खाताधारक हो जाए सावधान, अकाउंट की जांच कर सकती है सरकार
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8 नवंबर 2016 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा फैसला लिया था और वो फैसला था नोटबंदी का। इस फैसले के बाद से ही भारत में भूचाल सा आ गया। एक ओर जनता कैश को लेकर परेशान तो दूसरी ओर राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर राजनीति करती नज़र आई। नोटबंदी के बाद से देश में कई बदलाव हुए है हाल ही में एक बदलाव और हुआ है जो खाताधारकों की नींद उड़ा सकता है।
नोटबंदी के बाद से सरकार ने कई जगहों से नकदी के रूप में कालाधन जब्त किया। नोटबंदी के बाद सरकार ने बेनामी संपत्ति को लेकर भी कानून बनाया जिससे अवैध तरीके से संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई जा सके। इसमें भी कई लोगों के नाम सामने आए और सरकार की जांच एजेंसियों ने कई एकड़ संपत्ति बेनामी संपत्ति के रूप में जब्त की।
सरकार ने इसके बाद अपना डंडा चलाया गोल्ड पर। नोटबंदी होते ही कई लोगों ने अपने पुराने नोटों से सोना खरीदने निकल पड़े थे। उन्हें सोना जितने भाव में दिया उन्होंने उतने भाव में नुकसान खाकर भी खरीद लिया लेकिन सरकार ने बाद में घर में सोना रखने की सीमा भी तय कर दी जिससे घरों में कैश से गोल्ड में कनवर्ट होकर ज़्यादा सोना न रखा जाए।
सरकार ने नोटबंदी के बाद से कई नियम बदले है। जिसमें नोट डिपॉजिट और विड्रॉल करने की सीमा, पैसों के लेन-देन सबंधी कई नियमों को बदला। अब सरकार की निगाह उन सब खाताधारकों पर है जिन्होंने नोटबंदी के दौरान अपने अकाउंट में बड़े ट्रांजैक्शन किए है। कुछ दिनों पहले ही वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा था कि नोटबंदी के बाद से 14 प्रतिशत ज़्यादा टैक्स जमा हुआ है।
नोटबंदी का असर फिलहाल सरकार को देखने को तो मिल रहा है लेकिन वे इसे और भी ज़्यादा कारगर बनाना चाहते है इसलिए अब उनकी नज़र बैंक अकाउंट पर है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार नोटबंदी की घोषणा के बाद से 60 लाख व्यक्तियों व कंपनियों ने अपने खातों में लगभग सात लाख करोड़ रूपए जमा करवाए है।
सरकार की नज़र अब इन्हीं लोगों पर है। बड़ी मात्रा में पैसा जमा करने वाले अकाउंट होल्डर को बताना होगा कि उनके पास इतना धन कहा से आया है क्योंकि केवल पैसा बैंक में जमा करवा देने से ही कालाधन वैध नहीं हो जाएगा। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकार किसी ईमानदार जमाकर्ता को शिकार नहीं बनाएगी। लेकिन कालेधन को वैध बनाने वाले को भी छोड़ा नहीं जाएगा।
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