Friday, August 25th, 2017
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राबड़ी देवी चाहती हैं ऐसी बहू, जो न “मॉल” जाए, न “सिनेमा हॉल”




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बिहार के मंत्री लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी इन दिनों अपने दोनों बेटों के लिए बहू की तलाश में हैं। भारत की हर सास के लिए उन्होंने भी अपनी बहू के लिए कुछ मानक बनाए हैं। राबड़ी देवी चाहती हैं कि उनकी बहू उनके जैसी हो, जो न मूवी देखने थियेटर में जाए और न ही मॉल घूमे। बड़े बुजुर्गों का आदर सम्मान करने वाली हो।

हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि – मैं सिनेमा हॉल और मॉल जाने वाली लड़की को अपनी बहू नहीं बनाना चाहती। वह बड़ों का सम्मान करे, घर की देखभाल करे और मेरे जैसे ही काम करें। बस।

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पर अगर बात उनके फैमिली बैकग्राउंड की करें, तो वो ये भूल गई हैं कि उनके भी सात लड़कियां हैं और सब जॉब कर रही हैं। तो घर की बहू से ऐसी उम्मीद क्यों। उनकी सात बेटियां हैं। मीसा भारती, राजलक्ष्मी सिंह राजनीतिज्ञ हैं, अनुष्का राव एक इंटीरियर डिजाइनर हैं , चंदा सिंह एक वकील हैं रागिनी और हेमा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं, वहीं रोहिणी आचार्य एक डॉक्टर है।

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लेकिन हम सभी जानते हैं कि भारतीय परिवारों में बेटी और बहू के लिए अलग अलग नियम और कानून हैं। यदि आपको 1993 में आई सूरज बडज़ात्या की फिल्म हम साथ-साथ है याद हो तो आपने देखा होगा कि बेटी नीलम तो हर तरह का वेस्टर्न ड्रेस पहनती है, लेकिन घर की बहू सूट या साड़ी में ही नजर आईं। ये बात हमारे संस्कारों की जटिलता को दर्शाती है।

इन सबके बीच एक दिलचस्प बात  तो ये है कि राबड़ी देवी के दो बेटे हैं, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव। तेजप्रताप यादव मोटरसाइकिल शोरूम के मालिक हैं जबकि तेजस्वी यादव राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं। कुछ दिनों पहले दोनों को दिल्ली में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था।

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बात अगर बहू को मॉल न जाने देने की है तो आपको बता दें कि आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने हाल ही में ये स्वीकारा है कि वो पटना के बाहरी इलाके में दो एकड़ जमीन पर बिहार के सबसे बड़े मॉल का निर्माण करने वाले हैं। जाहिर है कंपनी के शेयरों का 50 प्रतिशत उनकी पत्नी राबड़ी उनके दो बेटों और दो बेटियों के हैं। तो ये प्रश्र जरूर हास्यापद हो सकता है कि अब राबड़ी देवी खुद के ही मॉल में अपनी बहू को जाने से कैसे रोक पाएंगी। खैर, उनकी ये बात उनकी रूढ़ीवादी मानसिकता को दर्शाती है। जबकि ऐसा जरूरी नहीं कि जो लड़कियां मॉल या सिनेमा हॉल जाती हैं, वो बड़ों का सम्मान और आदर नहीं करतीं। अब आने वाले सालों में ये देखना दिलचस्प होगा कि आखिर उनकी बहू उनकी इच्छानुसार आती हैं या नहीं।

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