था। उनका मानना है कि ऐसे प्रोडक्ट से कुछ नहीं होता, बल्कि नस्लवाद को लेकर ये हमारी घिसी-पिटी मान्यताएं हैं, उन्हें ये और मजबूत करने का काम करते हैं। स्वरा भास्कर ने भी साल 2015 में फेयरनेस क्रीम के एड को ठुकराया था।
फेयरनेस कंपनियों का विज्ञापन करना एक हद तक ठीक है लेकिन किसी कम गोरे व्यक्ति से कंपेयर करके या उसे हीन बताकर गोरे को बेस्ट साबित करना कई हद तक अन्य लोगों को ठेस पहुंचाता है। आज लोगों के बीच भी मानसिकता बनती जा रही है कि गोरा व्यक्ति ही बेस्ट होता है। वहीं कॉलेज स्टड बंदा, वहीं ऑफिस का सुपर हैंडसम और वही एक अच्छा बॉयफ्रेंड ठीक इसी तरह गोरी महिलाओं को भी आंका जाता है।
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